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UP: दुबई में सीखकर लौटा... घर में फर्जी कॉल सेंटर खोल देशभर में की साइबर ठगी; गेमिंग एप से चूना लगाते थे आरोपी

अमर उजाला नेटवर्क, पीलीभीत Published by: शाहरुख खान Updated Fri, 05 Dec 2025 10:20 AM IST
सार

पीलीभीत में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ है। गेमिंग एप के जरिए आरोपी ठगी करते थे। पूछताछ में गिरोह सरगना अमृतपाल ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। आरोपी 2024 में अपने साथी के साथ दुबई गया था और वहां कॉल सेंटर में काम सीखा था। 

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Fake call center busted in Pilibhit, accused used to cheat people through gaming apps
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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पीलीभीत के थाना घुंघचाई पुलिस ने एक बड़े साइबर ठग रैकेट का खुलासा करते हुए फर्जी कॉल सेंटर संचालित करने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से 09 मोबाइल, 02 लैपटॉप, 59 हजार से अधिक नकदी, कई बैंक पासबुक, प्री-एक्टिवेटेड सिम, फर्जी आधार कार्ड और विदेशी पहचान पत्र सहित अन्य सामग्री बरामद हुई है। 
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गिरोह गेमिंग एप के जरिए देशभर में लोगों के बैंक खातों को खाली करने का काम करता था। पुलिस लाइन में बृहस्पतिवार को एएसपी विक्रम दहिया ने मामले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि एनसीआरपी पोर्टल पर साइबर अपराधों में उपयोग किए गए खातों की जांच के दौरान पता चला कि घुंघचाई क्षेत्र स्थित गौरव शर्मा का जनसेवा केंद्र/बीसी प्वाइंट का संदिग्ध गतिविधियों में उपयोग हो रहा है। 
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पूछताछ और सर्विलांस के आधार पर पुलिस ने अमृतपाल सिंह निवासी हरीपुर ताल्लुके अजीतपुर बिल्हा को गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से मोबाइल, लैपटॉप, फर्जी दस्तावेज और नकदी बरामद हुई। खुलासे के बाद तीनों आरोपियोंं को कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है।

ऐसे चलता था ठगी का रैकेट
पूछताछ में गिरोह सरगना अमृतपाल ने बताया कि वह 2024 में अपने साथी के साथ दुबई गया था और वहां कॉल सेंटर में काम सीखा। वापस लौटने पर उसने घर से ही फर्जी कॉल सेंटर शुरू कर दिया। वे लोग एवियेटर और रम्मी जैसे गेमिंग एप के नाम पर लोगों को फोन करते, शुरुआत में उन्हें जीत दिलाते और अकाउंट में रकम भेजकर भरोसा जीत लेते थे।
 

बाद में पीड़ितों के बैंक खातों की जानकारी हासिल कर उनका पूरा पैसा निकाल लेते थे। गैंग डार्क वेब से गेम खेलने के इच्छुक लोगों के मोबाइल नंबर खरीदता था और उन्हें टारगेट बनाता था।

सहयोगी भी गिरफ्तार
पुलिस ने मुख्य आरोपी अमृतपाल के अलावा उसके दो साथियों को भी गिरफ्तार किया। इसमें घुंघचाई के ग्राम उदरहा निवासी धर्मेंद्र कुमार शामिल हैं जो अपने और अन्य लोगों के बैंक खाते कमीशन पर उपलब्ध कराता था। ग्राम घुंघचाई निवासी प्रियांशु दीक्षित जो 1000 रुपये में प्री-एक्टिवेटेड सिम ब्लैक में बेचता था। वह मोबाइल कंपनियों की आईडी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर एक ही आईडी पर दो सिम निकालकर एक सिम ब्लैक में बेच देता था।

कई राज्यों में फैला था नेटवर्क
तफ्तीश में सामने आया कि गिरोह जिन बैंक खातों का उपयोग करता था, उन पर उड़ीसा, तमिलनाडु, बिहार, कर्नाटक और मध्य प्रदेश से साइबर फ्रॉड के मामले दर्ज हैं। पुलिस अब मोबाइल नंबरों, खातों, आधार कार्डों और डिवाइसों की गहन जांच कर रही है ताकि पूरे नेटवर्क की पहचान हो सके।
 

दुबई में सीखकर लौटा... घर में फर्जी कॉल सेंटर खोल देशभर में की साइबर ठगी
घुंघचाई के अजीतपुर बिल्हा गांव में अपने घर में फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाला अमृतपाल गेमिंग एप के जरिये साइबर ठगी का तरीका दुबई से सीखकर आया था। यहां से उसने देश भर के लोगों से धोखाधड़ी शुरू कर दी। एएसपी विक्रम दहिया ने बताया कि अमृतपाल 2024 में अपने साथी के साथ दुबई गया था। 

फर्जी कॉल सेंटर के लिए उसने घुंघचाई के ग्राम उदरहा निवासी धर्मेंद्र कुमार और ग्राम घुंघचाई निवासी प्रियांशु दीक्षित को अपने साथ मिलाया। तिकड़मबाज अमृतपाल सिंह के ये दोनों दोस्त भी कम शातिर नहीं थे। तीनों की जुगलबंदी से ठगी का धंधा ठाठ से चल रहा था, मगर वे पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
 

धर्मेंद्र कुमार बैंक अभिकर्ता के रूप में बीसी सेंटर चलाकर लोगों के बैंक खाते खुलवाने का काम करता था। उसने अमृतपाल से इस बात का करार किया था कि वह उसे ठगी की रकम मंगाने के लिए उन्हीं लोगों के खाते कमीशन पर उपलब्ध कराएगा, जो जरूरतमंद लोग उसके पास आएंगे। 
 

इनमें से कुछ को मामूली कमीशन भी देता था। जांच में टीम को जितने भी खाते मिले वह आसपास के इलाके के निवासी थे लेकिन उन्होंने धर्मेंद्र के जनसेवा केंद्र के जरिये खाते खुलवाए थे। वैसे सेंटर का असली मालिक गौरव शर्मा बताया जा रहा है जिसकी पुलिस तलाश कर रही है। 
 

संभावना है कि वही धर्मेंद्र के जरिये यह सिंडीकेट चलवा रहा था।वहीं प्रियांशु 1000 रुपये में प्री-एक्टिवेटेड सिम ब्लैक में देता था। वह मोबाइल कंपनियों की आईडी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर एक ही आईडी पर दो सिम निकालकर एक सिम ब्लैक में बेच देता था।
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