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Ambedkar Nagar News: गलती को स्वीकार करना ही जीवन की सबसे बड़ी जीत
संवाद न्यूज एजेंसी, अम्बेडकरनगर
Updated Thu, 27 Nov 2025 11:45 PM IST
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प्रवाचक
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भीटी (अंबेडकरनगर)। क्षेत्र के हृदयपुर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। बृहस्पतिवार को प्रवाचक पं. चक्रपाणि त्रिपाठी ने अध्यात्म, करुणा और मानवीय मूल्यों का ज्ञान दिया।
प्रवाचक ने बताया कि परीक्षित का जन्म महाभारत के भीषण संग्राम के बाद हुआ, और उनका जीवन अखंड भक्ति, धर्म और निष्काम भाव की मिसाल माना जाता है। कलयुग के प्रभाव से वे एक क्षणिक भूल के कारण एक ऋषि के श्राप के पात्र बन गए। मनुष्य से गलती होना बड़ी बात नहीं, परंतु गलती को स्वीकार कर सुधार करना ही जीवन की सबसे बड़ी जीत है।
यदि पश्चाताप और परिवर्तन न हो तो वही गलती पाप का रूप ले लेती है। भागवत कथा जीवन का मार्गदर्शन है। यह बताती है कि अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या और असंयम मनुष्य को पतन की ओर ले जाते हैं, जबकि प्रेम, करुणा और क्षमा जीवन को ईश्वर की ओर मोड़ देती हैं। पांडवों के संघर्षमय जीवन में भगवान श्रीकृष्ण की सतत कृपा और संरक्षण का वर्णन किया गया। प्रवाचक ने कहा कि श्राप मिलना राजा परीक्षित का अंत नहीं, बल्कि भागवत को जन्म देने की भूमिका था। इस दौरान राजेश कुमार पांडेय, अनिल, मनोज मौजूद रहे।
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प्रवाचक ने बताया कि परीक्षित का जन्म महाभारत के भीषण संग्राम के बाद हुआ, और उनका जीवन अखंड भक्ति, धर्म और निष्काम भाव की मिसाल माना जाता है। कलयुग के प्रभाव से वे एक क्षणिक भूल के कारण एक ऋषि के श्राप के पात्र बन गए। मनुष्य से गलती होना बड़ी बात नहीं, परंतु गलती को स्वीकार कर सुधार करना ही जीवन की सबसे बड़ी जीत है।
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यदि पश्चाताप और परिवर्तन न हो तो वही गलती पाप का रूप ले लेती है। भागवत कथा जीवन का मार्गदर्शन है। यह बताती है कि अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या और असंयम मनुष्य को पतन की ओर ले जाते हैं, जबकि प्रेम, करुणा और क्षमा जीवन को ईश्वर की ओर मोड़ देती हैं। पांडवों के संघर्षमय जीवन में भगवान श्रीकृष्ण की सतत कृपा और संरक्षण का वर्णन किया गया। प्रवाचक ने कहा कि श्राप मिलना राजा परीक्षित का अंत नहीं, बल्कि भागवत को जन्म देने की भूमिका था। इस दौरान राजेश कुमार पांडेय, अनिल, मनोज मौजूद रहे।