UP: पशुओं की खाल से बनी दवा से होगा शुगर व आर्थराइटिस का इलाज, आईवीआरआई के वैज्ञानिक कर रहे शोध
आईवीआरआई के वैज्ञानिक पशुओं की खाल से शुगर और आर्थराइटिस की दवा बनाने पर शोध कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने खाल से कोलेजन बनाने का तरीका खोज लिया है। जल्द ही मनुष्यों पर परीक्षण करने की तैयारी है।
विस्तार
मृत पशुओं की खाल से बनी दवा रक्त में शर्करा (शुगर) के स्तर को कम करेगी। आर्थराइटिस के दर्द से भी मरीजों को निजात दिलाएगी। बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के वैज्ञानिक इस पर तीन साल से शोध कर रहे हैं। उन्होंने खाल से कोलेजन बनाने का तरीका खोज लिया है। प्रयोगशाला में इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं। अब क्लीनिकल यानी मनुष्यों पर परीक्षण की तैयारी है।
आईवीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एके विश्वास के मुताबिक, वर्ष 2022 में यह शोध शुरू हुआ था। इसमें कानूनी तौर पर स्लॉटर होने वाले पशुओं समेत संस्थान के डेयरी फार्म में मृत पशुओं की खाल का इस्तेमाल किया गया। खाल को जिलेटिन से हाइड्रोलाइज कर उससे कोलेजन पाउडर बनाने की तकनीक विकसित की। इस प्रक्रिया से तैयार कोलेजन का इस्तेमाल बतौर दवा हो सकता है या नहीं, इसके लिए प्रयोगशाला में परीक्षण शुरू हुआ। इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एके विश्वास
जानिए, क्या है कोलेजन और कैसे होगा इसका प्रयोग
पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. तनवीर के मुताबिक, कोलेजन नामक प्रोटीन सिर्फ पशुओं में ही पाया जाता है। यह उनके बाल, त्वचा, नाखून, हड्डी, स्नायुबंध, उपास्थि, रक्तवाहिकाओं, आंतों की परत में मिलता है। कैप्सूल कवर समेत आर्थराइटिस और डायबिटीज के मरीजों को दी जाने वाली दवा में भी इसका प्रयोग होता है।
मांस से बनाए संपूरक आहार में 80 फीसदी प्रोटीन
डॉ. एके विश्वास के मुताबिक, एथेलेटिक्स, भारोत्तोलन, जिम में पसीना बहाने वाले या अन्य कार्यों में अधिक श्रम करने वालों को ज्यादा प्रोटीन की जरूरत होती है। उनके लिए प्रोटीन संपूरक आहार (सप्लीमेंट) भी बनाया गया है। इसमें शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व भी नहीं होते। पशुओं के मांस से तैयार सप्लीमेंट में प्रोटीन की मात्रा 80 फीसदी होती है। सामान्य रूप से मांस खाने पर इतना प्रोटीन नहीं मिलता।