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Farrukhabad News: मरीजों के काम नहीं आ रहे पांच सीएचसी में लगे ऑक्सीजन प्लांट
संवाद न्यूज एजेंसी, फर्रूखाबाद
Updated Wed, 26 Nov 2025 01:04 AM IST
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फर्रुखाबाद। स्वास्थ्य विभाग का लापरवाह चेहरा एक बार फिर सामने आया है। मंगलवार को सीएचसी नवाबगंज में ऑक्सीजन न मिलने से व्यापारी की मौत हो गई। जबकि पांच सीएचसी में ऑक्सीजन प्लांट किसी मरीज के काम नहीं आ रहे हैं।
अस्पतालों में लाखों रुपये कीमत के ऑक्सीजन प्लांट की क्रियाशीलता मॉकड्रिल तक ही सीमित है और ऑक्सीजन सिलिंडर खरीद कर बजट खपाया जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने से कई मरीजों की मौत हो गई थी।
इस त्रासदी को सरकार ने गंभीरता से लिया। इसी के बाद जिले के पांच सीएचसी में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए। इससे किसी भी मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी से न हो। एक प्लांट लगाने में करीब 35 से 40 लाख रुपये खर्च हुए। तीन वर्ष पूर्व सीएचसी में लगाए गए ऑक्सीजन प्लांट अब तक किसी मरीज को श्वांस नहीं दे सके।
विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि पिछले दिनों पोस्टमार्टम हाउस में शव कुत्तों के नोचने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हो पाया, अब विभाग की लापरवाही से एक व्यापारी की जान चली गई। उसे सीएचसी में ऑक्सीजन समय से नहीं मिल पाई।
संसाधनों के उपयोग पर नजर डालें तो स्वास्थ्य विभाग तीन वर्ष से मॉकड्रिल करके ऑक्सीजन प्लांटों की क्रियाशीलता देख रहा है। किसी मरीज को इन प्लांटाें से ऑक्सीजन नहीं दी जा रही है। हकीकत यह है कि गंभीर मरीज आते ही रेफर कर दिए जाते हैं।
कमालगंज सीएचसी में सिलिंडर से दे रहे ऑक्सीजन : कमालगंज सीएचसी में लगा ऑक्सीजन प्लांट दिखावा है। यहां जरूरत पड़ने पर मरीज को सिलिंडर से ऑक्सीजन दी जाती है। यहां 6 जंबो व 10 मिनी सिलिंडर के अलावा 68 कंसंट्रेटर हैं। कुछ ऐसे ही हालात सीएचसी राजेपुर व मोहम्मदाबाद के हैं।
दोनों सीएचसी में लगे ऑक्सीजन प्लांट से मरीजों को श्वांस नहीं दी जा रही है। जरूरत पड़ने पर सिलिंडर से ऑक्सीजन दी जाती है। कायमगंज सीएचसी में प्रति माह पांच से छह ऑक्सीजन सिलिंडर खपत होती है। यहां भी 8 जंबो व 15 छोटे सिलिंडर के अलावा 90 कंसंट्रेटर उपलब्ध हैं।
नवाबगंज सीएचसी में ऑक्सीजन की कमी से व्यापारी की मौत होना लापरवाही का उदाहरण है। इसके साथ ही साबित हो रहा है कि स्वास्थ्य संसाधनों का मरीजों के लिए उपयोग भी नहीं कर पा रहा है।
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इस त्रासदी को सरकार ने गंभीरता से लिया। इसी के बाद जिले के पांच सीएचसी में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए। इससे किसी भी मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी से न हो। एक प्लांट लगाने में करीब 35 से 40 लाख रुपये खर्च हुए। तीन वर्ष पूर्व सीएचसी में लगाए गए ऑक्सीजन प्लांट अब तक किसी मरीज को श्वांस नहीं दे सके।
विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि पिछले दिनों पोस्टमार्टम हाउस में शव कुत्तों के नोचने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हो पाया, अब विभाग की लापरवाही से एक व्यापारी की जान चली गई। उसे सीएचसी में ऑक्सीजन समय से नहीं मिल पाई।
संसाधनों के उपयोग पर नजर डालें तो स्वास्थ्य विभाग तीन वर्ष से मॉकड्रिल करके ऑक्सीजन प्लांटों की क्रियाशीलता देख रहा है। किसी मरीज को इन प्लांटाें से ऑक्सीजन नहीं दी जा रही है। हकीकत यह है कि गंभीर मरीज आते ही रेफर कर दिए जाते हैं।
कमालगंज सीएचसी में सिलिंडर से दे रहे ऑक्सीजन : कमालगंज सीएचसी में लगा ऑक्सीजन प्लांट दिखावा है। यहां जरूरत पड़ने पर मरीज को सिलिंडर से ऑक्सीजन दी जाती है। यहां 6 जंबो व 10 मिनी सिलिंडर के अलावा 68 कंसंट्रेटर हैं। कुछ ