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Health News: मोच को अनदेखा भूल से भी न करें...गठिया से लेकर, रीढ़ की हड्डी पर भी असर

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Mon, 23 Jun 2025 02:02 PM IST
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सार

आगरा आर्थोपेडिक सोसाइटी की ओर से खंदारी बाईपास स्थित होटल में आयोजित कार्यशाला में कई चिकित्सक शामिल हुए। इस दौरान बताया गया कि खुद लेप, मालिश से दिक्कत बढ़ रही है। 60 फीसदी मर्ज बढ़ने के बाद लोग चिकित्सक को दिखाने पहुंचते हैं।
 

Do not ignore sprain even by mistake it can affect the spine and arthritis
गठिया - फोटो : Freepik.com
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चलते, खेलते-कूदते, पैर-टखना मुड़ जाने पर मांसपेशियां खिंच जाती हैं। सूजन और दर्द होने लगता है। सामान्य भाषा में इसे मोच कहते हैं। इसे मामूली मानकर अनदेखा करने से लोग गठिया का शिकार हो रहे हैं। कई बार रीढ़ की हड्डी में भी टेढ़ापन आ रहा है। ये बातें कार्यशाला में चिकित्सकों ने कहीं।
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रविवार को खंदारी बाईपास रोड स्थित एक होटल में पैर-टखने की सर्जरी विषय पर आगरा आर्थोपेडिक सोसाइटी ने कार्यशाला का आयोजन किया। इंडियन फुट एंड एंकल सोसाइटी के पूर्व सचिव डॉ. इंदरजीत सिंह ने बताया कि पैर अचानक मुड़ जाने पर मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। कई मरीज खुद लेप, मालिश करते या दूसरों से कराते हैं। इससे सूजन, दर्द पूरी तरह से ठीक नहीं होता।
मरीज चोट वाले पैर पर कम दबाव लेकर दूसरे पर ज्यादा भार डालता है। इससे जोड़ घिसने लगते हैं। चाल में लचक आने पर रीढ़ की हड्डी पर भी असर पड़ता है। इससे यह भी टेढ़ी होने लगती है। 60 फीसदी से अधिक मरीज मर्ज बढ़ने के बाद आते हैं।

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एसएन कॉलेज के हड्डी रोग विभागाध्यक्ष और संयोजक डॉॅ. अमृत गोयल, आगरा आर्थोपेडिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. अतुल अग्रवाल, सचिव डॉ. अनुपम गुप्ता ने कहा कि लगभग हर तीसरे व्यक्ति को पैदल चलने पर पैरों में दर्द, सूजन की परेशानी बढ़ रही है। डॉ. डीवी शर्मा, डॉ. रवि सभरवाल, डॉ. संजय धवन, डॉ. राजेंद्र अरोड़ा, डॉ. मुकेश गोयल, डॉ. बृजेश शर्मा, डॉ. केएस दिनकर, डॉ. एके गुप्ता, डॉ. रजत कपूर, डॉ. विवेक मित्तल, डॉ. अश्वनी सड़ाना आदि मौजूद रहे।

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मोटापा भी डाल रहा असर
गुरुग्राम के डॉ. अनुज चावला ने बताया कि हड्डी रोगों में खासतौर से युवाओं में मोटापा भी बड़ी वजह है। हड्डियों पर दबाव पड़ने से टेढ़ा होना, जोड़ घिसने, सपाट तलवे, उम्र से पहले गठिया की शिकायत मिल रही है। जयपुर के डॉ. राहुल उपाध्याय और चंडीगढ़ के डॉ. चंदन नारंग ने बताया कि मोच भी हल्की और गंभीर होती है। लंबे समय के बाद मरीज इससे ताउम्र दर्द झेलते हैं और हड्डियों के विकार भी पनप जाते हैं। मोच आने पर विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें। कई बार सर्जरी भी करनी पड़ती है।

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ये दिए सुझाव
- छोटी चोट को नजरअंदाज नहीं करें। बर्फ की सिकाई करें।
- चार घंटे में चोट ठीक न होने पर विशेषज्ञ को दिखाएं।
- पेंसिल हील के सैंडल पहनने से बचें।
- लचकदार-आरामदायक जूते-चप्पल पहनें।
- नियमित टहलें और वजन न बढ़ने दें।
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