Magh Mela 2024 : तंबुओं की नगरी नहीं ले सकी आकार, तीन दिन बाद आने लगेंगे कल्पवासी
माघ मेला 14 जनवरी से शुरू हो जाएगा, लेकिन अभी तक तैयारियां मुकम्मल नहीं हो सकी हैं। कहीं चकर्ड प्लेट नहीं है तो कहीं पर नल और प्रकाश की व्यवस्था नहीं की गई है। कुछ सेक्टरों में तो खंभे लगे हैं लेकिन तार नहीं दौड़ाए जा सके हैं। इससे लोगों को दिक्कत होगी।
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संतों-भक्तों के समागम के लिए संगम की रेती पर तंबुओं की नगरी की बसावट अभी 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकी है। मकर संक्रांति का पहला स्नान 15 जनवरी को है। ऐसे में 10 जनवरी से ही माघ मेले में कल्पवासियों और उनके परिवारीजनों के आने का सिलसिला आरंभ हो जाएगा। ऐसे में अधूरी तैयारियों ने चिंता बढ़ा दी है।
तीर्थराज प्रयागराज में संगम की रेती पर कल्पवास मकर संक्रांति यानी 14- 15 जनवरी से आरंभ हो जाएगा। माघी पूर्णिमा तक चलने वाले कल्पवास की तैयारियों के लिए देश के कोने - कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ 10 जनवरी से यहां पहुंचने लगेगी, लेकिन मेला सेक्टरों में तैयारियां आधी-अधूरी हैं।
काली और त्रिवेणी मार्गों पर भूमि का आवंटन तो कर दिया गया, लेकिन इन मार्गों को जोड़ने वाले पांटून पुल अभी तक नहीं बन सके हैं। गाटा मार्गों पर चकर्ड प्लेटें भी नहीं बिछ सकी हैं। मुख्य मार्गों पर जहां चकर्ड प्लेटें बिछाई गई हैं, वहां कई जगह क्लेंम्पिंग तक नहीं हो सकी है। पेयजल लाइने भी अभी पूरी तरह नहीं बिछाई जा सकी हैं।
मकर संक्रांति से आने लगेंगे श्रद्धालु
श्रद्धालु अपने शिविरों में कल्पवास की तैयारियां कर संक्रांति से डेरा जमाना शुरू कर देंगे। लेकिन, अभी तक समूहों में कल्पवासियों को बसाने वाली सबसे बड़ी संस्था प्रयागवाल सभा के तीन सौ से अधिक पुरोहितों को भूमि आवंटित नहीं हो सकी है। इससे कल्पवासी शिविरों को बसाने का काम पिछड़ने की आशंका है। इस बार माघ मेला 54 दिन का होगा जो मकर संक्रांति से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चलेगा।
प्रयागवाल सभा अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महराज ने बताया कि इस माघ मेला और कल्पवास थोड़ा पिछड़ गया है, क्योंकि पौष पूर्णिमा मकर संक्रांति के बाद पड़ रही है। कल्पवास मकर संक्रांति से शुरू होने जा रहा है ऐसे में कल्पवासी माघ मेला क्षेत्र में 10-12 जनवरी से पहुंचने लगेंगे। वह लोग अपने शिविर को व्यवस्थित करके कल्पवास शुरू कर देंगे। जबकि, शेष कल्पवासी 20 जनवरी तक माघ मेला क्षेत्र में लगे शिविरों में पहुंचेंगे।
प्रयागवाल सभा के महामंत्री रितुराज चंद्र मिश्र का कहना है कि माघ मेले में कल्पवासियों को बसाने वाले तीर्थपुरोहितों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। दंडीवाड़ा, आचार्यवाड़ा और खाकचौक की तरह न उनके लिए सुविधाएं हैं, ना ही भूमि। हालत यह है कि बारिश की वजह से पूरे मेला क्षेत्र में कीचड़ फैल गय है। बालू गिराने के लिए प्रशासन से आग्रह किया जा रहा है, लेकिन नहीं सुनी जा रही है। ऐसे में समय रहते शिविर लग पाएंगे, कहना मुश्किल है। अभी तक सिर्फ 15 फीसदी ही शिविर आकार ले सके हैं।