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Balrampur News: मोहम्मद अहमद के बाद छांगुर को जमीन बेचने वालों से भी होगी पूछताछ
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बलरामपुर। विदेशी फंडिंग से अवैध धर्मांतरण और संपत्ति खरीद के आरोप में गिरफ्तार जमालुद्दीन उर्फ छांगुर की जांच अब निर्णायक मोड़ पर है। एटीएस ने महाराष्ट्र के पुणे जिले में खरीदी गई करीब 16 करोड़ रुपये की जमीन के अनुबंध की जांच को अंतिम चरण में पहुंचा दिया है।अब एजेंसी उन विक्रेताओं और बिचौलियों से पूछताछ की तैयारी में है, जिन्होंने जमीन छांगुर और उसके सहयोगियों के नाम बेची थी।
मोहम्मद अहमद खान के साथ ही मारुति रामू सेठ, सुंदर भाई और कांती बालू तेवार के नाम अनुबंध में हैं, उनसे भी पूछताछ की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार, एटीएस यह पता लगाने में जुटी है कि यह सौदा किस स्रोत से मिली धनराशि से हुआ और जमीन का इस्तेमाल किस उद्देश्य से किया जाना था। संदेह है कि जमीन धर्मांतरण से जुड़ी गतिविधियों के लिए ठिकाना बनाने के रूप में इस्तेमाल की जानी थी।
एटीएस ने मामले में उतरौला क्षेत्र के नया नगर निकट चमरुपुर बाजार निवासी मोहम्मद अहमद खान को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया है। सूत्रों के अनुसार सोमवार दोपहर एक बजे मोहम्मद अहमद खान मुंबई से लखनऊ पहुंचा गया। एटीएस के समक्ष वह पेश भी हुआ है। उसने छांगुर और जमीन से जुड़ी कई अहम जानकारी भी दी है। फिलहाल एटीएस के अधिकारी विवेचना से जुड़ी जानकारी देने से इन्कार कर रहे हैं।
उनका कहना है कि यह विवेचना से जुड़ा है, हम कुछ बता नहीं सकते हैं। नोटिस दिया गया था। एफआईआर की जांच पूरी की जा रही है। माना जा रहा है कि मोहम्मद अहमद खान के बयान के बाद कई अहम खुलासे हो सकते हैं। छांगुर प्रकरण अब केवल धर्मांतरण या फंडिंग तक सीमित नहीं रह गया है। जांच एजेंसी इसे एक व्यापक नेटवर्क के रूप में देख रही है, जिसमें भूमि खरीद, फर्जी अनुबंध और विदेशी फंड ट्रांसफर की कड़ियां जुड़ी हुई हैं।
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16 करोड़ की डील के पीछे का पूरा खेल
-सूत्रों के अनुसार छांगुर ने महाराष्ट्र के पुणे जिले की मेवाल तहसील के ग्राम कुनेनामा, लोनावला में जमीन मारुति रामू सेठ, सुंदर भाई और कांती बालू तेवार से अनुबंध पर ली थी। यह अनुबंध नवीन घनश्याम रोहरा, छांगुर और मोहम्मद अहमद के नाम से हुआ। दिलचस्प बात यह है कि इस सौदे में बलरामपुर शहर की संगीता देवी को भी भागीदार बनाया गया, जिसका पति राजेश उपाध्याय (सीजेएम कोर्ट का बाबू) पहले ही एटीएस की गिरफ्त में है। एटीएस अब पूरे खेल के खुलासे में जुटी है।
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अब तक की गिरफ्तारी और आगे की दिशा
एटीएस ने अब तक इस केस में छांगुर, नवीन रोहरा, नीतू रोहरा और राजेश उपाध्याय को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं, छांगुर के संपर्कों और फंडिंग नेटवर्क की जानकारी जुटाने के लिए टीम ने कई राज्यों में दस्तावेज खंगाले हैं। सूत्र बताते हैं कि अब जांच का फोकस उन लोगों पर है जिन्होंने जमीन बेची या अनुबंध कराया। एटीएस सभी से पूछताछ कर यह पता लगाएगी कि क्या उन्हें खरीदारों की मंशा और फंडिंग के स्रोत की जानकारी थी या नहीं। छांगुर ने सिर्फ बलरामपुर या उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र में भी धर्मांतरण का ठिकाना तैयार करने की कोशिश की थी। बताया जाता है कि पुणे की इस जमीन पर एक शैक्षणिक और धार्मिक ट्रस्ट की गतिविधियां शुरू करने की योजना थी, जिसके जरिए विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल किया जाना था। एटीएस इस बात की भी जांच कर रही है कि जमीन के अनुबंध के बाद कितनी रकम का भुगतान हुआ और वह पैसा कहां से आया।

