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Ballia News: वेतन संकट से परेशान शिक्षक लामबंद
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शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन में हो रहे लेट लतीफी के खिलाफ प्रदर्शन कर एकजुटता
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बलिया। जनपद में परिषदीय विद्यालयों के लगभग 16,000 शिक्षक एवं शिक्षणेतर कर्मचारी पिछले एक वर्ष से नियमित वेतन में देरी की समस्या से परेशान हैं। हर माह वेतन देर से जारी हो रहा है। अक्तूबर 2025 का वेतन अभी तक कर्मचारियों को प्राप्त नहीं हुआ है। इसके चलते शिक्षक आर्थिक संकट में हैं। इसको लेकर 23 नवंबर को शिक्षकों और कर्मचारियों की बैठक हुई। इसमें 26 नवंबर तक समस्या का स्थायी समाधान नहीं करने पर 27 नवंबर को बीएसए कार्यालय पर प्रदर्शन की चेतावनी दी गई।
इसमें शिक्षकों ने बताया कि वेतन समय से न मिलने के कारण लोन की ईएमआई समय पर जमा नहीं हो पा रही है। बच्चों की फीस, चिकित्सा व्यय, घरेलू खर्च और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने में भी कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हैं। लगातार एक वर्ष से जारी इस समस्या ने कर्मचारियों को मानसिक और आर्थिक रूप से अत्यंत प्रभावित किया है। इसी समस्या के स्थायी समाधान के लिए जनपद के सभी शिक्षक संगठनों ने हाल ही में एकजुट होकर बेसिक शिक्षा परिषद संयुक्त मोर्चा का गठन किया है। 20 नवंबर को आयोजित बैठक में सभी संगठनों ने एक स्वर में मांग उठाते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को एक स्मरण पत्र सौंपा, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
संयुक्त मोर्चा ने कहा कि यदि 26 नवंबर तक समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया तो 27 नवंबर को बीएसए कार्यालय पर उग्र प्रदर्शन करेंगे। मोर्चा में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, महिला शिक्षक संघ, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, अटेवा, विशिष्ट बीटीसी वेलफेयर एसोसिएशन, प्राथमिक शिक्षक संघ पंजीकृत, प्राथमिक शिक्षक संघ पंजीकृत, मृतक आश्रित शिक्षक कर्मचारी संघ, अनुदेशक संघ, पूर्व आरपी संघ ने आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है। इस मौके पर राजेश कुमार सिंह, किरन, अजीत प्रताप यादव, घनश्याम चौबे, गणेश जी सिंह, अजय सिंह, विनय राय, सतेंद्रनाथ राय, तेजबहादुर पांडेय आदि थे।
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बीएसए कार्यालय की कुर्की का आदेश भी हो चुका है जारी
इसी पृष्ठभूमि में 29 वर्ष पुराने एक मामले में अतिरिक्त सिविल जज (सीडी) संजय कुमार गोंड की अदालत ने सात नवंबर को बीएसए कार्यालय की कुर्की का आदेश जारी कर दिया है। यह मामला सच्चिदानंद बनाम प्रबंध समिति आदि से संबंधित है। कुर्की आदेश जारी होने के बाद स्थिति और अधिक गंभीर तथा जटिल हो गई है, जिससे प्रशासन पर दबाव भी बढ़ा है।
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इसमें शिक्षकों ने बताया कि वेतन समय से न मिलने के कारण लोन की ईएमआई समय पर जमा नहीं हो पा रही है। बच्चों की फीस, चिकित्सा व्यय, घरेलू खर्च और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने में भी कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हैं। लगातार एक वर्ष से जारी इस समस्या ने कर्मचारियों को मानसिक और आर्थिक रूप से अत्यंत प्रभावित किया है। इसी समस्या के स्थायी समाधान के लिए जनपद के सभी शिक्षक संगठनों ने हाल ही में एकजुट होकर बेसिक शिक्षा परिषद संयुक्त मोर्चा का गठन किया है। 20 नवंबर को आयोजित बैठक में सभी संगठनों ने एक स्वर में मांग उठाते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को एक स्मरण पत्र सौंपा, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
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संयुक्त मोर्चा ने कहा कि यदि 26 नवंबर तक समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया तो 27 नवंबर को बीएसए कार्यालय पर उग्र प्रदर्शन करेंगे। मोर्चा में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, महिला शिक्षक संघ, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, अटेवा, विशिष्ट बीटीसी वेलफेयर एसोसिएशन, प्राथमिक शिक्षक संघ पंजीकृत, प्राथमिक शिक्षक संघ पंजीकृत, मृतक आश्रित शिक्षक कर्मचारी संघ, अनुदेशक संघ, पूर्व आरपी संघ ने आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है। इस मौके पर राजेश कुमार सिंह, किरन, अजीत प्रताप यादव, घनश्याम चौबे, गणेश जी सिंह, अजय सिंह, विनय राय, सतेंद्रनाथ राय, तेजबहादुर पांडेय आदि थे।
बीएसए कार्यालय की कुर्की का आदेश भी हो चुका है जारी
इसी पृष्ठभूमि में 29 वर्ष पुराने एक मामले में अतिरिक्त सिविल जज (सीडी) संजय कुमार गोंड की अदालत ने सात नवंबर को बीएसए कार्यालय की कुर्की का आदेश जारी कर दिया है। यह मामला सच्चिदानंद बनाम प्रबंध समिति आदि से संबंधित है। कुर्की आदेश जारी होने के बाद स्थिति और अधिक गंभीर तथा जटिल हो गई है, जिससे प्रशासन पर दबाव भी बढ़ा है।