अमेठी सुल्तानपुर वाले हठयोगी मौनी बाबा महंत नरेंद्र गिरि को श्रद्धांजलि देने बाघंबरी गद्दी पहुंचे। उन्होंने घटना पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अभी तक यह विश्वास नहीं हो रहा है कि संत समाज का मार्गदर्शन करने वाले महंत नरेंद्र गिरि इस तरह का कदम उठा सकते हैं। इसके पीछे कोई बड़ी साजिश प्रतीत हो रही है। उच्चस्तरीय जांच के बाद ही पूरे मामले पर से पर्दा उठेगा।
मौनी बाबा ने कहा कि संत समाज स्तब्ध है। कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। यह घटना कैसे घटी। इस पर विश्वास ही नहीं हो रहा है। घटना की सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री से मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की।
उन्होंने राम मंदिर के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उनके साथ कोई साजिश की गई है। मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। घटना के पीछे एक गहरी साजिश है। महंत इस तरह का कदम उठाने की सोच भी नहीं सकते थे। यदि उन्होंने इस तरह का कदम उठाया तो इसके पीछे के कारण क्या हैं इसकी जांच की जानी चाहिए।
रामजन्मभूमि विवाद में पक्षकार रहे महंत ज्ञानदास ने कहा कि जिस कमरे में उनके आत्महत्या की बात कही जा रही है उस कमरे में आज तक वह सोए नहीं थे, एसे में यह सवाल उठता है कि वह यहां पहुंचे कैसे। कहा कि वह ठीक से हस्ताक्षर नहीं कर सकते थे तो वह आठ पन्ने का सुसाइड नोट कैसे लिख लेंगे। यह सुसाइड है ही नहीं। इसके पीछे गहरी साजिश है।
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अमेठी सुल्तानपुर वाले हठयोगी मौनी बाबा महंत नरेंद्र गिरि को श्रद्धांजलि देने बाघंबरी गद्दी पहुंचे। उन्होंने घटना पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अभी तक यह विश्वास नहीं हो रहा है कि संत समाज का मार्गदर्शन करने वाले महंत नरेंद्र गिरि इस तरह का कदम उठा सकते हैं। इसके पीछे कोई बड़ी साजिश प्रतीत हो रही है। उच्चस्तरीय जांच के बाद ही पूरे मामले पर से पर्दा उठेगा।
मौनी बाबा ने कहा कि संत समाज स्तब्ध है। कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। यह घटना कैसे घटी। इस पर विश्वास ही नहीं हो रहा है। घटना की सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री से मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की।
उन्होंने राम मंदिर के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उनके साथ कोई साजिश की गई है। मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। घटना के पीछे एक गहरी साजिश है। महंत इस तरह का कदम उठाने की सोच भी नहीं सकते थे। यदि उन्होंने इस तरह का कदम उठाया तो इसके पीछे के कारण क्या हैं इसकी जांच की जानी चाहिए।
रामजन्मभूमि विवाद में पक्षकार रहे महंत ज्ञानदास ने कहा कि जिस कमरे में उनके आत्महत्या की बात कही जा रही है उस कमरे में आज तक वह सोए नहीं थे, एसे में यह सवाल उठता है कि वह यहां पहुंचे कैसे। कहा कि वह ठीक से हस्ताक्षर नहीं कर सकते थे तो वह आठ पन्ने का सुसाइड नोट कैसे लिख लेंगे। यह सुसाइड है ही नहीं। इसके पीछे गहरी साजिश है।