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Auraiya News: जमीन है, फसल भी उगाई...सरकारी क्रय केंद्र पर बेचने में कठिनाई
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एरवाकटरा (औरैया)। क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों के किसानों ने मेहनत कर खेतों में धान और बाजरा की फसल उगाई। जब बेचने की बारी आई तो भूमि सत्यापन की दीवार आड़े आ गई। इन गांवों में चकबंदी प्रक्रिया गतिमान होने के चलते भूमि का सत्यापन नहीं हो सका। किसान मायूस हैं लेकिन उनका दर्द समझकर हमदर्द बनने वाला कोई नहीं है।
क्षेत्र के अधिकांश गांवों में किसान धान और बाजरा की फसल उगाते हैं। दोनों फसलें तैयार होने के बाद किसानों ने कटाई कर फसल तैयार कर ली। सरकारी क्रय केंद्रों पर कीमतें अधिक मिलने के चलते किसानों ने क्रय केंद्रों पर ही उपज बेचने का मन बनाया था। उपज बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराते समय किसानों के सामने समस्या आ खड़ी हुई। दरअसल, ब्लॉक एरवाकटरा के एक दर्जन से अधिक गांवों में चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। इसमें ग्राम रमपुरा, उमरैन, नगला शाह, पखनगोई, नगला पहाड़ी, बीलपुर, दोबामाफी, सुल्तानपुर, किल्लामपुर, दिवहरा, कुकरकाट, बरौना कलां, बेलझाली सहित अन्य गांव शामिल हैं। इन गांवों की खतौनी लॉक कर दी गई है इसके कारण किसानों की जमीन का सत्यापन नहीं हो पा रहा है। सत्यापन के बिना क्रय केंद्रों पर खरीद नहीं की जा रही है। इसके चलते इन गांवों के करीब पांच हजार से अधिक किसान परेशान हैं। वह तहसील के भी चक्कर लगाकर थक चुके हैं, लेकिन इस समस्या का निस्तारण नहीं निकला।
वहीं दूसरी तरफ ब्लॉक में संचालित दो सरकारी क्रय केंद्रों पर भी खरीद का सिलसिला ठंडा पड़ा हुआ है। एरवा कुईली स्थित केंद्रों के प्रभारी शैलेश चौधरी ने बताया कि किसानों की भूमि का सत्यापन न होने से खरीद की रफ्तार भी धीमी है। अब तक दोनों केंद्रों पर कुल 25 किसानों से ही बाजारा खरीदा जा सका है। वहीं धान खरीद की अगर बात करें तो कुल 11 किसानों ने दोनों केंद्रों पर अब तक धान विक्रय किया है।
वैसे तो यह समस्या बीते कई सालों से चली आ रही है, लेकिन इस बार मंडी में कम कीमतों मिलने के चलते किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। मंडी में किसानों को बाजरा की कीमतें दो हजार रुपये से लेकर 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही हैं। वहीं सरकारी क्रय केंद्र पर 2775 रुपये प्रति क्विंटल का रेट निर्धारित है। इसी तरह धान की अगर बात करें तो बाजार में धान 1500 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक है, जबकि सरकारी क्रय केंद्र पर 2379 रुपये प्रति क्विंटल का रेट निर्धारित हैं। ऐसे में किसानों को मंडी में कम कीमतों पर ही धान और बाजरा बेचना पड़ रहा है।
बिधूना तहसील क्षेत्र के सौ गांवों में 2008 में चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई थी। धीमी गति से काम के कारण 17 साल बीतने के बाद भी 65 प्रतिशत गांवों में ही प्रक्रिया पूर्ण हो सकी है। बाकी 35 प्रतिशत गांवों में अब भी प्रक्रिया गतिमान है। इसके कारण केवल फसल विक्रय ही नहीं किसानों को केसीसी बनवाने समेत अन्य कार्यों में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारी क्रय केंद्र पर बाजरा विक्रय करने के लिए प्रयास किया, लेकिन पंजीकरण के बाद भूमि का सत्यापन नहीं हो सका। अब मजबूरन निजी आढ़त पर कम कीमतों पर ही बाजरा का विक्रय करना पड़ेगा। -प्रदीप सिंह, कुकरकाट
भूमि का सत्यापन कराने के लिए तहसील में भी संपर्क किया था। वहां बताया गया कि चकबंदी प्रक्रिया के कारण उनके हाथ में कुछ नहीं हैं। ऐसे में अब किसान के हाथ में ही क्या है। किसान को तो नुकसान ही उठाना है। -नरसिंह रघुवंशी, रमपुरा
