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High Court : धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात स्वतंत्र व एक दूसरे के विपरीत
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 28 Jul 2025 05:10 PM IST
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सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात स्वतंत्र और भिन्न हैं। यह एक दूसरे के विपरीत हैं। ऐसे में एक ही तथ्यों में एक साथ मौजूद नहीं हो सकते।

अदालत(सांकेतिक)
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात स्वतंत्र और भिन्न हैं। यह एक दूसरे के विपरीत हैं। ऐसे में एक ही तथ्यों में एक साथ मौजूद नहीं हो सकते। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के तहत जारी किए गए समन आदेश को रद्द कर दिया। मामले को ट्रायल कोर्ट वापस भेज दिया और नए सिरे से समन पर आदेश पारित करने का निर्देश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह की एकलपीठ ने दिया।

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मुरादाबाद के थाना मझोला में याची शराफत के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। ट्रायल कोर्ट ने दोनों अपराधों के लिए आरोपी के खिलाफ समन जारी किया। इसे आरोपी ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए मुकदमे की संपूर्ण कार्यवाही को रद्द करने की मांग की।
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आरोपी के अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के "दिल्ली रेस क्लब (1940) लिमिटेड और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के फैसले का हवाला दिया। दलील दी कि धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के अपराध स्वतंत्र और भिन्न हैं और दोनों एक साथ मौजूद नहीं हो सकते। धोखाधड़ी में संपत्ति धोखे से प्राप्त की जाती है जबकि आपराधिक विश्वासघात में संपत्ति पहले से ही उस व्यक्ति को सौंपी गई होती है। कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद सात जुलाई 2023 का पारित समन आदेश रद्द कर दिया।