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Farrukhabad News: दूसरों के घर दीपक जलाकर अपना घर भी कर रहीं रोशन
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फोटो-44 बल्ब व अन्य उत्पादाें का स्टॉल लगाए पिंकी। स्रोत: स्वयं
स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं महिलाएं आत्मनिर्भरता की पेश कर रहीं मिसाल
संवाद न्यूजए एजेंसी
फर्रुखाबाद। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। नवाबगंज ब्लॉक के महिला समूह बल्ब और दीपक बनाकर दूसरों के घर रोशनी बिखेर रहा है। इससे होने वाली आय से उनके घर भी रोशन हो रहे हैं। अन्य उत्पादों से भी वह अपनी आय बढ़ा रही हैं।
नवाबगंज क्षेत्र के गांव ऊगरपुर निवासी पिंकी ने 13 महिलाओं का समूह बनाकर तरक्की की राह पकड़ी है। वह एलईडी बल्ब तैयार कर बाजार में बेचती हैं। इसके अलावा दिवाली पर उन्होंने गाय के गोबर के दीये बनाकर सभी के घरों में रोशनी बिखेरी। इससे होने वाली आय से उनका घर भी खुशी से रोशन हो गया।
त्योहारी उत्पादों का लाभ लेने के बाद वह आय के लिए दूसरी राह पकड़ लेती हैं। पिंकी ने बताया कि वह स्कूल में रसोइया हैं। छोटी पगार से परिवार पालना मुश्किल था। इससे उन्होंने समूह बनाया। वह समूह की महिलाओं के साथ दिवाली पर दीये बनाए। 5000 दीयों की बिक्री हुई। इसमें अच्छी आय हुई। इसके अलावा वह समूह की महिलाओं के साथ ब्लाउज बनाती हैं। सिलाई के काम से भी ठीक आय हो जाती है। फिलहाल वह करीब 10 हजार रुपये अधिक प्रति माह आय कर अपना परिवार अच्छे से पाल रही हैं।
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संवाद न्यूजए एजेंसी
फर्रुखाबाद। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। नवाबगंज ब्लॉक के महिला समूह बल्ब और दीपक बनाकर दूसरों के घर रोशनी बिखेर रहा है। इससे होने वाली आय से उनके घर भी रोशन हो रहे हैं। अन्य उत्पादों से भी वह अपनी आय बढ़ा रही हैं।
नवाबगंज क्षेत्र के गांव ऊगरपुर निवासी पिंकी ने 13 महिलाओं का समूह बनाकर तरक्की की राह पकड़ी है। वह एलईडी बल्ब तैयार कर बाजार में बेचती हैं। इसके अलावा दिवाली पर उन्होंने गाय के गोबर के दीये बनाकर सभी के घरों में रोशनी बिखेरी। इससे होने वाली आय से उनका घर भी खुशी से रोशन हो गया।
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त्योहारी उत्पादों का लाभ लेने के बाद वह आय के लिए दूसरी राह पकड़ लेती हैं। पिंकी ने बताया कि वह स्कूल में रसोइया हैं। छोटी पगार से परिवार पालना मुश्किल था। इससे उन्होंने समूह बनाया। वह समूह की महिलाओं के साथ दिवाली पर दीये बनाए। 5000 दीयों की बिक्री हुई। इसमें अच्छी आय हुई। इसके अलावा वह समूह की महिलाओं के साथ ब्लाउज बनाती हैं। सिलाई के काम से भी ठीक आय हो जाती है। फिलहाल वह करीब 10 हजार रुपये अधिक प्रति माह आय कर अपना परिवार अच्छे से पाल रही हैं।