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लॉकडाउन का एक साल: बदल गया जिंदगी जीने का तरीका, अब मास्क-सैनिटाइजर बने हिस्सा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, आगरा
Published by: Abhishek Saxena
Updated Wed, 24 Mar 2021 01:12 PM IST
सार
एक साल पहले लगा था ताला
- 22 मार्च को 14 घंटे का जनता कर्फ्यू
- 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा
- 15 अप्रैल से दूसरा लॉकडाउन शुरू
- 4 मई से तीसरा लॉकडाउन चला
- 18 मई से चौथा लॉकडाउन किया गया
- 01 जून से शुरू हुआ अनलॉक का पहला चरण
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लॉकडाउन में आगरा शहर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
आगरा में एक साल पहले लॉकडाउन ने जिंदगी जीने का तरीका पूरी तरह से बदल दिया। अनलॉक होने के बाद भी मास्क, काढ़ा, सैनिटाइजर जिंदगी का हिस्सा बन गया। ऑनलाइन क्लास जीवन का हिस्सा बनी तो हाथ मिलाने की जगह दूर से नमस्ते करना सीख गए। सुबह चाय की जगह काढ़ा पीने की आदत लगी तो सार्वजनिक परिवहन की जगह अपनी कार से यात्रा कर संक्रमण से बचाव किया।
लस्सी और शिकंजी को दी प्राथमिकता
आगरा। चाय की जगह शिकंजी, लस्सी को लोगों ने प्राथमिकता दी। खाने में फास्ट फूड छोड़कर लौकी, तौरई खाना शुरू कर दिया। सुबह चाय की जगह काढे़ ने ले ली।
मेहमानों को दे रहे मठ्ठा
कोरोना काल से हमने काढ़ा पीना शुरू किया। अब तो यह आदत में आ गया। मेहमानों को कोल्डड्रिंक की जगह मठ्ठा या लस्सी दे रहे हैं। - भाविका दियालानी, तेज नगर
घर का खाना पसंद आने लगा
फास्ट फूड की जगह घर में लौकी और तौरई बनने लगी। कोरोना ने हमें काफी कुछ पॉजिटिव भी दिया। रेस्टोरेंट के खाने की जगह घर का खाना पसंद आने लगा। - रुचि यादव, डिफेंस स्टेट
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लस्सी और शिकंजी को दी प्राथमिकता
आगरा। चाय की जगह शिकंजी, लस्सी को लोगों ने प्राथमिकता दी। खाने में फास्ट फूड छोड़कर लौकी, तौरई खाना शुरू कर दिया। सुबह चाय की जगह काढे़ ने ले ली।
मेहमानों को दे रहे मठ्ठा
कोरोना काल से हमने काढ़ा पीना शुरू किया। अब तो यह आदत में आ गया। मेहमानों को कोल्डड्रिंक की जगह मठ्ठा या लस्सी दे रहे हैं। - भाविका दियालानी, तेज नगर
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घर का खाना पसंद आने लगा
फास्ट फूड की जगह घर में लौकी और तौरई बनने लगी। कोरोना ने हमें काफी कुछ पॉजिटिव भी दिया। रेस्टोरेंट के खाने की जगह घर का खाना पसंद आने लगा। - रुचि यादव, डिफेंस स्टेट
लॉकडाउन में बंद लोहामंडी का क्षेत्र
- फोटो : अमर उजाला
ऑनलाइन पढ़ाई बनी जिंदगी का हिस्सा
मोबाइल, लैपटॉप छूते ही अभिभावक जिन बच्चों को रोकते थे, वही मोबाइल, लैपटॉप ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जरूरी बन गया। शुरूआत में परेशानी आईं, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों से लेकर बीटेक तक के विद्यार्थियों को रास आई। पहली बार शहर के बच्चों ने ऑनलाइन परीक्षा दी।
घर में स्टडी रूम बन गया
ऑनलाइन पढ़ाई से घर में स्टडी रूम बन गया। जगह तय हो गई। वही हमारा स्कूल बन गया, जहां ऑनलाइन पढ़ते रहे। -श्रुति, कमला नगर
समय सारिणी बनाकर पढ़ाई की
ऑनलाइन पढ़ाई ने काफी कुछ नया सिखाया। घर में पूरे दिन रहने से पहले कुछ दिक्कत हुई पर इसके बाद घर में स्कूल जैसा ही समय सारिणी बनाकर पढ़ाई की। - तमन्ना, प्रेमानंद कुंज
मोबाइल, लैपटॉप छूते ही अभिभावक जिन बच्चों को रोकते थे, वही मोबाइल, लैपटॉप ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जरूरी बन गया। शुरूआत में परेशानी आईं, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों से लेकर बीटेक तक के विद्यार्थियों को रास आई। पहली बार शहर के बच्चों ने ऑनलाइन परीक्षा दी।
घर में स्टडी रूम बन गया
ऑनलाइन पढ़ाई से घर में स्टडी रूम बन गया। जगह तय हो गई। वही हमारा स्कूल बन गया, जहां ऑनलाइन पढ़ते रहे। -श्रुति, कमला नगर
समय सारिणी बनाकर पढ़ाई की
ऑनलाइन पढ़ाई ने काफी कुछ नया सिखाया। घर में पूरे दिन रहने से पहले कुछ दिक्कत हुई पर इसके बाद घर में स्कूल जैसा ही समय सारिणी बनाकर पढ़ाई की। - तमन्ना, प्रेमानंद कुंज
सुरक्षित लगने लगी कार की सवारी