चकबंदी प्रक्रिया जिन गांवों में चल रही हैं, वहां की जमीनों के सत्यापन कराने के लिए चकबंदी के कर्मचारियों और अधिकारियों की आईडी बनवाई जा रही है। उनके स्तर से ही किसानों की भूमि का सत्यापन किया जाएगा। जल्द ही इस समस्या का समाधान जिले में हो जाएगा।
-बृजेश, जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी।
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क्षेत्र के अधिकांश गांवों में किसान धान और बाजरा की फसल उगाते हैं। दोनों फसलें तैयार होने के बाद किसानों ने कटाई कर फसल तैयार कर ली। सरकारी क्रय केंद्रों पर कीमतें अधिक मिलने के चलते किसानों ने क्रय केंद्रों पर ही उपज बेचने का मन बनाया था। उपज बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराते समय किसानों के सामने समस्या आ खड़ी हुई। दरअसल, ब्लॉक एरवाकटरा के एक दर्जन से अधिक गांवों में चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। इसमें ग्राम रमपुरा, उमरैन, नगला शाह, पखनगोई, नगला पहाड़ी, बीलपुर, दोबामाफी, सुल्तानपुर, किल्लामपुर, दिवहरा, कुकरकाट, बरौना कलां, बेलझाली सहित अन्य गांव शामिल हैं। इन गांवों की खतौनी लॉक कर दी गई है इसके कारण किसानों की जमीन का सत्यापन नहीं हो पा रहा है। सत्यापन के बिना क्रय केंद्रों पर खरीद नहीं की जा रही है। इसके चलते इन गांवों के करीब पांच हजार से अधिक किसान परेशान हैं। वह तहसील के भी चक्कर लगाकर थक चुके हैं, लेकिन इस समस्या का निस्तारण नहीं निकला।
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वहीं दूसरी तरफ ब्लॉक में संचालित दो सरकारी क्रय केंद्रों पर भी खरीद का सिलसिला ठंडा पड़ा हुआ है। एरवा कुईली स्थित केंद्रों के प्रभारी शैलेश चौधरी ने बताया कि किसानों की भूमि का सत्यापन न होने से खरीद की रफ्तार भी धीमी है। अब तक दोनों केंद्रों पर कुल 25 किसानों से ही बाजारा खरीदा जा सका है। वहीं धान खरीद की अगर बात करें तो कुल 11 किसानों ने दोनों केंद्रों पर अब तक धान विक्रय किया है।
वैसे तो यह समस्या बीते कई सालों से चली आ रही है, लेकिन इस बार मंडी में कम कीमतों मिलने के चलते किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। मंडी में किसानों को बाजरा की कीमतें दो हजार रुपये से लेकर 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही हैं। वहीं सरकारी क्रय केंद्र पर 2775 रुपये प्रति क्विंटल का रेट निर्धारित है। इसी तरह धान की अगर बात करें तो बाजार में धान 1500 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक है, जबकि सरकारी क्रय केंद्र पर 2379 रुपये प्रति क्विंटल का रेट निर्धारित हैं। ऐसे में किसानों को मंडी में कम कीमतों पर ही धान और बाजरा बेचना पड़ रहा है।
बिधूना तहसील क्षेत्र के सौ गांवों में 2008 में चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई थी। धीमी गति से काम के कारण 17 साल बीतने के बाद भी 65 प्रतिशत गांवों में ही प्रक्रिया पूर्ण हो सकी है। बाकी 35 प्रतिशत गांवों में अब भी प्रक्रिया गतिमान है। इसके कारण केवल फसल विक्रय ही नहीं किसानों को केसीसी बनवाने समेत अन्य कार्यों में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारी क्रय केंद्र पर बाजरा विक्रय करने के लिए प्रयास किया, लेकिन पंजीकरण के बाद भूमि का सत्यापन नहीं हो सका। अब मजबूरन निजी आढ़त पर कम कीमतों पर ही बाजरा का विक्रय करना पड़ेगा। -प्रदीप सिंह, कुकरकाट
भूमि का सत्यापन कराने के लिए तहसील में भी संपर्क किया था। वहां बताया गया कि चकबंदी प्रक्रिया के कारण उनके हाथ में कुछ नहीं हैं। ऐसे में अब किसान के हाथ में ही क्या है। किसान को तो नुकसान ही उठाना है। -नरसिंह रघुवंशी, रमपुरा
चकबंदी प्रक्रिया जिन गांवों में चल रही हैं, वहां की जमीनों के सत्यापन कराने के लिए चकबंदी के कर्मचारियों और अधिकारियों की आईडी बनवाई जा रही है। उनके स्तर से ही किसानों की भूमि का सत्यापन किया जाएगा। जल्द ही इस समस्या का समाधान जिले में हो जाएगा।
-बृजेश, जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी।