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Banda News: स्थानीय मौसम और मिट्टी के मुताबिक तैयार होता है हरित आवास का डिजाइन
संवाद न्यूज एजेंसी, बांदा
Updated Mon, 03 Nov 2025 11:03 PM IST
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फोटो- 01 मिट्टी और चूने से निर्मित हरित आवास की फाइल फोटो। स्वयं
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बांदा। मंडल मुख्यालय से कुछ दूरी पर स्थित बड़ोखर खुर्द गांव में आयोजित 27वें अंतरराष्ट्रीय जीवन विद्या सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में हैदराबाद से आए सॉफ्टवेयर इंजीनियर शब्बर हुसैन ने एक अभिनव प्रस्ताव के साथ बुंदेलखंड में हरित एवं लागत-प्रभावी आवास निर्माण की दिशा में कदम रखने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक निर्माण पद्धति के बजाय स्थानीय मिट्टी और चूने से निर्मित ईंट-ब्लॉक एवं प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करके हरित आवास मॉडल तैयार किया जा सकता है। इस मॉडल का उद्देश्य सिर्फ पर्यावरण-अनुकूल निर्माण करना नहीं है, बल्कि निर्माण-लागत में लगभग 30 प्रतिशत तक की कमी लाना भी है।
वर्ष 2000 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर साॅफ्टवेयर इंजीनियर रहे शब्बर हुसैन ने बताया कि उनके द्वारा अपनाई जाने वाली पद्धति में स्थानीय मिट्टी को स्थिराकृत मड-ब्लॉक के रूप में प्रयोग किया जाता है, साथ ही सीमेंट और स्टील की खपत को कम करके अधिक प्राकृतिक व टिकाऊ आवास तैयार किए जाते हैं। इस तरह का घर निर्माण न केवल पर्यावरण के प्रति अनुकूल रहता है, बल्कि ताप और वायु संचलन को बेहतर बनाकर रहने वालों को अंदरूनी आराम भी देता है।
शब्बर ने बताया कि बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र में जहां जमीन-संसाधन सीमित हैं और निर्माण-खर्च अक्सर बहुत ऊंचा हो जाता है, इस तरह की पहल विशेष रूप से सार्थक साबित हो सकती है। स्थानीय मिट्टी और चूने से निर्मित ईंटों से लागत कम आती है, मजदूरी घटती है, और स्थानिक शिल्पकारों को भी प्रोत्साहन मिलता है। इसके परिणामस्वरूप पूरे आवास-परियोजनाओं की जांच-पड़ताल, स्थानीय कारीगरों का प्रशिक्षण और स्थाई निर्माण तकनीक विकसित करना संभव है।
शब्बर हुसैन ने कहा कि यह मॉडल स्थानीय संस्कृति, जलवायु के अनुरूप हैं। वहीं, इस तरह के निर्माण कार्य से क्षेत्र में रोजगार-रचना को भी नया आयाम मिल सकता है। इस प्रकार यह प्रस्ताव केवल एक तकनीकी सुझाव नहीं, बल्कि सामाजिक-परिवर्तन और आर्थिक-समर्थन का मार्ग भी प्रस्तुत करता है। बुंदेलखंड के लोगों के लिए यह अवसर है कि वे नए आयामों के साथ अपने आवास-खर्च को नियंत्रित करें, पर्यावरण को संरक्षित रखें और प्राकृतिक सामग्रियों से अपने जीवन-स्थान को टिकाऊ व सुगम बनाएं।
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लागत में 30 प्रतिशत की बचत
इंजीनियर शब्बर हुसैन के मुताबिक हरित आवास तकनीक से मकान बनाने पर कुल निर्माण लागत में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आती है। यह बचत सीमेंट, लोहा और ट्रांसपोर्ट खर्च कम होने से होती है। साथ ही घर की मजबूती और टिकाऊपन पारंपरिक निर्माण से कहीं अधिक होता है।
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हरित आवास कम करेगा बिजली की खपत
इको होम मॉडल में स्थानीय मिट्टी, चूना और स्थिरकृत मड ब्लॉक का उपयोग किया जाता है। ये सामग्रियां पर्यावरण के अनुकूल होती हैं और तापमान को संतुलित रखती हैं। इससे गर्मी में घर ठंडा और सर्दी में गर्म बना रहता है, जिससे बिजली की खपत भी घटती है।
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वर्ष 2000 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर साॅफ्टवेयर इंजीनियर रहे शब्बर हुसैन ने बताया कि उनके द्वारा अपनाई जाने वाली पद्धति में स्थानीय मिट्टी को स्थिराकृत मड-ब्लॉक के रूप में प्रयोग किया जाता है, साथ ही सीमेंट और स्टील की खपत को कम करके अधिक प्राकृतिक व टिकाऊ आवास तैयार किए जाते हैं। इस तरह का घर निर्माण न केवल पर्यावरण के प्रति अनुकूल रहता है, बल्कि ताप और वायु संचलन को बेहतर बनाकर रहने वालों को अंदरूनी आराम भी देता है।
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शब्बर ने बताया कि बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र में जहां जमीन-संसाधन सीमित हैं और निर्माण-खर्च अक्सर बहुत ऊंचा हो जाता है, इस तरह की पहल विशेष रूप से सार्थक साबित हो सकती है। स्थानीय मिट्टी और चूने से निर्मित ईंटों से लागत कम आती है, मजदूरी घटती है, और स्थानिक शिल्पकारों को भी प्रोत्साहन मिलता है। इसके परिणामस्वरूप पूरे आवास-परियोजनाओं की जांच-पड़ताल, स्थानीय कारीगरों का प्रशिक्षण और स्थाई निर्माण तकनीक विकसित करना संभव है।
शब्बर हुसैन ने कहा कि यह मॉडल स्थानीय संस्कृति, जलवायु के अनुरूप हैं। वहीं, इस तरह के निर्माण कार्य से क्षेत्र में रोजगार-रचना को भी नया आयाम मिल सकता है। इस प्रकार यह प्रस्ताव केवल एक तकनीकी सुझाव नहीं, बल्कि सामाजिक-परिवर्तन और आर्थिक-समर्थन का मार्ग भी प्रस्तुत करता है। बुंदेलखंड के लोगों के लिए यह अवसर है कि वे नए आयामों के साथ अपने आवास-खर्च को नियंत्रित करें, पर्यावरण को संरक्षित रखें और प्राकृतिक सामग्रियों से अपने जीवन-स्थान को टिकाऊ व सुगम बनाएं।
लागत में 30 प्रतिशत की बचत
इंजीनियर शब्बर हुसैन के मुताबिक हरित आवास तकनीक से मकान बनाने पर कुल निर्माण लागत में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आती है। यह बचत सीमेंट, लोहा और ट्रांसपोर्ट खर्च कम होने से होती है। साथ ही घर की मजबूती और टिकाऊपन पारंपरिक निर्माण से कहीं अधिक होता है।
हरित आवास कम करेगा बिजली की खपत
इको होम मॉडल में स्थानीय मिट्टी, चूना और स्थिरकृत मड ब्लॉक का उपयोग किया जाता है। ये सामग्रियां पर्यावरण के अनुकूल होती हैं और तापमान को संतुलित रखती हैं। इससे गर्मी में घर ठंडा और सर्दी में गर्म बना रहता है, जिससे बिजली की खपत भी घटती है।

फोटो- 01 मिट्टी और चूने से निर्मित हरित आवास की फाइल फोटो। स्वयं