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Bareilly News: मोटे अनाज के उत्पादन से सुधरेगी किसानों की आर्थिक स्थिति
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बरेली। सरकार ने बजट में मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रावधान किया है। आने वाले दिनों में किसानों को इसका फायदा मिलेगा। दरअसल, बरेली की जलवायु और भूमि मोटे अनाजों के उत्पादन के लिहाज से उपयुक्त है। इसके बावजूद यहां केवल बाजरा और ज्वार का ही उत्पादन होता है।
बरेली में गेहूं और धान का ज्यादा उत्पादन होता है। कृषि योग्य भूमि का रकबा 3.20 लाख हेक्टेयर है। यहां रबी सीजन में सबसे ज्यादा गेहूं और खरीफ में धान की फसल होती है। मोटे पोषक अनाजों में बाजरा, ज्वार, कुटकी, चेना बाजरा, रागी, सांवा, छोटी कंगनी, कोदो, कांकुन आते हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में 1434 हेक्टेयर में 30229 मीट्रिक टन बाजरा और 380 हेक्टयर से ज्यादा भूमि पर किसानों ने 406 मीट्रिक टन से ज्यादा ज्वार का उत्पादन किया।
कुटकी, चेना बाजरा, रागी, सांवा, छोटी कंगनी, कोदो, कांकुन फसलों का उत्पादन शून्य रहा। रबी और खरीफ की अन्य फसलों के मुकाबले मोटे अनाजों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर ज्यादा होता है। बाजार और सही मूल्य न मिलने के कारण किसान मोटे अनाज नहीं उगाते। मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ग्लोबल हब, किसानों को प्रशिक्षण आदि के लिए 2200 करोड़ के बजट की व्यवस्था के बाद किसानों का रुझान इस ओर बढ़ेगा। सही मूल्य और बाजार मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुुधार होगा।
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कुटकी, चेना बाजरा, रागी, सांवा, छोटी कंगनी, कोदो, कांकुन फसलों का उत्पादन शून्य रहा। रबी और खरीफ की अन्य फसलों के मुकाबले मोटे अनाजों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर ज्यादा होता है। बाजार और सही मूल्य न मिलने के कारण किसान मोटे अनाज नहीं उगाते। मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ग्लोबल हब, किसानों को प्रशिक्षण आदि के लिए 2200 करोड़ के बजट की व्यवस्था के बाद किसानों का रुझान इस ओर बढ़ेगा। सही मूल्य और बाजार मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुुधार होगा।