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High Court : स्नातक पाठ्यक्रमों में पर्यावरण विज्ञान का कोर्स कम करने को चुनौती, सरकार से जानकारी तलब
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 23 Nov 2022 01:04 PM IST
सार
कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के एमसी मेहता केस के आदेश को लागू करने की तैयारी पूरी कर ली गई हो तो जानकारी उपलब्ध कराएं और यह भी बताएं कि इसे लागू करने में कानूनी अड़चन क्या है। याचिका की सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।
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Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्नातक कोर्स में पर्यावरण विज्ञान को शामिल करने के निर्देश का पालन करने की मांग में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से दो हफ्ते में उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के एमसी मेहता केस के आदेश को लागू करने की तैयारी पूरी कर ली गई हो तो जानकारी उपलब्ध कराएं और यह भी बताएं कि इसे लागू करने में कानूनी अड़चन क्या है। याचिका की सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।
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यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने कृष्ण प्रकाश दर्जी व 12 अन्य की याचिका पर दिया है। कहा गया कि स्नातक कोर्स के छह माह का पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी कर ली गई है। तीन वर्ष के डिक्री कोर्स के लिए नियुक्ति की अनुमति मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कानून बनाने को कहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए हैं। सरकार ने कुछ कदम उठाए भी हैं।
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राज्य विश्वविद्यालयों के दबाव में अमल में नहीं लाया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है। याची का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग ने निजी व सरकारी सभी विश्वविद्यालयों को नवीन पाठ्यक्रम लागू करने का आदेश दिया है। पर्यावरण विज्ञान में मानवीय मूल्य एवं पर्यावरण विषय को कोर्स में शामिल करना है। किसी विश्वविद्यालय में इसकी पढ़ाई नहीं हो रही है।