{"_id":"658be109fc2d5436610a7f20","slug":"electricity-wires-are-not-even-installed-in-a-large-part-of-sector-4-5-construction-of-four-pontoon-bridges-i-2023-12-27","type":"story","status":"publish","title_hn":"Magh Mela : सेक्टर चार-पांच के बड़े हिस्से में बिजली के तार तक नहीं लगे, चार पांटून पुलों का निर्माण अधूरा","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Magh Mela : सेक्टर चार-पांच के बड़े हिस्से में बिजली के तार तक नहीं लगे, चार पांटून पुलों का निर्माण अधूरा
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 27 Dec 2023 02:02 PM IST
सार
पीडब्ल्यूडी का काम सबसे अधिक पिछड़ा है। छह में से सिर्फ दो पांटून पुलों का निर्माण पूरा हो सका है। इसमें भी सिर्फ एक ही महावीर पांटून पुल पूरी तरह चालू हो सका है। ओल्डजीटी के पीपे जोड़ दिए गए हैं और दो पहिया वाहन भी उस पर चलाए जा रहे हैं, लेकिन अभी चार पहिया वाहनों के लिए इसे नहीं खोला जा सका है।
विज्ञापन
माघ मेले में भूमि आवंटित करते मेला प्राधिकरण के कर्मचारी।
- फोटो : अमर उजाला।
विज्ञापन
विस्तार
माघ मेले का काम पूरा करने की तारीख बीत गई, लेकिन सेक्टर चार व पांच के आधे से अधिक हिस्से में बिजली के तार तक नहीं खिंच सके। इन दोनों सेक्टरों में समूहों में बसे वाली सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्थाएं दंडीवाड़ा और आचार्यवाड़ा के तीन सौ से अधिक संतों के शिविर लगते हैं।
Trending Videos
विज्ञापन
विज्ञापन
पीडब्ल्यूडी का काम सबसे अधिक पिछड़ा है। छह में से सिर्फ दो पांटून पुलों का निर्माण पूरा हो सका है। इसमें भी सिर्फ एक ही महावीर पांटून पुल पूरी तरह चालू हो सका है। ओल्डजीटी के पीपे जोड़ दिए गए हैं और दो पहिया वाहन भी उस पर चलाए जा रहे हैं, लेकिन अभी चार पहिया वाहनों के लिए इसे नहीं खोला जा सका है।
नागवासुकि पांटूनपुल को मंगलवार की देर शाम छोटे वाहनों के लिए खोल दिया गया, लेकिन देर शाम तक काली और त्रिवेणी पांटून पुलों के पीपे तक पूरी तरह से नहीं जोड़े जा सके थे। गंगोली शिवाला और नागवासुकि पांटूनपुलों का भी निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो सका है।
चकर्ड प्लेट सड़कों का निर्माण भी आधा-अधूरा ही रह गया है। काली के अलावा गंगोली शिवाला, हरिश्चंद्र मार्ग पर अभी पूर तरह चकर्ड प्लेटें भी नहीं पड़ सकी हैं। गाटा मार्गों का तो निर्माण कराया ही नहीं जा सका है। इस तरह बिजली और पेयजल लाइनों को बिछाने का भी काम पिछड़ा हुआ है।