Prayagraj : एसआरएन में ड्यूटी के दौरान स्टॉफ नर्स की मौत, गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप
एसआरएन अस्पताल में मंगलवार देर रात ड्यूटी के दौरान स्टाफ नर्स शिव दुलारी (30) की मौत हो गई। वह कई दिनों से बुखार से पीड़ित थी। घटना वाली रात तेज बुखार होने पर एक नर्स ने इंजेक्शन लगाया था।

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एसआरएन अस्पताल में मंगलवार देर रात ड्यूटी के दौरान स्टाफ नर्स शिव दुलारी (30) की मौत हो गई। वह कई दिनों से बुखार से पीड़ित थी। घटना वाली रात तेज बुखार होने पर एक नर्स ने इंजेक्शन लगाया था। इसके कुछ देर बाद शिव दुलारी की मौत हो गई। वहीं, परिजनों ने गलत इंजेक्शन लगाने और उनसे बदसलूकी करने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं होने पर विसरा सुरक्षित रखा गया है।

भदोही के सुरियावां थाना क्षेत्र के बीरमपुर निवासी शिव दुलारी एसआरएन अस्पताल में बतौर स्टॉफ नर्स थी। वह तीन वर्षों से दो बेटियों के साथ अस्पताल परिसर के कॉलोनी में रहती थी। भदोही के डीघ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात पति सुनील कुमार ने बताया कि मंगलवार को वह पत्नी और बच्चों से मिलने आए थे। शिव दुलारी को तीन दिनों से बुखार था। वह दवा खाकर ड्यूटी कर रही थी।
रात करीब 10:30 बजे अस्पताल से फोन आया कि शिव दुलारी को तबीयत खराब है। सूचना पर वह कॉलोनी से अस्पताल पहुंचे। जहां स्टॉफ के लोग पत्नी का इलाज कर रहे थे। उनके सामने इंजेक्शन लगाया गया। इसके कुछ ही देर बाद शिव दुलारी की सांसें थम गईं। सूचना पर पहुंची एसआरएन चौकी की पुलिस ने परिजनों को शांत कराकर शव को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाया। बुधवार को डॉक्टरों के पैनल में शव का पोस्टमार्टम किया।
सहकर्मियों ने लगाया काम के अतिरिक्त दबाव का आरोप
नाराज सहकर्मियों ने काम के अतिरिक्त दबाव को भी एक कारण बताया। उनका कहना था कि शिव दुलारी ड्यूटी पर आई तब 40 बेड के वार्ड में सिर्फ दो नर्स तैनात थीं जबकि दिन में आठ नर्स वार्ड संभालती हैं। इसके अलावा नर्स इंचार्ज पुष्पा ने जबरन इनकी सहयोगी नर्स प्रियंका को दूसरे वार्ड में ड्यूटी के लिए भेज दिया। अकेले वार्ड संभालने और काम के अतिरिक्त दबाव की वजह से उनकी तबीयत और बिगड़ गई।
काम के अतिरिक्त दबाव का आरोप गलत है। नर्स की चार दिनों से तबीयत खराब थी, इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। उन्होंने अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र भी नहीं दिया था। हालत बिगड़ने पर तुरंत आईसीयू में उपचार किया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। - प्राचार्य डॉ. वीके पांडेय