माघ मेला : ध्वस्त हुए इंतजाम, कल्पवासियों की वापसी के दौरान जाम में फंसकर दिनभर रेंगते रहे वाहन
पिछले कई दिनों से जाम की समस्या से दो-चार हो रहे संगमनगरी के लोगों को रविवार को एक बार फिर भीषण जाम से जूझना पड़ा। माघ मेले के अंतिम स्नान पर्व माघी पूर्णिमा के दिन यातायात व्यवस्था सुचारू करने के लिए किए गए इंतजाम ध्वस्त हो गए।
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पिछले कई दिनों से जाम की समस्या से दो-चार हो रहे संगमनगरी के लोगों को रविवार को एक बार फिर भीषण जाम से जूझना पड़ा। माघ मेले के अंतिम स्नान पर्व माघी पूर्णिमा के दिन यातायात व्यवस्था सुचारू करने के लिए किए गए इंतजाम ध्वस्त हो गए। मेला क्षेत्र और आसपास के इलाकों में दिनभर वाहन रेंगते रहे।
माघी पूर्णिमा पर रविवार को सुबह से ही कल्पवासियों की मेला क्षेत्र से वापसी का सिलसिला शुरू हो गया। उधर अंतिम स्नान पर्व होने के कारण बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भी मेला क्षेत्र का रुख किया। इसके चलते देखते ही देखते मेला क्षेत्र तक जाने और वापसी के सभी मार्गों पर वाहनों की कतार लग गई। यह कतार बीतते वक्त के साथ और लंबी होती गई और दोपहर दो बजे के बाद हालात दुश्वार होने लगे। जीटी जवाहर, अलोपी चुंगी, हर्षवर्धन चौराहा, नया पुल, बांगड़ चौराहा सोहबतियाबाग समेत आसपास के अन्य इलाकों में जाम की समस्या खड़ी हो गई।
अंतिम स्नान पर्व होने के चलते पुलिस अमला पहले से ही अलर्ट था, जिसके चलते जगह-जगह ट्रैफिक पुलिस के साथ ही संबंधित थानों की पुलिस को भी तैनात किया गया था। दोपहर बाद जाम की स्थिति और गंभीर होने लगी। जैसे-जैसे वापसी करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई सड़क पर वाहनों की कतार लंबी होती गई और इसके चलते कुछ मिनटों में तय किए जाने वाला सफर घंटों में पूरा हो चुका। उधर मेला क्षेत्र में भी सभी मार्ग वाहनों से पटे रहे।
शाम तक कमोबेश यही स्थिति बनी रही। शाम सात बजे के बाद थोड़ी राहत मिली और फिर यातायात व्यवस्था सुचारू हो सकी। एडीसीपी ट्रैफिक सीताराम ने बताया कि बड़ी संख्या में मेला क्षेत्र से कल्पवासियों ने वापसी की। साथ ही अंतिम स्नान पर्व व रविवार का दिन होने के चलते बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भी संगम का रुख किया। इसके चलते वाहनों का आवागमन धीमी गति से हुआ। हालांकि जाम की बात सामने नहीं आई।
मेला क्षेत्र से निकले 3200 वाहन
उधर माघी पूर्णिमा पर रविवार को मेला क्षेत्र से कल्पवासियों के 3200 वाहन निकले। इन सभी वाहनों पर कल्पवासी सवार थे और उनके सामान लदे हुए थे।