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Chitrakoot News: कोविदार के चित्रयुक्त अयोध्या के राज ध्वज का चित्रकूट से भी नाता
संवाद न्यूज एजेंसी, चित्रकूट
Updated Wed, 26 Nov 2025 12:18 AM IST
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चित्रकूट। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा फहराए गए धर्म ध्वज का नाता भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट से भी रहा है। कोविदार के चित्रयुक्त अयोध्या का राज ध्वज भगवान श्रीराम के वनवास काल में यहां आया था। ऊंची पहाड़ी से ध्वज देखकर लक्ष्मण ने श्रीराम से कहा था कि अपने अयोध्या के चित्र वाला ध्वज लेकर सेना हम पर आक्रमण करने आ रही है।
श्रीराम के समझाने पर लक्ष्मण शांत हुए। पता चला कि भगवान राम को मनाने के लिए भरत व शत्रुघ्न पूरी सेना व अयोध्या वासियों के संग आए थे। चित्रकूट में भरत मिलाप व लक्ष्मण पहाड़ी के पास कोविदार के कुछ वृक्ष व ऐसे चित्र वाले ध्वज के आकार दीवार में उकेरे दिखते हैं।
दिगंबर अखाड़ा के महंत दिव्यजीवन दास व भरत मिलाप मंदिर के महंत राममनोहर दास बताते हैं कि वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में यह प्रसंग श्लोक में इस कोविदार के चित्रयुक्त राजध्वज को लेकर श्लोक है कि. एष वै सुमहान श्रीमान् विटपी सम्प्रकाशते। विराजत्युज्जवलस्कन्धः कोविदारध्वजो रथे...। कोविदार वृक्ष कचनार की प्रजाति का होता है । इसमें औषधीय गुण होते हैं। ध्वजदंड भी कोविदार का बनाया जाता था। कभी अयोध्या में कोविदार के वृक्ष बहुतायत में थे। अब संख्या बहुत कम हो गई है। बताया जाता है कि यह प्रसंग चित्रकूट में लक्ष्मण पहाड़ी का है। चित्रकूट में भरत मिलाप स्थल, भगवान कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर स्थित है। यह ध्वज चित्रकूट आ चुका है।
इतिहासकार शोधकर्ता इं. हेमंत कुमार ने बताया कि कोविदार के चित्रयुक्त अयोध्या का राजध्वज रामायण काल में चित्रकूट भी आ चुका है।
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श्रीराम के समझाने पर लक्ष्मण शांत हुए। पता चला कि भगवान राम को मनाने के लिए भरत व शत्रुघ्न पूरी सेना व अयोध्या वासियों के संग आए थे। चित्रकूट में भरत मिलाप व लक्ष्मण पहाड़ी के पास कोविदार के कुछ वृक्ष व ऐसे चित्र वाले ध्वज के आकार दीवार में उकेरे दिखते हैं।
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दिगंबर अखाड़ा के महंत दिव्यजीवन दास व भरत मिलाप मंदिर के महंत राममनोहर दास बताते हैं कि वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में यह प्रसंग श्लोक में इस कोविदार के चित्रयुक्त राजध्वज को लेकर श्लोक है कि. एष वै सुमहान श्रीमान् विटपी सम्प्रकाशते। विराजत्युज्जवलस्कन्धः कोविदारध्वजो रथे...। कोविदार वृक्ष कचनार की प्रजाति का होता है । इसमें औषधीय गुण होते हैं। ध्वजदंड भी कोविदार का बनाया जाता था। कभी अयोध्या में कोविदार के वृक्ष बहुतायत में थे। अब संख्या बहुत कम हो गई है। बताया जाता है कि यह प्रसंग चित्रकूट में लक्ष्मण पहाड़ी का है। चित्रकूट में भरत मिलाप स्थल, भगवान कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर स्थित है। यह ध्वज चित्रकूट आ चुका है।
इतिहासकार शोधकर्ता इं. हेमंत कुमार ने बताया कि कोविदार के चित्रयुक्त अयोध्या का राजध्वज रामायण काल में चित्रकूट भी आ चुका है।