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Bhadohi News: 19 साल की उम्र में 10000 मीटर मैराथन जीतने वाले अंतरराष्ट्रीय धावक मुरलीधर बिंद का निधन
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मुरलीधर बिंद को गार्ड ऑफ आनर देते पुलिस के जवान। संवाद
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डीघ ब्लॉक के मदनपुर गांव निवासी अंतरराष्ट्रीय धावक मुरलीधर बिंद (70) का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। खेल जगत, बीएसएफ जवानों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने उनके आवास पर जाकर शोक संवेदना व्यक्त की।
मुरलीधर ने अपने संघर्ष, अनुशासन और अद्भुत प्रतिभा से भारतीय एथलेटिक्स में अनगिनत कीर्तिमान स्थापित किए। वे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में 38 साल 8 माह सेवा देने के बाद डिप्टी कमांडेंट के पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे भारतीय खेलों में नई क्रांति लाने के अपने प्रोजेक्ट के जरिये युवाओं को ओलंपिक स्तर तक पहुंचाने के प्रयास में लगातार जुटे रहे। उनके निधन की सूचना के बाद जिलाधिकारी शैलेष कुमार और पुलिस अधीक्षक अभिमन्यु मांगलिक ने उनके आवास पर जाकर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सांसद डॉ. विनोद बिंद की पत्नी रीना बिंद, विधायक विपुल दुबे, जाहिद बेग समेत तमाम जनप्रतिनिधियों व खिलाड़ियों ने उनके निधन पर शोक जताया। गार्ड ऑफ ऑनर के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार बेहरोजपुर स्थित गंगा घाट पर किया गया। सबसे पहले मदनपुर गांव स्थित बगीचे में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यहीं से वे खेलना शुरू किए थे।
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भारत को पहला ओपन मैराथन पदक दिलाने वाले धावक भी थे मुरलीधर
गोपीगंज। बेटे सुरेंद्र बिंद के मुताबिक मुरलीधर ने जीवन में संघर्ष से कई उपलब्धियां हासिल कीं। वे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 40 पदक जीते। इसमें 20 स्वर्ण (गोल्ड), 11 रजत (सिल्वर) और 9 कांस्य (ब्रांज) मेडल शामिल है। 1977 में तीनों लंबी दौड़ इवेंट पर कब्ज़ा जमाकर उन्होंने इतिहास बना दिया था। उस समय वे देश के पहले धावक बने। जिन्होंने 19 वर्ष की उम्र में 5000 मीटर 10000 मीटर मैराथन पदक जीतकर सुर्खियां बटोरी थीं। उन्होंने 2 घंटे 18 मिनट में मैराथन पूरा कर नया रिकॉर्ड बनाया था। वे विश्व स्तर पर भारत को पहला ओपन मैराथन पदक दिलाने वाले धावक भी रहे। उनकी लंबाई केवल पांच फीट थी। वे दुनिया के सबसे कम कद वाले ऐसे व्यक्ति बने। जिन्होंने किसी भी फोर्स में कमांडो क्वालिफिकेशन हासिल की।
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मुरलीधर ने अपने संघर्ष, अनुशासन और अद्भुत प्रतिभा से भारतीय एथलेटिक्स में अनगिनत कीर्तिमान स्थापित किए। वे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में 38 साल 8 माह सेवा देने के बाद डिप्टी कमांडेंट के पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे भारतीय खेलों में नई क्रांति लाने के अपने प्रोजेक्ट के जरिये युवाओं को ओलंपिक स्तर तक पहुंचाने के प्रयास में लगातार जुटे रहे। उनके निधन की सूचना के बाद जिलाधिकारी शैलेष कुमार और पुलिस अधीक्षक अभिमन्यु मांगलिक ने उनके आवास पर जाकर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सांसद डॉ. विनोद बिंद की पत्नी रीना बिंद, विधायक विपुल दुबे, जाहिद बेग समेत तमाम जनप्रतिनिधियों व खिलाड़ियों ने उनके निधन पर शोक जताया। गार्ड ऑफ ऑनर के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार बेहरोजपुर स्थित गंगा घाट पर किया गया। सबसे पहले मदनपुर गांव स्थित बगीचे में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यहीं से वे खेलना शुरू किए थे।
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भारत को पहला ओपन मैराथन पदक दिलाने वाले धावक भी थे मुरलीधर
गोपीगंज। बेटे सुरेंद्र बिंद के मुताबिक मुरलीधर ने जीवन में संघर्ष से कई उपलब्धियां हासिल कीं। वे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 40 पदक जीते। इसमें 20 स्वर्ण (गोल्ड), 11 रजत (सिल्वर) और 9 कांस्य (ब्रांज) मेडल शामिल है। 1977 में तीनों लंबी दौड़ इवेंट पर कब्ज़ा जमाकर उन्होंने इतिहास बना दिया था। उस समय वे देश के पहले धावक बने। जिन्होंने 19 वर्ष की उम्र में 5000 मीटर 10000 मीटर मैराथन पदक जीतकर सुर्खियां बटोरी थीं। उन्होंने 2 घंटे 18 मिनट में मैराथन पूरा कर नया रिकॉर्ड बनाया था। वे विश्व स्तर पर भारत को पहला ओपन मैराथन पदक दिलाने वाले धावक भी रहे। उनकी लंबाई केवल पांच फीट थी। वे दुनिया के सबसे कम कद वाले ऐसे व्यक्ति बने। जिन्होंने किसी भी फोर्स में कमांडो क्वालिफिकेशन हासिल की।