Prayagraj : ई-कॉमर्स कंपनियों को देनी होगी हर उत्पाद की पूरी जानकारी, बाट माप विभाग रखेगा निगरानी
ई-कॉमर्स कंपनियों की निगरानी बढ़ा दी गई है। उन्हें अब हर उत्पाद की पूरी जानकारी देनी होगी। उत्पाद से संबंधित अफसरों के मोबाइल नंबर भी देने होंगे। नए प्रावधान के तहत यह पूरी जानकारी कंपनी को पैकेट के अलावा अपने पोर्टल पर भी देनी होगी।
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ई-कॉमर्स कंपनियों की निगरानी बढ़ा दी गई है। उन्हें अब हर उत्पाद की पूरी जानकारी देनी होगी। उत्पाद से संबंधित अफसरों के मोबाइल नंबर भी देने होंगे। नए प्रावधान के तहत यह पूरी जानकारी कंपनी को पैकेट के अलावा अपने पोर्टल पर भी देनी होगी। बाट माप विभाग की ओर से नए प्रावधान के तहत कंपनियों को सूचीबद्ध करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
ऑनलाइन बाजार के विस्तार के साथ धोखाधड़ी की शिकायतें भी बढ़ने लगी हैं। पोर्टल पर पूरी जानकारी न देने की शिकायत सामान्य है। इसके अलावा गलत सूचनाएं देने की भी शिकायतें हैं। मुश्किल यह कि शिकायत कहां करें कंपनियां इसकी भी जानकारी नहीं देती हैं और न ही किसी अफसर का मोबाइल नंबर होता है।
इसे देखते हुए कई नए प्रावधान लागू किए गए हैं। जिला बाप माप अधिकारी संजय सरोज का कहना है कि उत्पाद के वजन, लंबाई, चौड़ाई समेत गुणवत्ता से संबंधित अन्य जानकारी के साथ उत्पादक देश और अन्य विवरण भी देना होगा।
उन्होंने बताया कि ई-कॉमर्स कंपनियों पर नियंत्रण के लिए नया प्रावधान लागू किया गया है। इसके तहत कंपनियों को पैकेट के साथ पोर्टल पर भी पूरा विवरण देना होगा। संजय सरोज ने बताया कि कंपनियों को अब शिकायत निस्तारण अधिकारी के मोबाइल नंबर, ई-मेल आदि का विवरण भी देना होगा ताकि उपभोक्ता खराब उत्पाद की शिकायत करने के साथ समाधान प्राप्त कर सकें।
बाट माप विभाग में सूचीबद्ध होंगे कंपनियों के स्टोर
नया प्रावधान लागू होने के साथ बाट माप विभाग की ओर से ई-कॉमर्स कंपनियों और उनके स्टोर को सूचीबद्ध करने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है ताकि निगरानी बढ़ाने के साथ समय-समय पर उत्पादों की जांच कराई जा सके। विभाग के सहायक नियंत्रक अरविंद यादव का कहना है कि ऑनलाइन उत्पाद की बिक्री से जुड़ीं कई कंपनियों को सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने पंजीकरण भी कराया है। अन्य कंपनियों को भी जल्द सूचीबद्ध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ज्यादातर कंपनियों के शहर में कई स्थानों पर स्टोर हैं। उनका भी विवरण तैयार किया जा रहा है।
जुर्माने के रूप में वसूले गए लाखों रुपये
सहायक नियंत्रक अरविंद यादव ने बताया कि खराब उत्पाद देने की वजह से एक प्रतिष्ठित कंपनी से दो अलग-अलग मामलों में दो लाख रुपये जुर्माने के रूप में वसूले गए। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में ई-कॉमर्स कंपनियों से 15 लाख रुपये से अधिक की वसूली की जा चुकी है।