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UP News: शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यों के लिए भी हो मस्जिदों का उपयोग; बरेली के उलेमाओं ने की पहल

संवाद न्यूज एजेंसी, बरेली Published by: मुकेश कुमार Updated Fri, 16 Jun 2023 06:15 PM IST
सार

मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि मस्जिदों को अनौपचारिक शिक्षा और समुदाय सशक्तिकरण केंद्रों के रूप में उनकी भूमिका को बेहतर करके शिक्षा के केंद्र के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

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Bareilly ulema says Mosques should also be used for education, health and progress of the society
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात की ओर से शुक्रवार को ग्रांड मुफ्ती हाउस स्थित दरगाह आला हजरत में गोष्ठी का आयोजन किया गया। मस्जिद की समाज में अहमियत पर मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि मस्जिदें ऐतिहासिक रूप से इस्लामी शिक्षा और मुसलमानों के सशक्तिकरण का केंद्र रही हैं। पैगंबर मुहम्मद ने मस्जिदें, मुख्य शैक्षणिक केंद्र के तौर पर बनवाई थीं। मस्जिदों का उपयोग विभिन्न गतिविधियों के लिए किया गया, जिसमें सामाजिक-सांस्कृतिक, अर्थशास्त्र और धर्म से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना और उनका समाधान करना शामिल था।  

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उन्होंने कहा कि मस्जिद सहकारी समितियों और व्यावसायिक पूंजी की मदद से आर्थिक सशक्तिकरण प्रकोष्ठ के माध्यम से समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती हैं, जिससे उत्पादन इकाइयों, उत्पाद वितरण इकाइयों की स्थापना और बाजार संबंधी प्रशिक्षण देने में मदद मिल सके। मस्जिदों में कम शिक्षित और वंचित वर्गों को बुनियादी आजीविका प्रशिक्षण प्रदान करने वाली सामाजिक समर्थन प्रणाली बनने की क्षमता है। मस्जिदों को अनौपचारिक शिक्षा और समुदाय सशक्तिकरण केंद्रों के रूप में उनकी भूमिका को बेहतर करके शिक्षा के केंद्र के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष ने यह कहा 
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष हाफिज नूर अहमद अज़हरी ने कहा कि भारत में मुसलमान सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं। अधिकांश गरीबी से पीड़ित, शैक्षिक रूप से पिछड़े और सामाजिक रूप से निराश्रित हैं। ऐसे तबके के लिए मस्जिदें परिवर्तन के माध्यम के रूप में कार्य कर सकती हैं। इसके लिए एक रूपरेखा मस्जिद समिति द्वारा तैयार की जा सकती है। मस्जिद परिसर को साप्ताहिक आधार पर छात्रों के साथ व्याख्यान और बातचीत के लिए अस्थायी कक्षाओं के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि अक्सर स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च उठाने की क्षमता न होने के कारण वंचित मुसलमानों के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त करना मुश्किल होता है, इसलिए मस्जिदें मुफ्त स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने का एक विकल्प हो सकती हैं ताकि गरीब और वंचित मुसलमानों का जीवन स्तर बेहतर बनाया जा सके। 
 
कुछ मस्जिदें करा रहीं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी 
मदरसा शाने आला हजरत के प्रधानाचार्य मुफ्ती सिराजुद्दीन कादरी ने कहा कि भारत में कुछ मस्जिदों ने गरीब और वंचित मुस्लिम छात्रों, विशेषकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए ऐसी सुविधाएं शुरू की हैं। हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन और सीड फाउंडेशन ने हैदराबाद में जनरल क्लीनिक, कौशल विकास केंद्र और वृद्धाश्रम स्थापित करने के लिए कुछ मस्जिदों को सशक्त बनाया है। ये मस्जिदें बड़ी संख्या में मुसलमानों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान कर रही हैं।
 

इस्लामिक रिर्सच सेंटर के आरिफ अंसारी ने कहा कि तमाम तरह की सेवाओं में शिक्षा के क्षेत्र को सबसे पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। इस पहल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू मुस्लिम महिलाओं को प्रशिक्षित करना है क्योंकि सबसे पहले उन्हें शिक्षा और कौशल से लैस करना होगा, ताकि समुदाय में एक वास्तविक बदलाव महसूस किया जा सके।

इस्लामिया कालेज के हाजी नाजिम बेग ने कहा कि आम मुसलामानों की सरकारी अनुदान योजनाओं पर निर्भरता को कम करने में मस्जीदें एक निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। मस्जिदों का उपयोग अनौपचारिक शिक्षा के केंद्र के रूप में किया जा सकता है, जहां से ऐसे गुणवान लोग निकल सके जिनके पास इस्लाम धर्म के अलावा आधुनिक तकनीकों और विज्ञान का व्यापक ज्ञान हो। 

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