नहीं कर सकी छात्रा नीट का आवेदन: सिर पर दुपट्टे को हिजाब जान लेखपाल ने जाति प्रमाण पत्र अस्वीकारा, बैठी जांच
युवती ने जाति प्रमाण पत्र के लिए जो आवेदन किया, उसमें लगे फोटो पर युवती ने सिर दुपट्टे से ढका (हिजाब) था। बस उस फोटो के आधार पर जाति को संदिग्ध मानते हुए आवेदन निरस्त कर दिया।

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सरकारी सिस्टम की लापरवाही की भी इंतिहा है। डॉक्टर बनने की चाहत लिए नीट की तैयारी कर रही एक युवती की एक साल लेखपाल की लापरवाही के चलते खराब हो गई। वजह यह थी कि युवती ने जाति प्रमाण पत्र के लिए जो आवेदन किया, उसमें लगे फोटो पर युवती ने सिर दुपट्टे से ढका (हिजाब) था। बस उस फोटो के आधार पर जाति को संदिग्ध मानते हुए आवेदन निरस्त कर दिया।

लेखपाल ने यह कृत्य एक बार नहीं, बल्कि तीन बार किया। एक बार भी उसने युवती के गांव जाना या फोन पर जानकारी करना मुनासिब नहीं समझा। इसके चलते युवती नीट का फार्म नहीं भर सकी। इस बार वह परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेगी। जिसकी शिकायत 9 अप्रैल को युवती ने डीएम से की है।
मामला कोल तहसील के शहर से सटे गांव मंजूरगढ़ी का है। मामूली मजदूर सुरेंद्र सिंह के छोटे से घर में पली बढ़ी बेटी हेमा कश्यप ने डॉक्टर बनने का सपना देखा। इसके लिए वह साल भर से जी तोड़ मेहनत में जुटी थी। उसके घर की हालत इतनी अच्छी नहीं कि परिजन पढ़ाई का बोझ उठा सकें। मगर उसने परिवार का सहारा बनने के लिए ये सपना देखा।
इसी सपने को पूरा करने के लिए उसने नीट की परीक्षा का फार्म भरा। जिसमें उससे जाति प्रमाण पत्र मांगा गया। इस पर उसने 19 मार्च को जाति प्रमाण पत्र ऑनलाइन आवेदन। जिस समय उसने आवेदन किया। उस समय फोटो खिंचवाया गया। उसने महज गर्मी के चलते अपने सिर पर दुपट्टा ढक रखा था। वही फोटो आवेदन में लगा दिया। जब लेखपाल के समक्ष यह फार्म पहुंचा तो उसने दुपट्टे यानि हिजाब वाले फोटो के आधार पर जाति संदिग्ध मानते हुए आवेदन निरस्त कर दिया।
पहली बार युवती को लगा कि कहीं कोई भूल हुई है। युवती ने इस तरह लगातार तीन बार आवेदन किया। तीनों बार आवेदन निरस्त किया गया। तीसरी बार में जवाब आया कि आपकी जाति संदिग्ध हैं। इसलिए आवेदन अस्वीकार किया गया है। ऐसे में उसके नीट के फार्म में जाति प्रमाण पत्र लगाने की तिथि निकल गई। मतलब वह फार्म पूरा नहीं कर पाई।
अब वह परीक्षा में नहीं शामिल हो सकेगी। इसके चलते उसकी एक वर्ष से चल रही मेहनत बेकार हो गई। इससे उसके आंसू नहीं थमे। मगर वह पहले तहसीदार के पास गई। मामला सुन उन्होंने लेखपाल को बुलाकर फटकारा। तब लेखपाल ने कहा कि आप फिर से आवेदन कर दो। वह बना देगा। मगर हेमा गुस्से में बुधवार को डीएम से मिली। पूरे मामले में डीएम ने जांच व कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
यह प्रकरण संज्ञान में आया है। मामले में लेखपाल के खिलाफ जांच बिठाई गई है। जवाब भी तलब किया गया है। जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।-दिग्विजय सिंह, एसडीएम कोल
अब मुझे सिर्फ प्रमाण पत्र ही नहीं चाहिए, बल्कि न्याय भी चाहिए। जिस तरह से मेरा सपना लेखपाल की लापरवाही से टूटा है। उस पर भी कार्रवाई हो। दुपट्टा मेरी पहचान नहीं, वह सनातनी संस्कृति का हिस्सा है। मेरी पहचान मेरी मेहनत है।-हेमा कश्यप, युवती