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Auraiya News: नजरें इनायत हो तो रफ्तार भरे जवां औरैया
संवाद न्यूज एजेंसी, औरैया
Updated Tue, 16 Sep 2025 11:21 PM IST
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फोटो-16एयूआरपी10 - मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग। संवाद
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औरैया। बात 17 सितंबर 1997 की है। इस दिन ही औरैया जिले की नींव पड़ी थी। तब से औरैया पग-पग आगे बढ़ रहा है। आज उसे 28 बरस हो गए हैं। युवा औरैया न सिर्फ खुद की तरक्की की राह तक रहा है बल्कि कुलाचें भरने को भी बेताब है। पर सरकारी सिस्टम है कि उसे अभी तक बुनियादी सुविधाएं सुगम नहीं करा पाया है। यहां न तो आवागमन को सड़कें दुरुस्त हैं और न ही ड्रेनेज सिस्टम। यहां तक कि स्वास्थ्य और शिक्षा भी बदहाल है। रेल व सड़क की कनेक्टिविटी भी लचर है। रेलवे औरैया शहर में न तो नई रेल लाइन बिछा सका और न ही उसे स्टेशन की सौगात दे पाया। यहां आज भी डग्गामार वाहनों के जिला मुख्यालय तक सफर करते हैं, हालांकि सरकारी मशीनरी मूलभूत सुविधाओं देने की जुगत में लगी है।
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फोटो-16एयूआरपी10 - मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग। संवाद
मेडिकल कॉलेज मिला लेकिन ट्राॅमा सेंटर अभी तक नहीं हुआ संचालित
जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी उपलब्धि के तौर पर मेडिकल कॉलेज मिला है। वहीं, आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिले में ट्राॅमा सेंटर की सौगात तो मिली लेकिन इसे लेकर महज भवन को ही धरातल पर उतारा जा सका है। शहर से पांच किमी दूर भगौतीपुर में ट्राॅमा सेंटर बनाया गया है। जरूरी स्टाफ की कमी व संसाधनों का अभाव इसमें रोड़ा बना है। दो करोड़ 64 लाख की लागत से ट्राॅमा सेंटर का भवन जनवरी 2022 में बनकर तैयार हो गया था।
कार्यदाई संस्था उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड कानपुर ने इस भवन को स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित भी कर दिया है। यहां तक कि ट्राॅमा सेंटर का लोकार्पण छह नवंबर 2021 को लखनऊ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था लेकिन इसे जनता की सुविधा के लिए अभी तक संचालित नहीं किया जा सका है। हालांकि मेडिकल कॉलेज में 20 बेड की इमरजेंसी सुविधा शुरू की गई है लेकिन जिले के ज्यादातर गंभीर मरीजों को रेफर ही किया जा रहा है जबकि ट्राॅमा सेंटर के भवन में झाड़ियां उग रही हैं।
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फोटो-16एयूआरपी11 - डिपो में पार्किंग में हुए जलभराव के बीच खड़ी बसें। संवाद
सीमित दायरे में डिपो, 65 बसों से संचालन
परिवहन सुविधा के लिए जिले में सुभाष चौक के बगल में डिपो है। इसका सीमित दायरा है। हालांकि कुछ जमीन पिछले साल डिपो को मिली लेकिन कागज पर न मिलने की वजह से डिपो की यात्री सुविधाओं को बेहतर नहीं किया जा सका है। हाल ही में 78 बसों का विभिन्न रूटों पर संचालन किया जा रहा था। उनमें से 13 बसें कंडम हो गई है। ऐसे में अब 65 बसों को ही सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। जिले के लोकल रूटों पर महज पांच बसें चलती है। ऐसे में डग्गामार वाहनों से ही जिलेभर में बहुतायत में लोग आवागमन कर रहे हैं। फिर भी डिपो की ओर से यात्री सुविधाओं को लेकर कुछ खास पहल नहीं की जा सकी है।
