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गांव छोड़ जाने लगे किसान: अलीगढ़ में उफनी यमुना नदी, खेत डूबे, रास्ते बंद, 10 गांवों के लोग कल के लिए फिक्रमंद

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Thu, 04 Sep 2025 03:10 PM IST
सार

महाराजगढ़, शेरपुर, ऊंटासानी, मिर्जापुर, पखौंदनास, नगला चंडी, नगला रामस्वरूप, नगला अमर सिंह, घरबरा और लालुपुर गांव के लोगों की फसलें पानी में डूब गई हैं। खेत तो कहीं दिख ही नहीं रहे। तस्वीर ऐसी है कि मानो खेतों ने नहरों का रूप ले लिया हो।

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Flood like situation in Aligarh Tappal
टप्पल के गांव महाराजगढ़ में पानी में जाते खैर विधायक सुरेंद्र दिलेर - फोटो : संवाद
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विस्तार
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अलीगढ़ में टप्पल ब्लॉक के 10 गांव इस समय रात भर जाग रहे हैं। यमुना का पानी गांवों तक पहुंच गया है। कल क्या होगा। फसलें चौपट हो जाएंगी। अगर पानी और बढ़ गया तब कहां जाएंगे। हर किसी के जेहन में यही सवाल गूंज रहे हैं। इस समय हर शख्स कल के लिए फिक्रमंद है। कई लोगों के मकानों में तो दरारें आ गईं हैं। अफसर भी खतरा बताते हुए घर खाली करने को कह रहे हैं।

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महाराजगढ़, शेरपुर, ऊंटासानी, मिर्जापुर, पखौंदनास, नगला चंडी, नगला रामस्वरूप, नगला अमर सिंह, घरबरा और लालुपुर गांव के लोगों की फसलें पानी में डूब गई हैं। खेत तो कहीं दिख ही नहीं रहे। तस्वीर ऐसी है कि मानो खेतों ने नहरों का रूप ले लिया हो। महाराजगढ़ के खूबचंद ने बताया कि उनकी खेती डूब चुकी है। जब पानी उतरेगा तो पता चलेगा कि क्या स्थिति है। लेकिन जिस तरह से पानी भरा है उससे लगता नहीं कि कुछ बचा होगा। 
टप्पल में बाढ़ जैसे हालात
शेरपुर गांव के रामवीर सिंह का कहना था कि इस बार धान की फसल बहुत अच्छी थी। लेकिन बाढ़ ने हालात बिगाड़ दिए हैं। ऊंटासानी गांव के जयदेव भी फसलों को लेकर बहुत फिक्रमंद हैं। मक्का और बाजरा की फसल थी। बाढ़ ने सब बेकार कर दिया है। अब तो डर यह है कि पानी अब कहीं हमारा ठिकाना न छीन ले। पखौदरा के डालचंद्र ने बताया कि रात को लोग सो भी नहीं पा रहे हैं। कभी रात को पानी बढ़ने का हल्ला मचता है तो कभी हथिनी कुंड से पानी छोड़े जाने का शोर।
अलीगढ़ में बाढ़ जैसे हालात
टप्पल के गांव महाराजगढ़ में जलस्तर बढ़ा है। शेष गांवों में पिछले दिन जैसी स्थिति है। बाढ़ चौकियों पर लोगों के लिए खाने और पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की गई है। राहत एवं बचाव के सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। एनडीआरएफ और पीएसी तैनात है। कुछ स्थानों पर मकानों में दरारें पाई गईं हैं, जिनका आकलन जलस्तर उतरने पर किया जाएगा। धान की फसल बच जाएगी लेकिन अन्य फसलों के नुकसान का सर्वे कराया जाएगा।-शिशिर सिंह, एसडीएम खैर

20 हजार बीघा फसल का नुकसान

हालांकि अभी कोई नुकसान का आकलन नहीं हुआ है लेकिन दस गांव की खेती का रकबा देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि करीब बीस हजार बीघा फसल को नुकसान पहुंचा है। क्योंकि फसलें पूरी तरह से डूबी हुईं हैं। किसानों का कहना है कि चारे का भी संकट खड़ा हो गया है। पशुओं के लिए चारा भी नहीं है। नगला चंडी के कल्लू सिंह और नगला रामस्वरूप के प्रिंस शर्मा ने बताया कि दूर तक खेत तो दिख ही नहीं रहे हैं। हर तरफ पानी ही पानी है। ऐसे में फसल तो कहीं बची ही नहीं होगी।
टप्पल में बाढ़ जैसा नजारापानी कम होने पर होगा नुकसान का आकलन
अलीगढ़ के एडीएम वित्त एवं राजस्व प्रमोद कुमार ने बताया कि राहत के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। जब यमुना का पानी उतर जाएगा तब नुकसान का आकलन कराया जाएगा। किस फसल को नुकसान पहुंचा है इसकी भी जांच कराई जाएगी।
टप्पल में बाढ़ जैसे हालात
बाढ़ राहत कोष में वेतन देंगे रालोद सांसद व विधायक
राष्ट्रीय लोक दल के जिलाध्यक्ष चौधरी हम्वीर सिंह ने कहा कि उत्तर भारत में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए बाढ़ राहत कोष में पार्टी के सांसद, विधायक व एमएलसी एक महीने का वेतन देंगे। उन्होंने कहा कि यह आदेश राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री चौधरी जयंत सिंह ने दिए हैं। यह सराहनीय कदम है। हम सबको बाढ़ पीड़ितों की मदद करनी चाहिए। 

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