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High Court : झूठे वादे पर बना यौन संबंध सहमति नहीं, दुष्कर्म के मुकदमे को रद्द करने की अर्जी खारिज
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 05 Nov 2025 02:22 PM IST
सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि शादी के झूठे वादे के आधार पर संबंध बनाने के लिए मिली सहमति को कानून की नजर में वैध नहीं माना जा सकता है।
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अदालत का फैसला।
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि शादी के झूठे वादे के आधार पर संबंध बनाने के लिए मिली सहमति को कानून की नजर में वैध नहीं माना जा सकता है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की एकल पीठ ने गोरखपुर निवासी आरोपी रवि पाल की मुकदमे की कार्यवाही को रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल अर्जी खारिज कर दी।
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सहजनवा थाने में पीड़िता ने 17 जनवरी 2024 में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि याची ने उससे दोस्ती की और शादी का प्रस्ताव दिया। इसके बाद 21 नवंबर 2023 को उसे अपने घर ले जाकर और बाद में 23 नवंबर 2023 को गोरखपुर के एक होटल में विवाह के झूठे आश्वासन पर उससे संबंध बनाए। दिल्ली ले गया और वहां भी संबंध बनाया। जनवरी 2024 को उसे छोड़कर चला गया।
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पुलिस की ओर से दाखिल आरोप-पत्र और कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। उसके वकील ने दलील दी कि मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। पीड़िता ने उसे गलत इरादे से झूठा फंसाया है। आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। आरोपी ने शादी का कोई वादा नहीं किया था। पीड़िता सहमति से उसके साथ थी। एफआईआर भी देरी से दर्ज कराई गई।
वहीं, पीड़िता की ओर से अधिवक्ता प्रिंस कुमार श्रीवास्तव ने दलील दी कि आरोपी ने पीड़िता के साथ शादी का झूठा वादा किया और संबंध बनाए। हाईकोर्ट ने कहा कि एफआईआर और पीड़िता के बयान प्रथम दृष्टया दर्शाते हैं कि जानबूझकर शादी का झूठा वादा किया गया था, जिसका पीड़िता की सहमति को प्रभावित करने से सीधा संबंध है। ये ट्रायल का विषय है। कोर्ट ने आरोपी की याचिका योग्यता रहित पाते हुए खारिज कर दी। अब आरोपी के खिलाफ ट्रायल जारी रहेगा।