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फोटो-16एयूआरपी 12- फफूंद रेलवे स्टेशन का नजारा। संवाद
ट्रेनों के ठहराव की उठती मांग फिर भी सीमित हैं ट्रेनें
जिले में फफूंद, कंचौसी व अछल्दा रेलवे स्टेशन हैं। जबकि औरैया शहर व ककोर मुख्यालय को रेल कनेक्टीविटी से जोड़ा नहीं जा सका है। यहां के आवागमन के लिए लोग डग्गामार वाहनों का सहारा लेते हैं। उधर फफूंद रेलवे स्टेशन पर लंबी दूरी की ट्रेनों के ठहराव को लेकर अक्सर मांग की जाती है। व्यापारियों से लेकर जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को लेकर रेलवे व रेल मंत्री तक अपनी मांग पहुंचाते रहते हैं लेकिन इस सब के बावजूद महज 20 ट्रेनों का ठहराव ही इस स्टेशन को नसीब हो सका है। वहीं, अछल्दा व कंचौसी रेलवे स्टेशन की ट्रेनों के ठहराव के मामले में और भी दयनीय स्थिति है। हालांकि डीएम डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी की ओर से इसे लेकर रेलवे से संपर्क साधा गया है।
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120 परिषदीय स्कूलों के भवन जर्जर, खतरे में नौनिहाल
जिले में 1265 परिषदीय स्कूलों के जरिए नौनिहालों की प्राथमिक शिक्षा को बल दिया जा रहा है लेकिन जिले के 120 परिषदीय स्कूल ऐसे चिह्नित हैं जिनके भवन जर्जर है। विभागीय सर्वे में भी इसकी बात सामने आई है। इन स्कूलों में नौनिहालों का पठन-पाठन खतरे के बीच हो रहा है। हालांकि अब डीएम की ओर से इन स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए बुनियादी काम शुरू कर दिया है।
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फोटो-16एयूआरपी 13- गोविंदनगर में जलभराव का नजारा। संवाद
ड्रेनेज सिस्टम नहीं हो सका मजबूत
जिले के ज्यादातर शहर कस्बों में जलभराव की समस्या देखी जाती है। दिबियापुर से सटे घेरा, कैंझरी व जमुहां गांव में 200 बीघा खेत साल के आठ माह जलनिकासी व्यवस्था दुरुस्त न होने के चलते पानी में डूबे रहते हैं। यहां तो खेत डूबे हैं। लेकिन शहर की आवास विकास कॉलोनी में भी यही हालत है। यहां पर जलनिकासी व्यवस्था धड़ाम है। पांच हजार की आबादी इस संकट से जूझ रही है। जिम्मेदारों की ओर से इस समस्या का स्थाई हल नहीं निकाला जा रहा है। गोविंदनगर मोहल्ले में बड़े पैमाने पर जलभराव की समस्या रहती है। जिसे अभी तक दूर नहीं किया जा सका है।

फोटो-16एयूआरपी10 - मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग। संवाद
मेडिकल कॉलेज मिला लेकिन ट्राॅमा सेंटर अभी तक नहीं हुआ संचालित
जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी उपलब्धि के तौर पर मेडिकल कॉलेज मिला है। वहीं, आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिले में ट्राॅमा सेंटर की सौगात तो मिली लेकिन इसे लेकर महज भवन को ही धरातल पर उतारा जा सका है। शहर से पांच किमी दूर भगौतीपुर में ट्राॅमा सेंटर बनाया गया है। जरूरी स्टाफ की कमी व संसाधनों का अभाव इसमें रोड़ा बना है। दो करोड़ 64 लाख की लागत से ट्राॅमा सेंटर का भवन जनवरी 2022 में बनकर तैयार हो गया था।
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कार्यदाई संस्था उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड कानपुर ने इस भवन को स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित भी कर दिया है। यहां तक कि ट्राॅमा सेंटर का लोकार्पण छह नवंबर 2021 को लखनऊ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था लेकिन इसे जनता की सुविधा के लिए अभी तक संचालित नहीं किया जा सका है। हालांकि मेडिकल कॉलेज में 20 बेड की इमरजेंसी सुविधा शुरू की गई है लेकिन जिले के ज्यादातर गंभीर मरीजों को रेफर ही किया जा रहा है जबकि ट्राॅमा सेंटर के भवन में झाड़ियां उग रही हैं।
