राष्ट्रीय खेल दिवसः टोक्यो ओलंपिक में प्रवेश कर जेवलिन थ्रोवर शिवपाल ने चंदौली का नाम किया रोशन
टोक्यो ओलंपिक के लिए 10 मार्च 2020 को दक्षिण अफ्रीका में क्वालीफाई के लिए तय 85 मीटर के सापेक्ष 85.47 मीटर भाला फेंक कर शिवपाल ने प्रथम स्थान हासिल किया और टोक्यो ओलंपिक का टिकट फाइनल किया था।
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यूपी के चंदौली जिले के धनापुर ब्लॉक के हिंगुतरगढ़ के निवासी वायुसेना के जवान औऱ जेवलिन थ्रोवर शिवपाल सिंह ने टोक्यो ओलंपिक में प्रवेश कर जिले का नाम रौशन कर दिया। भले ही उन्होंने ओलंपिक में कोई मेडल नहीं जीता पर जनपद वासियों के दिल को जीत लिया। उनके गांव के लोगों का कहना है कि शिवपाल ने ओलंपिक में कदम रखकर ही जिले का मान बढ़ा दिया।
शिवपाल के खेल के प्रति लगन को देखकर उनके चाचा जगमोहन सिंह जो नौसेना में जेवलिन थ्रो के कोच थे। उन्होंने मात्र 13 साल के उम्र में ही शिवपाल को अपने साथ दिल्ली लेकर चले गए थे। वहां शिवपाल ने पंडित जवाहर लाल स्टेडियम में वर्ष 2010, 11 व 12 में प्रैक्टिस की। उनकी खेल प्रतिभा को देखकर वर्ष 2013 में इंडियन एयर फोर्स की ओर से ऑफर आया और उन्होंने नौकरी ज्वॉइन कर ली।
शिक्षा के साथ अपनी मेहनत के बल पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया। ओलिंपियाड में चयन होने से पहले शिवपाल सिंह का साउथ एशियन गेम्स नेपाल काठमांडू में 84 मीटर व एशियन चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंकने में सिल्वर मेडल मिला। वहीं प्रदेश सरकार ने 2019 में इन्हें लक्ष्मण पुरस्कार से भी नवाजा है।
टोक्यो ओलंपिक के लिए 10 मार्च 2020 को दक्षिण अफ्रीका में क्वालीफाई के लिए नियत 85 मीटर के सापेक्ष 85.47 मीटर भाला फेंक कर शिवपाल ने प्रथम स्थान हासिल किया और टोक्यो ओलंपिक का टिकट फाइनल किया। उनके पिता रामाश्रय सिंह भी भाला फेंकते थे। वे अभी उत्तर प्रदेश पुलिस में हैं। शिवपाल का छोटा भाई नंदकिशोर सिंह भी जेवलिन थ्रो के नेशनल लेवल के खिलाड़ी हैं।
ओलंपिक में भाग लेने वाले देश के दूसरे जेवलिन थ्रोवर
प्रियंका गांधी भी कर चुकी हैं प्रशंसा
चंदौली में नहीं है एक भी खेल मैदान
टोक्यो ओलंपिक में क्वालिफाई करने वाले जेवलिन थ्रोवर शिवपाल सिंह और एशियन गेम्स, जकार्ता में चयनित होने वाले कैनोइंग कयाकिंग (ड्रैग्न बोर्ड) के खिलाड़ी अभय सिंह के जिले चंदौली में खेल के प्रति काफी उदासीनता है। खेल और खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए कोई सुविधा ग्रामीण स्तर पर नहीं है।
आधुनिक संसाधन व ट्रेनिंग सेंटर तो दूर की बात है जनपद में आज कोई स्टेडियम या उच्च स्तरीय खेल मैदान नहीं बन सका। सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ियों का अन्य जिलों एवं राज्यों के लिए पलायन का सिलसिला जारी है।
स्पोर्ट्स एसोसिएशन ऑफ चंदौली, खेलजगत फाउंडेशन के महासचिव व चंदौली क्रीड़ा भारती के जिलाध्यक्ष कुमार नंदजी ने बताया कि जनपद में कुश्ती, बॉक्सिंग, एथलेटिक्स जैसे खेलों में खिलाड़ियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन हो रहा है लेकिन कबड्डी, ग्रेप्पलिंग, आर्चरी, सेपकताकरा, फुटबॉल इत्यादि के खिलाड़ियों को सुविधाओं के अभाव में प्रैक्टिस के लिए भटकना पड़ता है। वहीं जिला खेल विभाग के सुस्त रवैये से खिलाड़ियों को खेल से जुड़ी गतिविधियों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती।