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Bhadohi News: खेत में पराली जलाने से कमजोर होते हैं मिट्टी के पोषक तत्व
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ज्ञानपुर। जिले में तेजी से धान फसल की कटाई मंडाई कार्य के साथ ही गेंहू की बुआई चल रही है। ज्यादातर किसान हार्वेस्टर के जरिए धान कटवा रहे हैं। हार्वेस्टर से ऊपर से ही धान की कटाई होती है। पराली का एक हिस्सा बच जाता है। अमूमन किसान बचे हुए पराली को खेत में जलाकर नष्ट कर देते हैं। पराली जलाने से खेत की उर्वरक शक्ति प्रभावित होती है। वहीं प्रदूषण भी फैलता है।
आगामी फसल की पैदावार पर असर पड़ता है। प्रशासन की लाख सख्ती के बाद लोग खेत में पराली चोरी छूपे जला देते हैं। यहां करीब 47 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई हैं। इसमें से 80 फिसदी धान की कटाई और 50 फीसदी मंडाई के कार्य हो चुके हैं। पराली को जलाने के बजाय उसे पोषक तत्व (जैविक उर्वरक) के रूप में उपयोग में लाने की सलाह कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. विश्वेंदु द्विवेदी ने दी।।
बताया 10 कुंतल अवशेष (पराली) जलाने से 400 किलोग्राम जैविक कार्बन, 5.5 किलो. नाइट्रोजन, 2.3 किलो. फास्फोरस, 2.5 किलो. पोटाश व 1.5 किलो. गंधक का नुकसान होता है। किसानों को पराली जलाने से बचना चाहिए। बताया कि धान की कटाई के बाद तुरंत किसान खेत में आगामी फसल की बोआई कर देना चाहिए। बुआई से पहले यूरिया का छिड़काव कर दें। इससे पुआल गलने की संभावना अधिक रहती है। इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। आगामी फसलों की पैदावार पांच से 10 फीसदी अधिक होती है। किसानों को चाहिए कि हैप्पी सीडर व जीरो ट्रिलेज के जरिए पराली प्रबंधन कराएं। बिना जोताई करके सीधे गेहूं की बोआई न करें।
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आगामी फसल की पैदावार पर असर पड़ता है। प्रशासन की लाख सख्ती के बाद लोग खेत में पराली चोरी छूपे जला देते हैं। यहां करीब 47 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई हैं। इसमें से 80 फिसदी धान की कटाई और 50 फीसदी मंडाई के कार्य हो चुके हैं। पराली को जलाने के बजाय उसे पोषक तत्व (जैविक उर्वरक) के रूप में उपयोग में लाने की सलाह कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. विश्वेंदु द्विवेदी ने दी।।
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बताया 10 कुंतल अवशेष (पराली) जलाने से 400 किलोग्राम जैविक कार्बन, 5.5 किलो. नाइट्रोजन, 2.3 किलो. फास्फोरस, 2.5 किलो. पोटाश व 1.5 किलो. गंधक का नुकसान होता है। किसानों को पराली जलाने से बचना चाहिए। बताया कि धान की कटाई के बाद तुरंत किसान खेत में आगामी फसल की बोआई कर देना चाहिए। बुआई से पहले यूरिया का छिड़काव कर दें। इससे पुआल गलने की संभावना अधिक रहती है। इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। आगामी फसलों की पैदावार पांच से 10 फीसदी अधिक होती है। किसानों को चाहिए कि हैप्पी सीडर व जीरो ट्रिलेज के जरिए पराली प्रबंधन कराएं। बिना जोताई करके सीधे गेहूं की बोआई न करें।