Medicine: जीएसटी-एमआरपी घटी, पर दवाओं के दाम नहीं घटे, जनता की जेब हो रही ढीली
15 दिसंबर को मेरठ में एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। रिटेल केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश की इस प्रदेश स्तरीय बैठक में खुदरा दवा व्यापारी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे।
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केंद्र सरकार द्वारा दवाओं पर जीएसटी की दर को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किए जाने के बावजूद खुदरा बाजार में आम जनता को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। दवा कंपनियों द्वारा एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) घटाने के बाद भी दवाइयों के दाम कम नहीं हो रहे हैं।
दवा व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी में छह से सात फीसदी की कटौती का सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए, लेकिन थोक बाजार में कीमतें बढ़ जाने के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। अब यह मुद्दा प्रदेश स्तर की बैठक में उठने भी जा रहा है।
15 दिसंबर को मेरठ में एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। रिटेल केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश की इस प्रदेश स्तरीय बैठक में खुदरा दवा व्यापारी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे। एसोसिएशन का मानना है कि आम जनता को लाभ तभी मिल पाएगा, जब राज्य स्तर की एसोसिएशन इस विषय पर मंथन कर दवा कंपनियों से सीधी बातचीत करेगी।
दवा की कीमतों के नियमन के लिए नेशनल फार्मेस्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी उत्तरदायी है। वही बाजार में इनकी कीमतों की निगरानी करती है। - दीपक लोधी, औषधि निरीक्षक
थोक रेट बढ़ने से लाभ रुका
रिटेल केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन के महामंत्री उमेश श्रीवास्तव ने इस समस्या का मुख्य कारण थोक बाजार में बढ़ी हुई कीमतों को बताया। उन्होंने कहा कि या तो दवा कंपनियों ने थोक के रेट बढ़ा दिए हैं, या फिर स्वयं व्यापारियों ने बढ़ा दिए हैं। जो भी वजह हो, थोक के रेट बढ़े हुए हैं। इसका सीधा लाभ आम जनता को नहीं मिल पा रहा है।
रिटेलर्स को कम दाम पर देनी चाहिए
अलीगढ़ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह टिल्लू ने इस बात पर जोर दिया कि नया माल जिसकी एमआरपी कम होकर आ रही है, उसे रिटेलर्स को घटी हुई दर पर ही ग्राहकों को देना चाहिए। थोक मार्केट में व्यापारियों को माल घटी हुई दर पर ही दिया जा रहा है।