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धोखाधड़ी: मेरठ आरएएफ के नाम से फर्जी ऑर्डर पर मंगाए चार स्नूकर टेबिल, जब पहुंचा माल, खुला राज
अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़
Published by: चमन शर्मा
Updated Fri, 21 Nov 2025 05:21 PM IST
सार
सक्षम-हर्षित के अनुसार अधिकारी ऑर्डर देख दंग रह गए। वह बिल्कुल उनकी बटालियन की हूबहू नकल थी। बस उस पर ई-मेल आईडी गलत दर्ज थी। मोहर किसी कपिल शुक्ला ग्रुप कैप्टन, कमांडिंग ऑफिसर एयरपोर्स इंटेलीजेंस के नाम की लगी थी। जिसे देख माना गया कि यह ऑर्डर फर्जी है।
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धोखाधड़ी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
साइबर ठग किसी भी हद तक पहुंच जा रहे हैं। अब शहर के एक सप्लायर को मेरठ की 108 आरएएफ बटालियन के नाम का फर्जी ऑर्डर भेजकर चार स्नूकर टेबिल मंगा लिए। सप्लायर भी माल लेकर 18 नवंबर को मेरठ आरएएफ पहुंच गए। जब बात अधिकारियों तक पहुंची तो भेद खुला कि ऑर्डर फर्जी है। हूबहू आरएएफ का पर्चेज ऑर्डर देख पहले तो अधिकारी दंग रह गए। मगर उस पर अंकित ई-मेल व मोहर से स्पष्ट हुआ कि यह ऑर्डर फर्जी है। अब सप्लायर अपना माल वापस ले आए हैं। साइबर ठग पर आरएएफ स्तर से कार्रवाई की जाएगी।
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घटनाक्रम की शुरुआत 5 नवंबर से हुई। बन्नादेवी के नई बस्ती में पीतल उत्पाद बनाने व सप्लाई का काम करने वाली फर्म संचालक सक्षम सारस्वत व हर्षित सारस्वत संगे भाई हैं। उनके पास पहले दिन यह कॉल आया कि मेरठ परतापुर स्थित 108 आरएएफ बटालियन को चार छोटी स्नूकर टेबिल चाहिए। आप अपना कुटेशन भेज दीजिए। इस पर फर्म की ओर से चार टेबिलों का 5.20 लाख का कुटेशन भेज दिया गया। इसके दो दिन बाद उधर से पर्चेज ऑर्डर भेज दिया गया। इस पर फर्म संचालक मंगलवार को चार टेबिल लेकर मेरठ आरएएफ पहुंचे। वे अभी बाहर खड़े थे, तभी ऑर्डर भेजने वाले का यह कॉल आया कि आप अपने यूपीआई से 5 रुपये भेज दो। वे उसी यूपीआई पर अभी माल का भुगतान कर देंगे। मगर तब तक वे आरएएफ के अंदर पहुंच गए। जहां वे पहले पर्चेज अधिकारी व बाद में सेनानायक से मिले। जहां उन्हें ऑर्डर के संबंध में बताते हुए पर्चेज ऑर्डर भी दिखाया।
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सक्षम-हर्षित के अनुसार अधिकारी ऑर्डर देख दंग रह गए। वह बिल्कुल उनकी बटालियन की हूबहू नकल थी। बस उस पर ई-मेल आईडी गलत दर्ज थी। मोहर किसी कपिल शुक्ला ग्रुप कैप्टन, कमांडिंग ऑफिसर एयरपोर्स इंटेलीजेंस के नाम की लगी थी। जिसे देख माना गया कि यह ऑर्डर फर्जी है। इस पर आरएएफ अधिकारियों ने ऑर्डर करने वाले नंबर पर बात शुरू की तो उसने फोन काटकर मोबाइल बंद कर दिया। इसके बाद दोनों भाइयों को माल वापस ले जाने की सलाह दी गई। वहीं नंबर, मेल आईडी व उसके साथ मिले साहिल कुमार के नाम के पेनकार्ड धारक पर कार्रवाई आरएएफ स्तर से कराए जाने की बात कही गई।
इस तरह की ठगी की कोशिश
सक्षम-हर्षित के अनुसार जब उनसे पांच रुपये यूपीआई के जरिये मांगे गए तो उन्होंने एतराज जताया था कि वे तो माल लेकर बटालियन में पहुंच गए। आप नकद दे दें या फर्म के नाम से चेक दे दें। मगर वह टालने लगा। अब उन्हें समझ में आया कि वे अगर यूपीआई में 5 रुपये डाल देते तो शायद ठग उनके खाते से रकम पार कर देते। कुल मिलाकर वे बड़ी ठगी से बच गए। हां, उनका माल यहां से ले जाने व लाने में 20 हजार रुपये जरूर खर्च हो गया।