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Chandauli News: चंद्रप्रभा डैम से लगातार बह रहा पानी,
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चंद्रप्रभा बांध के दोनों गेट से काफी तेज गति से निकलता हुआ छोड़ा गया पानी। संवाद
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राजदरी। चंद्रप्रभा नदी पर जल संरक्षण और सिंचाई के उद्देश्य से वर्ष 1955 में बनाए गए चंद्रप्रभा डैम पर एक बार फिर संकट मंडराता दिखाई दे रहा है। पिछले सोमवार से लगातार सुलूस गेट से पानी बहाया जा रहा है। इससे किसान चिंतित हैं। उन्हें भय है कि यदि इसी तरह पानी बहाया जाता रहा तो बांध में पानी काफी कम हो जाएगा और सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो जाएगी
घाटी क्षेत्र के किसानों के लिए जीवनरेखा माने जाने वाले इस बांध से लगभग 33 हजार एकड़ रकबे में हर वर्ष सिंचाई होती है। वाइल्ड लाइफ सेंचुरी क्षेत्र होने के कारण जंगली जानवरों के लिए भी यही पानी का मुख्य स्रोत है। पिछले वर्ष 2023 में जब सुलूस गेट खराब हो गया था, तब 1955 के बाद पहली बार बांध पूरी तरह सूख गया था। उस समय पशु-पक्षी और किसान पानी के लिए बेहाल हो उठे। मामला चर्चित होने पर 36 घंटे के भीतर सोनभद्र से पानी मंगवाकर स्थिति सामान्य की गई थी। किसानों का कहना है कि उस समय सुलूस गेट की रिपेयरिंग के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे। केवल एक वर्ष बाद ही गेट में फिर से खराबी आ गई। बताया जा रहा है कि गेट के नीचे लगा एक पत्थर खिसक गया है। इसके कारण पानी लगातार रिस रहा है। सिंचाई विभाग दबाव कम करने के नाम पर भी अतिरिक्त पानी बाहर छोड़ रहा है।
किसानों ने बताया--
-इस बार बारिश अच्छी हुई थी, इसलिए भरोसा था कि रबी की फसल की सिंचाई बिना किसी परेशानी से हो जाएगी लेकिन बांध से लगातार पानी छोड़े जाने से उसके सूखने का खतरा है। - चंद्र प्रकाश सिंह
-सुलूस गेट की मरम्मत पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद फिर पानी रिस रहा है। अगर डैम खाली हो गया तो हमारी गेहूं और अन्य फसलों को भारी नुकसान होगा क्योंकि सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा।-वरुण दूबे
-हमने सिंचाई विभाग से मांग की है कि तत्काल रिसाव रोककर किसानों के लिए पानी सुरक्षित रखा जाए। यदि डैम को फिर खाली किया गया तो किसान आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। वीरेंद्र पाल, अध्यक्ष , भारतीय किसान यूनियन
कोट-
इस मानसून में डैम में पर्याप्त पानी भर चुका है। सुलूस गेट के नीचे पत्थर के जॉइंट ढीला हो गया है। इसलिए डैम सेफ्टी टीम के निर्देश पर दबाव कम करने के लिए पानी नियंत्रित तरीके से छोड़ा जा रहा है। किसानों को रबी फसल के लिए पूरा पानी मिलेगा। लक्ष्य है कि जून 2026 तक लीकेज की समस्या पूरी तरह समाप्त कर दी जाए।
हरेंद्र कुमार, अधिशासी अभियंता, चंद्रप्रभा
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घाटी क्षेत्र के किसानों के लिए जीवनरेखा माने जाने वाले इस बांध से लगभग 33 हजार एकड़ रकबे में हर वर्ष सिंचाई होती है। वाइल्ड लाइफ सेंचुरी क्षेत्र होने के कारण जंगली जानवरों के लिए भी यही पानी का मुख्य स्रोत है। पिछले वर्ष 2023 में जब सुलूस गेट खराब हो गया था, तब 1955 के बाद पहली बार बांध पूरी तरह सूख गया था। उस समय पशु-पक्षी और किसान पानी के लिए बेहाल हो उठे। मामला चर्चित होने पर 36 घंटे के भीतर सोनभद्र से पानी मंगवाकर स्थिति सामान्य की गई थी। किसानों का कहना है कि उस समय सुलूस गेट की रिपेयरिंग के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे। केवल एक वर्ष बाद ही गेट में फिर से खराबी आ गई। बताया जा रहा है कि गेट के नीचे लगा एक पत्थर खिसक गया है। इसके कारण पानी लगातार रिस रहा है। सिंचाई विभाग दबाव कम करने के नाम पर भी अतिरिक्त पानी बाहर छोड़ रहा है।
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किसानों ने बताया
-इस बार बारिश अच्छी हुई थी, इसलिए भरोसा था कि रबी की फसल की सिंचाई बिना किसी परेशानी से हो जाएगी लेकिन बांध से लगातार पानी छोड़े जाने से उसके सूखने का खतरा है। - चंद्र प्रकाश सिंह
-सुलूस गेट की मरम्मत पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद फिर पानी रिस रहा है। अगर डैम खाली हो गया तो हमारी गेहूं और अन्य फसलों को भारी नुकसान होगा क्योंकि सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा।-वरुण दूबे
-हमने सिंचाई विभाग से मांग की है कि तत्काल रिसाव रोककर किसानों के लिए पानी सुरक्षित रखा जाए। यदि डैम को फिर खाली किया गया तो किसान आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। वीरेंद्र पाल, अध्यक्ष , भारतीय किसान यूनियन
कोट-
इस मानसून में डैम में पर्याप्त पानी भर चुका है। सुलूस गेट के नीचे पत्थर के जॉइंट ढीला हो गया है। इसलिए डैम सेफ्टी टीम के निर्देश पर दबाव कम करने के लिए पानी नियंत्रित तरीके से छोड़ा जा रहा है। किसानों को रबी फसल के लिए पूरा पानी मिलेगा। लक्ष्य है कि जून 2026 तक लीकेज की समस्या पूरी तरह समाप्त कर दी जाए।
हरेंद्र कुमार, अधिशासी अभियंता, चंद्रप्रभा