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Agra: यमुना एक्सप्रेस-वे अधिग्रहण का 11 साल बाद भी दर्द...किसानों को आधा मुआवजा और नौकरी का वादा अधूरा
संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Updated Fri, 26 Dec 2025 11:36 AM IST
सार
यमुना एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए 11 वर्ष पूर्व किए गए भू-अधिग्रहण का एत्मादपुर तहसील क्षेत्र के प्रभावित गांवों के किसानों को आज तक पूरा मुआवजा नहीं मिल सका है। अधिग्रहण के समय यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण द्वारा किए गए वायदों के अनुसार न तो किसानों को उनकी जमीन की पूरी धनराशि दी गई और न ही परिवार के किसी सदस्य को नौकरी उपलब्ध कराई गई।
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यमुना एक्सप्रेस वे
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
आगरा के चौगान और गढ़ी रामी से सटे नगला गोला निवासी वृद्ध किसान भूरी सिंह (70) का दर्द इसकी बानगी है। उन्होंने बताया कि भू-अधिग्रहण में उनकी 22 बीघा जमीन चली गई, लेकिन अब तक केवल आधा मुआवजा ही मिल पाया है। रोजगार के अभाव में वे पिछले सात-आठ वर्षों से कुबेरपुर इंटरचेंज पुल के नीचे टटिया डालकर चाय-पानी की छोटी दुकान चला रहे थे।
मंगलवार को पुलिस-प्रशासन द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान में उनकी यह दुकान भी हटा दी गई। इससे परिवार के भरण-पोषण का एकमात्र सहारा भी छिन गया। भूरी सिंह का कहना है कि अधिग्रहण के समय परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया गया था, जो आज तक पूरा नहीं हुआ। बुढ़ापे में यमुना एक्सप्रेस-वे के इंटरचेंज हाइवे किनारे दुकान चलाकर जैसे-तैसे परिवार का पेट पाल रहे थे, लेकिन अब मजदूरी की तलाश करनी पड़ेगी।
बुधवार को यमुना एक्सप्रेस-वे के कुबेरपुर इंटरचेंज कटों व आगरा-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान में प्रभावित अधिकांश अस्थायी चाय-नाश्ता दुकानदारों की स्थिति भी भूरी सिंह जैसी ही बताई जा रही है।
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मंगलवार को पुलिस-प्रशासन द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान में उनकी यह दुकान भी हटा दी गई। इससे परिवार के भरण-पोषण का एकमात्र सहारा भी छिन गया। भूरी सिंह का कहना है कि अधिग्रहण के समय परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया गया था, जो आज तक पूरा नहीं हुआ। बुढ़ापे में यमुना एक्सप्रेस-वे के इंटरचेंज हाइवे किनारे दुकान चलाकर जैसे-तैसे परिवार का पेट पाल रहे थे, लेकिन अब मजदूरी की तलाश करनी पड़ेगी।
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बुधवार को यमुना एक्सप्रेस-वे के कुबेरपुर इंटरचेंज कटों व आगरा-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान में प्रभावित अधिकांश अस्थायी चाय-नाश्ता दुकानदारों की स्थिति भी भूरी सिंह जैसी ही बताई जा रही है।
