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Prayagraj : छतनाग घाट पर स्नान तो छोड़िए, आचमन लायक भी नहीं गंगाजल

शाश्वत, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Mon, 26 Feb 2024 03:51 PM IST
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सार

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रयागराज में 84 नालों का पानी बायोरेमिडिएशन प्रक्रिया से होकर गंगा में गिराया जा रहा है। इनमें से 68 ऐसे नाले हैं, जिनका गंदा पानी बगैर शोधन के ही गंगा में डाला जा रहा है।

Forget bathing at Chhatnag Ghat, Ganga water is not even worth drinking.
झूंसी के छातनाग घाट पर कूछ ऐसे ही गंदे नाले के पानी से हरे रही है मैली। - फोटो : अमर उजाला
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गंगा निर्मलीकरण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दावे बेमानी साबित हो रहे हैं। ऐसा तब है जब पिछले दो महीने से माघ मेला चल रहा है और लाखों लोग रोजाना गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। पूरे जिले की गंदगी को समेटे 68 नाले सीधे गंगा में मिल रहे हैं, लेकिन बोर्ड की हर महीने तैयार होने वाली रिपोर्ट में सबकुछ ठीक बताया जा रहा है।

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रयागराज में 84 नालों का पानी बायोरेमिडिएशन प्रक्रिया से होकर गंगा में गिराया जा रहा है। इनमें से 68 ऐसे नाले हैं, जिनका गंदा पानी बगैर शोधन के ही गंगा में डाला जा रहा है। इसके अलावा 16 नाले ऐसे हैं, जिनका गंदा पानी एसटीपी से शोधित होने के बाद गंगा में जा रहा है। बोर्ड के अफसरों का दावा है कि प्रत्येक एसटीपी से शोधित होने वाले नालों के पानी का हर हफ्ते नमूना लिया जाता है। इनकी सेंसर तकनीक के जरिए ऑनलाइन भी 24 घंटे मानीटरिंग की जाती है।
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बोर्ड की पिछले छह महीने की गंगा जल की जांच रिपोर्ट में मानक से बेहद कम स्तर पर पीएच, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और केमिकल ऑक्सीजन डिमांड रह रहा है। इस वक्त जब माघ मेला चल रहा है और रोजाना लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा रहे हैं, तब भी झूंसी के छतनाग घाट पर बगैर शोधन के झागयुक्त गंदा पानी सीधे गंगा में गिराया जा रहा है। हालत यह है कि प्रदूषण के कारण छतनाग गंगा घाट पर गंगा का पानी आचमन लायक भी नहीं है।

Forget bathing at Chhatnag Ghat, Ganga water is not even worth drinking.
झूंसी के छातनाग घाट पर कूछ ऐसे ही गंदे नाले के पानी से हरे रही है मैली। - फोटो : अमर उजाला
प्रयागराज में कोई ऐसी फैक्टरी नहीं है, जिसका गंदा पानी गंगा में न गिराया जाता हो। बीती 23 फरवरी को हुई नमूनों की जांच में अप स्ट्रीम प्रयागराज एसटीपी पर पीएच वैल्यू 8.18, डाउन स्ट्रीम शास्त्री पुल गंगा नदी एसटीपी पर 8.08, संगम पर 8.08,यमुना नदी सरस्वती घाट एसटीपी पर 803 पाई गई। इसी तरह पिछले फरवरी और जनवरी में भी पीएच वैल्यू इसी के आसपास पाई गई थी।


2023 अप्रैल, मई, जून और जुलाई के आंकड़े में भी औसत से कम ही पीएच, बीओडी और सीओडी दर्ज किया गया था। छतनाग घाट पर एसटीपी के नाले से गंदा पानी सीधे गंगा में गिरने के सवाल पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके सिंह का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो जल्द ही कार्रवाई कर गंगा में गंदे पानी को गिरने से रोका जाएगा।
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