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High Court : नियुक्ति से ही शून्य मानी जाएगी जाली दस्तावेजों से मिली नौकरी, बर्खास्त शिक्षक की याचिका खारिज

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Mon, 25 Aug 2025 07:18 PM IST
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सार

Allahabad High Court : फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालय में नौकरी कर रहे बलिया के शिक्षक को हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने शिक्षक की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उसे पूरी धनराशि लौटानी पड़ेगी। 

High Court: Job obtained with fake documents will be considered void from the date of appointment
इलाहाबाद हाईकोर्ट। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति जाली दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी पाता है तो उसकी नियुक्ति शुरू से ही शून्य मानी जाएगी। ऐसे व्यक्ति नौकरी से प्राप्त वेतन और अन्य लाभों पर कोई कानूनी दावा नहीं कर सकते और उन्हें प्राप्त सारी राशि वापस करनी होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने कमलेश कुमार निरंकारी की याचिका पर दिया।

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याची बलिया में प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत था। एक शिकायत पर जांच के बाद जाली दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाने की पुष्टि होने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 6 अक्तूबर 2022 के आदेश से उसकी नियुक्ति को रद्द कर दिया। साथ ही दिए गए वेतन की वसूली का आदेश दिया। याची ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

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याची अधिवक्ता ने दलील दी कि याची को 10 अगस्त 2010 को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था और उसने कभी कोई जालसाजी नहीं की। उसने सभी शैक्षिक दस्तावेज जमा किए थे लेकिन बिना उचित सुनवाई के उसकी नौकरी रद्द कर दी गई। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है। उसके पैन कार्ड, आधार कार्ड और शैक्षिक प्रमाणपत्रों में नाम में अंतर था। यह संबंधित प्राधिकारियों की त्रुटि के कारण थीं। इसमें याची की कोई भूमिका नहीं है।
 

सत्यापन रिपोर्ट में जाली दस्तावेज की हुई पुष्टि

प्रतिवादी अधिवक्ता की ओर से दलील दी गई कि याची ने जाली मार्कशीट और प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी प्राप्त की थी। उसने एक अन्य व्यक्ति कमलेश कुमार यादव के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। पुलिस सत्यापन रिपोर्ट में भी पुष्टि हुई कि याची की ओर से दिए गए पते पर उस नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता है। उसे कई बार मौका देने के बाद भी वह अपने मूल दस्तावेज पेश नहीं कर पाया।

कोर्ट पक्षों को सुनने के बाद पाया कि प्रतिवादी के तर्क सही हैं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि धोखाधड़ी से प्राप्त नियुक्ति शुरू से ही शून्य होती है और ऐसे में विस्तृत जांच की आवश्यकता नहीं होती। नाम में गंभीर विसंगतियां और मूल दस्तावेजों को पेश न कर पाना धोखाधड़ी का सबूत है। अतः नौकरी रद्द करने और वेतन वापस लेने का आदेश वैध है। कोर्ट ने बीएसए के आदेश को बरकरार रखा और याचिका खारिज कर दी।

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