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भरोसे का संकट: स्टांप ड्यूटी में छूट... फिर भी महिलाओं के नाम संपत्ति खरीदने से बच रहे पुरुष, घट रहा आंकड़ा

अजीत प्रताप सिंह, अमर उजाला ब्यूरो, बरेली Published by: मुकेश कुमार Updated Thu, 27 Nov 2025 01:00 PM IST
सार

महिलाओं के नाम संपत्ति खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में एक फीसदी की छूट मिलती है। इसके बावजूद बरेली में बीते चार वर्षों में महिलाओं के नाम संपत्ति खरीदने के आंकड़ों में गिरावट हुई है। इसके पीछे महिला और पुरुष के बीच भरोसे का संकट माना जा रहा है। 

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Men are avoiding buying property in women's names in Bareilly
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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महिलाओं के नाम संपत्ति खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में एक फीसदी की छूट के बावजूद साल दर साल आंकड़ों में गिरावट हो रही है। महिलाओं के नाम बैनामों की संख्या घट रही है। समाजशास्त्री इसे भरोसे के संकट से जोड़कर देख रहे हैं। वह पुरुष उत्पीड़न की घटनाओं और विवाह जैसे पवित्र रिश्ते में भरोसे की कमी की आशंका जता रहे हैं।

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संपत्ति के स्वामित्व में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए स्टांप एवं निबंध विभाग छूट दे रहा है। बरेली में विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो कोरोना काल से पहले जो आंकड़े बढ़ रहे थे, अब उनमें गिरावट हो रही है। इस वर्ष अक्तूबर तक जिले में महिलाओं के नाम से 19,139 बैनामे हुए। वर्ष 2022 में 31,114 महिलाओं के नाम संपत्तियों की रजिस्ट्री हुई थी।
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वर्ष 2025 में अब तक 41,227 रजिस्ट्री से 3,48,19,63,753 रुपये का राजस्व मिला है। इसमें 22,108 पुरुषों के नाम हुई रजिस्ट्री से 3,25,70,68,834 रुपये और 19,139 महिलाओं के नाम रजिस्ट्री से 22,48,94,919 रुपये राजस्व मिला। आंकड़ों बताते हैं कि महिलाओं के नाम से उच्च मूल्य की संपत्ति खरीदने से भी पुरुष पीछे हट रहे हैं।

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पुरुषों का बढ़ता उत्पीड़न और त्रिकोणीय प्रेम प्रसंग बन रहे वजह
बरेली कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो. नवनीत कौर आहूजा ने बताया कि बीते दो-तीन वर्षों में पति पर पत्नी के हिंसक होने के मामले बढ़े हैं। ज्यादातर मामलों में प्रेम-प्रसंग उजागर हुए। उत्तर प्रदेश समेत देशभर में ऐसी घटनाएं सामने आने से पुरुष वर्ग आशंकित है। इससे पत्नी पर भरोसा डगमगाया है। एक बार पत्नी के नाम से संपत्ति खरीदने पर भविष्य में खरीद-बिक्री का निर्णय पुरुष नहीं ले सकता। पुरुष छूट से ज्यादा अपनी गाढ़ी कमाई को लेकर संवेदनशील हैं।

सोशल मीडिया भी जिम्मेदार
जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. आशीष कुमार के मुताबिक, सोशल मीडिया भी वैवाहिक जीवन में जहर घोल रहा है। टेलीमानस पर लगातार इससे संबंधित कॉल आती रहती हैं। इसमें घर से निकलने के बाद पत्नी के सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने और पूछने पर संतोषजनक जवाब न देने, महिलाओं द्वारा ज्यादा वक्त फोन पर बिताने और ससुराल पक्ष के साथ कम रहने, छोटी-छोटी बातों पर झगड़ने या ताना मारने की शिकायतें बढ़ी हैं। इससे रिश्तों की डोर कमजोर हो रही है। जबकि पुरुषों पर महिलाओं द्वारा शक के मामले कम हुए हैं। 

महिलाओं के नाम रजिस्ट्री के आंकड़े
वित्त वर्ष रजिस्ट्री
2022-23            31,114
2023-24            25,087
2024-25            21,176
2025-26            19,139 (अक्तूबर तक)
(नोट : आंकड़े निबंधन कार्यालय से प्राप्त)

एआईजी स्टांप तेज सिंह यादव ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार महिलाओं के नाम से रजिस्ट्री पर स्टांप में एक फीसदी छूट दी जा रही है। रजिस्ट्री किसके नाम से होगी, यह खरीदार पर निर्भर होता है। उन पर कोई दबाव नहीं होता। लोग संपत्तियों की रजिस्ट्री महिला के नाम से कराकर छूट का लाभ ले सकते हैं।

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