फोटो-16एयूआरपी11 - डिपो में पार्किंग में हुए जलभराव के बीच खड़ी बसें। संवाद
सीमित दायरे में डिपो, 65 बसों से संचालन
परिवहन सुविधा के लिए जिले में सुभाष चौक के बगल में डिपो है। इसका सीमित दायरा है। हालांकि कुछ जमीन पिछले साल डिपो को मिली लेकिन कागज पर न मिलने की वजह से डिपो की यात्री सुविधाओं को बेहतर नहीं किया जा सका है। हाल ही में 78 बसों का विभिन्न रूटों पर संचालन किया जा रहा था। उनमें से 13 बसें कंडम हो गई है। ऐसे में अब 65 बसों को ही सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। जिले के लोकल रूटों पर महज पांच बसें चलती है। ऐसे में डग्गामार वाहनों से ही जिलेभर में बहुतायत में लोग आवागमन कर रहे हैं। फिर भी डिपो की ओर से यात्री सुविधाओं को लेकर कुछ खास पहल नहीं की जा सकी है।
फोटो-16एयूआरपी 12- फफूंद रेलवे स्टेशन का नजारा। संवाद
ट्रेनों के ठहराव की उठती मांग फिर भी सीमित हैं ट्रेनें
जिले में फफूंद, कंचौसी व अछल्दा रेलवे स्टेशन हैं। जबकि औरैया शहर व ककोर मुख्यालय को रेल कनेक्टीविटी से जोड़ा नहीं जा सका है। यहां के आवागमन के लिए लोग डग्गामार वाहनों का सहारा लेते हैं। उधर फफूंद रेलवे स्टेशन पर लंबी दूरी की ट्रेनों के ठहराव को लेकर अक्सर मांग की जाती है। व्यापारियों से लेकर जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को लेकर रेलवे व रेल मंत्री तक अपनी मांग पहुंचाते रहते हैं लेकिन इस सब के बावजूद महज 20 ट्रेनों का ठहराव ही इस स्टेशन को नसीब हो सका है। वहीं, अछल्दा व कंचौसी रेलवे स्टेशन की ट्रेनों के ठहराव के मामले में और भी दयनीय स्थिति है। हालांकि डीएम डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी की ओर से इसे लेकर रेलवे से संपर्क साधा गया है।
120 परिषदीय स्कूलों के भवन जर्जर, खतरे में नौनिहाल
जिले में 1265 परिषदीय स्कूलों के जरिए नौनिहालों की प्राथमिक शिक्षा को बल दिया जा रहा है लेकिन जिले के 120 परिषदीय स्कूल ऐसे चिह्नित हैं जिनके भवन जर्जर है। विभागीय सर्वे में भी इसकी बात सामने आई है। इन स्कूलों में नौनिहालों का पठन-पाठन खतरे के बीच हो रहा है। हालांकि अब डीएम की ओर से इन स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए बुनियादी काम शुरू कर दिया है।
फोटो-16एयूआरपी 13- गोविंदनगर में जलभराव का नजारा। संवाद
ड्रेनेज सिस्टम नहीं हो सका मजबूत
जिले के ज्यादातर शहर कस्बों में जलभराव की समस्या देखी जाती है। दिबियापुर से सटे घेरा, कैंझरी व जमुहां गांव में 200 बीघा खेत साल के आठ माह जलनिकासी व्यवस्था दुरुस्त न होने के चलते पानी में डूबे रहते हैं। यहां तो खेत डूबे हैं। लेकिन शहर की आवास विकास कॉलोनी में भी यही हालत है। यहां पर जलनिकासी व्यवस्था धड़ाम है। पांच हजार की आबादी इस संकट से जूझ रही है। जिम्मेदारों की ओर से इस समस्या का स्थाई हल नहीं निकाला जा रहा है। गोविंदनगर मोहल्ले में बड़े पैमाने पर जलभराव की समस्या रहती है। जिसे अभी तक दूर नहीं किया जा सका है।
फोटो-16एयूआरपी10 - मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग। संवाद
फोटो-16एयूआरपी10 - मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग। संवाद