बस और ऑटो की जगह अपनी कार से सफर करने वालों की संख्या बढ़ी। कमला नगर के मोहित जैन ने बताया कि वह फैक्टरी तक स्कूटर से ही जाया करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद कार खरीदी। आवास विकास कॉलोनी के गौरव ने बताया कि संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। ऐसे में खुद के साथ परिवार को सुरक्षित रखने के लिए कार होना जरूरी था।
9866 कारों का पंजीकरण हुआ
एक मार्च 2020 से 28 फरवरी 2021 तक आरटीओ कार्यालय में में 9866 कारों का पंजीयन कराया गया। इसके अलावा अस्थायी पंजीयन वाली कारों का आंकड़ा भी दो हजार के लगभग रहा। - एके सिंह, एआरटीओ (प्रशासन), संभागीय परिवहन कार्यालय
पूरे सीजन में बिक्री अच्छी रही
लॉकडाउन के बाद बाजार खुला तो कार की बिक्री में तेजी आई। पहले त्योहार के सीजन में बिक्री में तेजी आती थी, पर इस बार पूरे सीजन में कार की बिक्री अच्छी रही है। यह कार बाजार के लिए अच्छे संकेत हैं। - रोहित गर्ग, निदेशक, एनआरएल कॉर्स, , बाईपास रोड
बस और ऑटो की जगह अपनी कार से सफर करने वालों की संख्या बढ़ी। कमला नगर के मोहित जैन ने बताया कि वह फैक्टरी तक स्कूटर से ही जाया करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद कार खरीदी। आवास विकास कॉलोनी के गौरव ने बताया कि संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। ऐसे में खुद के साथ परिवार को सुरक्षित रखने के लिए कार होना जरूरी था।
9866 कारों का पंजीकरण हुआ
एक मार्च 2020 से 28 फरवरी 2021 तक आरटीओ कार्यालय में में 9866 कारों का पंजीयन कराया गया। इसके अलावा अस्थायी पंजीयन वाली कारों का आंकड़ा भी दो हजार के लगभग रहा। - एके सिंह, एआरटीओ (प्रशासन), संभागीय परिवहन कार्यालय
पूरे सीजन में बिक्री अच्छी रही
लॉकडाउन के बाद बाजार खुला तो कार की बिक्री में तेजी आई। पहले त्योहार के सीजन में बिक्री में तेजी आती थी, पर इस बार पूरे सीजन में कार की बिक्री अच्छी रही है। यह कार बाजार के लिए अच्छे संकेत हैं। - रोहित गर्ग, निदेशक, एनआरएल कॉर्स, , बाईपास रोड
स्कूल बंद तो गुजराती व्यंजन का कारोबार किया शुरू
लॉकडाउन में जब स्कूल, कॉलेज बंद हुए तो निजी स्कूल में प्रधानाचार्य पद पर रहे अवनीश और अपर्णा भट्ट ने नौकरी छोड़ गुजराती व्यंजन बेचने का कारोबार शुरू किया। गोकुलपुरा निवासी अवनीश और अपर्णा के मुताबिक ई-कॉमर्स साइट पर मार्केटिंग की तो धीरे-धीरे आर्डर बढ़ने लगे। महर्षिपुरम निवासी ज्योति शर्मा ने बताया कि नौ साल से एंकरिंग कर रही थीं, पर लॉकडाउन में रेशम के धागे को लपेटकर आकर्षक चूड़ियां बनाकर बिक्री करते लगीं। टेढ़ी बगिया निवासी मनीष ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला अचार बेचना शुरू किया। उन्होंने 38 तरह के अचार बनाए।
वर्क फ्रॉम होम से परिवार के साथ कर रहे काम
कंप्यूटर साइंस से बीटेक सिद्धांत अग्रवाल मुंबई में दो साल से काम करे थे। लॉकडाउन लगा तो आगरा आ गए। एक साल से वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। उनकी तरह हजारों युवा आगरा से ही वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। लॉकडाउन परिवार के साथ रहकर काम करने का नया तरीका सिखा गया।
लॉकडाउन में जब स्कूल, कॉलेज बंद हुए तो निजी स्कूल में प्रधानाचार्य पद पर रहे अवनीश और अपर्णा भट्ट ने नौकरी छोड़ गुजराती व्यंजन बेचने का कारोबार शुरू किया। गोकुलपुरा निवासी अवनीश और अपर्णा के मुताबिक ई-कॉमर्स साइट पर मार्केटिंग की तो धीरे-धीरे आर्डर बढ़ने लगे। महर्षिपुरम निवासी ज्योति शर्मा ने बताया कि नौ साल से एंकरिंग कर रही थीं, पर लॉकडाउन में रेशम के धागे को लपेटकर आकर्षक चूड़ियां बनाकर बिक्री करते लगीं। टेढ़ी बगिया निवासी मनीष ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला अचार बेचना शुरू किया। उन्होंने 38 तरह के अचार बनाए।
वर्क फ्रॉम होम से परिवार के साथ कर रहे काम
कंप्यूटर साइंस से बीटेक सिद्धांत अग्रवाल मुंबई में दो साल से काम करे थे। लॉकडाउन लगा तो आगरा आ गए। एक साल से वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। उनकी तरह हजारों युवा आगरा से ही वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। लॉकडाउन परिवार के साथ रहकर काम करने का नया तरीका सिखा गया।