मोहम्मद अहमद खान के साथ ही मारुति रामू सेठ, सुंदर भाई और कांती बालू तेवार के नाम अनुबंध में हैं, उनसे भी पूछताछ की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार, एटीएस यह पता लगाने में जुटी है कि यह सौदा किस स्रोत से मिली धनराशि से हुआ और जमीन का इस्तेमाल किस उद्देश्य से किया जाना था। संदेह है कि जमीन धर्मांतरण से जुड़ी गतिविधियों के लिए ठिकाना बनाने के रूप में इस्तेमाल की जानी थी।
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एटीएस ने मामले में उतरौला क्षेत्र के नया नगर निकट चमरुपुर बाजार निवासी मोहम्मद अहमद खान को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया है। सूत्रों के अनुसार सोमवार दोपहर एक बजे मोहम्मद अहमद खान मुंबई से लखनऊ पहुंचा गया। एटीएस के समक्ष वह पेश भी हुआ है। उसने छांगुर और जमीन से जुड़ी कई अहम जानकारी भी दी है। फिलहाल एटीएस के अधिकारी विवेचना से जुड़ी जानकारी देने से इन्कार कर रहे हैं।
उनका कहना है कि यह विवेचना से जुड़ा है, हम कुछ बता नहीं सकते हैं। नोटिस दिया गया था। एफआईआर की जांच पूरी की जा रही है। माना जा रहा है कि मोहम्मद अहमद खान के बयान के बाद कई अहम खुलासे हो सकते हैं। छांगुर प्रकरण अब केवल धर्मांतरण या फंडिंग तक सीमित नहीं रह गया है। जांच एजेंसी इसे एक व्यापक नेटवर्क के रूप में देख रही है, जिसमें भूमि खरीद, फर्जी अनुबंध और विदेशी फंड ट्रांसफर की कड़ियां जुड़ी हुई हैं।
16 करोड़ की डील के पीछे का पूरा खेल
-सूत्रों के अनुसार छांगुर ने महाराष्ट्र के पुणे जिले की मेवाल तहसील के ग्राम कुनेनामा, लोनावला में जमीन मारुति रामू सेठ, सुंदर भाई और कांती बालू तेवार से अनुबंध पर ली थी। यह अनुबंध नवीन घनश्याम रोहरा, छांगुर और मोहम्मद अहमद के नाम से हुआ। दिलचस्प बात यह है कि इस सौदे में बलरामपुर शहर की संगीता देवी को भी भागीदार बनाया गया, जिसका पति राजेश उपाध्याय (सीजेएम कोर्ट का बाबू) पहले ही एटीएस की गिरफ्त में है। एटीएस अब पूरे खेल के खुलासे में जुटी है।
अब तक की गिरफ्तारी और आगे की दिशा
एटीएस ने अब तक इस केस में छांगुर, नवीन रोहरा, नीतू रोहरा और राजेश उपाध्याय को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं, छांगुर के संपर्कों और फंडिंग नेटवर्क की जानकारी जुटाने के लिए टीम ने कई राज्यों में दस्तावेज खंगाले हैं। सूत्र बताते हैं कि अब जांच का फोकस उन लोगों पर है जिन्होंने जमीन बेची या अनुबंध कराया। एटीएस सभी से पूछताछ कर यह पता लगाएगी कि क्या उन्हें खरीदारों की मंशा और फंडिंग के स्रोत की जानकारी थी या नहीं। छांगुर ने सिर्फ बलरामपुर या उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र में भी धर्मांतरण का ठिकाना तैयार करने की कोशिश की थी। बताया जाता है कि पुणे की इस जमीन पर एक शैक्षणिक और धार्मिक ट्रस्ट की गतिविधियां शुरू करने की योजना थी, जिसके जरिए विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल किया जाना था। एटीएस इस बात की भी जांच कर रही है कि जमीन के अनुबंध के बाद कितनी रकम का भुगतान हुआ और वह पैसा कहां से आया।