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High Court : प्रेम संबंध में बने शारीरिक रिश्ते दुष्कर्म नहीं, सहकर्मी लेखपाल के खिलाफ पीड़िता की याचिका खारिज
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 13 Sep 2025 04:39 PM IST
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सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक प्रेम संबंध में रहने के बाद बना शारीरिक रिश्ता दुष्कर्म नहीं है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की अदालत ने सहकर्मी पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के आरोप लगाने वाली महिला की याचिका खारिज कर दी।

अदालत।
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक प्रेम संबंध में रहने के बाद बना शारीरिक रिश्ता दुष्कर्म नहीं है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की अदालत ने सहकर्मी पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के आरोप लगाने वाली महिला की याचिका खारिज कर दी। मामला महोबा जिले के चरखारी थाना क्षेत्र का है।

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पीड़िता ने आरोप लगाया है कि 2019 में उसके सहकर्मी लेखपाल ने जन्मदिन की पार्टी के बहाने नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म किया और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया। होश में आने के बाद शादी करने का वादा किया लेकिन चार साल बाद जातिगत ताना मारते हुए इंकार का दिया। पीड़िता ने इसकी शिकायत पुलिस अधिकारियों से की लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
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इस पर उसने एसी/एसटी की विशेष अदालत में परिवाद दाखिल किया, जो खारिज हो गया। इसके खिलाफ पीड़िता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दलील दी कि पीड़िता संग आरोपी लेखपाल ने शादी का झांसा देकर वर्षों संबंध बनाए। फिर जाति सूचक शब्दों से अपमानित कर शादी से इंकार कर दिया।
मामले में आरोपी लेखपाल के अधिवक्ता ने दलील दी कि पीड़िता ने खुद थाने और एसपी को लिखकर कार्रवाई से इनकार किया था। इसके बाद जब आरोपी लेखपाल ने उधार दिए दो लाख रुपये मांगे, तब पीड़िता ने परिवाद दाखिल कर दिया। कोर्ट ने पीड़िता की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यदि महिला शुरू से जानती है कि सामाजिक कारणों से शादी संभव नहीं, तब भी वर्षों तक सहमति से संबंध बनाए रखने को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता।