Bareilly News: मांस उत्पादन में भारत का विश्व में पांचवां स्थान, फिर भी प्रति व्यक्ति उपलब्धता कम
आईवीआरआई में बुधवार को तीन दिवसीय भारतीय मीट विज्ञान संघ के 13वें राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। वैज्ञानिकों ने मीट सेक्टर में ट्रेसेबिलिटी, बायो–इकोनॉमी, सेल–बेस्ड मीट, वैकल्पिक प्रोटीन, एआई–आधारित प्रसंस्करण पर जोर दिया।
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भारत ने मांस उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति की है। 10.25 मिलियन टन वार्षिक मांस उत्पादन के साथ भारत विश्व में पांचवें स्थान पर है, पर पोषण स्तर के सापेक्ष प्रति व्यक्ति उपलब्ध पशु प्रोटीन कम है। कमी दूर करने के लिए वैज्ञानिकों को उत्पादकता में वृद्धि, वहनीयता, तकनीक का समावेश, उपलब्धता, आधारभूत ढांचे का सुदृढ़ीकरण, स्टार्टअप और नवाचार को प्राथमिकता देनी होगी।
बरेली में बुधवार को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के विवेकानंद सभागार में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय मीट विज्ञान संघ के 13वें राष्ट्रीय सम्मेलन में ये विचार संयुक्त निदेशक शोध डॉ. एसके मेंदीरत्ता ने साझा किए।
मुख्य अतिथि कृषि वैज्ञानिक चयन बोर्ड के चेयरमैन डॉ. संजय कुमार ने भारत के पशु उत्पाद, मीट सेक्टर के लिए स्मार्ट मीट सिस्टम, ट्रेसेबिलिटी, फ्रंटियर टेक्नोलॉजी, वैश्विक प्रोटीन क्रांति को लेकर विचार साझा किए। कहा कि विकसित देशों की तरह भारत को भी ट्रेसेबिलिटी, बायो–इकोनॉमी, सेल–बेस्ड मीट, वैकल्पिक प्रोटीन, ब्लॉकचेन, एआई–आधारित प्रसंस्करण अपनाने की जरूरत है।
स्वर्ण जयंती पर एलुमिनाई मीट में जुटे पूर्व छात्र
आईवीआरआई के पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी (एलपीटी) डिवीजन के 50 वर्ष पूरा होने पर स्वर्ण जयंती एलुमिनाई मीट आयोजित हुई। इसमें देश और विदेश में सेवाएं दे रहे पूर्व विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। संस्थान निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि आईवीआरआई बहुविषयक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो रहा है। संस्थान ने बीटेक (डेयरी टेक्नोलॉजी), एमबीए, मास्टर इन एनाटॉमी पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। अगले वर्ष मास्टर इन वन हेल्थ, मास्टर इन वाइल्डलाइफ हेल्थ जैसे राष्ट्रीय महत्व के कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। इसकी मंजूरी मिल गई है।
उत्कृष्ट वैज्ञानिकों को पुरस्कृत कर रहा आईएमएसए
इंडियन मीट साइंस एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. पीके मंडल ने बताया कि आईएमएसए के आठ सौ से ज्यादा आजीवन सदस्य हैं। जो मांस क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, सहयोग, नीतिगत समर्थन को सशक्त बना रहे हैं। उत्कृष्ट वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए संगठन ने कई पुरस्कार शुरू किए हैं। सम्मेलन का संचालन पशुधन उत्पाद प्रोद्योगिकी की डॉ. नेहा ठाकुर और धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. एआर सेन ने किया।