लड़की बनने को लड़के ने काटा निजी अंग: खुद लगाया एनेस्थीसिया का इंजेक्शन... पट्टी की, छह घंटे बाद हुआ ऐसा हाल
एक निजी चिकित्सक के कहने पर छात्र ने एनेस्थीसिया का इंजेक्शन, सर्जिकल ब्लेड, रुई और बाकी सामान खरीदा। फिर कमरे में अकेले ही खुद को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया। इससे कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया। फिर अपने ही हाथों से निजी अंग काट दिया और मरहम पट्टी कर ली।

विस्तार
लड़का से लड़की बनने की चाहत में एक प्रतियोगी छात्र (17 वर्ष) ने अपना निजी अंग काट दिया। इससे पहले एक निजी चिकित्सक की सलाह पर उसने कमरे पर ही स्वयं एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाने के बाद यह कृत्य किया। एनेस्थीसिया का असर खत्म होने के बाद जब वह दर्द से व्याकुल हो उठा तो मकान मालिक की मदद से बेली अस्पताल लाया गया, जहां से उसे एसआरएन अस्पताल रेफर कर दिया गया।

परिजनों और स्वास्थ्यकर्मियों से मिली जानकारी के अनुसार, अमेठी निवासी छात्र इन दिनों प्रयागराज सिविल लाइंस एरिया में किराये का कमरा लेकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। उसके पिता एक किसान हैं और वह माता-पिता की इकलौती संतान है। सीबीएसई बोर्ड से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद परिजनों ने बड़ी उम्मीदों के साथ उसे ग्रेजुएशन के साथ यूपीएससी की तैयारी करने के लिए प्रयागराज भेजा था, लेकिन उसके मन में कुछ और ही चल रहा था।
'लड़की बनने के लिए पहले निजी अंग काटना होगा'
अक्सर वह गूगल और यू-ट्यूब पर लड़का से लड़की बनने की जानकारी लेता था। इसी दौरान वह प्रयागराज में कटरा के एक निजी चिकित्सक से मिला और इस संबंध में जानकारी ली। उसने बताया कि मैं लड़की की तरह फील करता हूं पर शरीर से लड़का हूं। उसने चिकित्सक से लड़की बनने की इच्छा जाहिर की। इस पर डॉक्टर ने कहा कि तुम्हें इसके लिए सबसे पहले अपना निजी अंग काटना होगा। उन्होंने पूरा तरीका भी समझाया कि घर पर ही ये सब कैसे कर सकते हैं।
कटरा के निजी चिकित्सक से सलाह लेकर खुद खरीद लगाया सर्जिकल ब्लेड और बाकी सामान
उनके कहने पर छात्र ने एनेस्थीसिया का इंजेक्शन, सर्जिकल ब्लेड, रुई और बाकी सामान खरीदा। फिर कमरे में अकेले ही खुद को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया। इससे कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया। फिर अपने ही हाथों से निजी अंग काट दिया और मरहम पट्टी कर ली। करीब छह घंटे बाद एनेस्थीसिया का असर कम होने पर वह दर्द से तड़प उठा। दर्द की दवा खाने पर भी कुछ आराम नहीं मिला तो मदद के लिए मकान मालिक को आवाज लगाई। इसके बाद एंबुलेंस की मदद से उसे बेली अस्पताल लाया गया, जहां से एसआरएन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। यहां सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संतोष सिंह ने प्राथमिक उपचार के बाद केस को प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हवाले कर दिया।
पीड़ित बोला - मुझे लड़कियों में इंट्रेस्ट नहीं
अस्पताल पहुंचे पीड़ित छात्र ने चिकित्सकों की पूछताछ में बताया कि मुझे लड़कियों में कोई इंट्रेस्ट ही नहीं है। मुझे लगता है कि मेरी आवाज भी लड़कियों जैसी ही है। चलने का स्टाइल भी उनके जैसा है, इसलिए मैं जेंडर चेंज करना चाहता था, इस कारण यह सब किया। मुझे पता नहीं था कि इसमें मेरी जान जा सकती थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
मां बोली- बेटे को बनाना चाहती थी आईएएस
बेटे को लेकर बड़े सपने हैं। इस कारण उसे यूपीएससी की तैयारी के लिए प्रयागराज भेजा था। पता नहीं था कि उसके भीतर क्या चल रहा है। उसने इस संबंध में कभी कुछ बताया ही नहीं। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि अब क्या करूं। अब ईश्वर से प्रार्थना है कि किसी तरह से मेरा बेटा पूरी तरह से ठीक हो जाए।
पीड़ित को अब हुआ गलती का एहसास
लड़की बनने की चाहत में छात्र ने अपना निजी अंग खुद से काट लिया। अब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ है। पीड़ित और परिजनों की सहमति के बाद उसे प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रेफर किया गया है। - डॉ. संतोष सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसआरएन अस्पताल।
सामान्य स्थिति में लाने का कर रहे प्रयास
कोशिश किया जा रहा है कि लड़के को वापस पहले की तरह सामान्य स्थिति में लाया जा सके। फिलहाल केस को पूरी तरह से समझने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। -डॉ. मोहित जैन, विभागाध्यक्ष, प्लास्टिक सर्जरी विभाग, एसआरएन अस्पताल।
इसे जेंडर आइडेंटिटी डिसआर्डर कहा जाता है। इसमें लोग अपने जेंडर से संतुष्ट नहीं होते हैं और खुद से घृणा करने लगते हैं। इसके लिए बाकायदा लोगों की काउंसलिंग होती है। वर्तमान में इस प्रकार के कई मामले सामने आए हैं, जिसमें लोग अपने जेंडर से संतुष्ट नजर नहीं आए हैं। -डॉ. राकेश पासवान, मनोचिकित्सक, कॉल्विन अस्पताल।
समाज में महिला सम्मान के प्रति आकर्षण भी इसका एक कारण हो सकता है। इसमें व्यक्ति पुरुषों के प्रति सम्मान कम महसूस करता है और खुद को नारी के रूप में स्थापित करना चाहता है। इसके अलावा आसपास के समाज में पुरुषों को कम सम्मान मिलना जैसी भावना का मन में जन्म लेना भी एक कारण हो सकता है। -प्रो. आशीष सक्सेना, विभागाध्यक्ष, समाज शास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय।
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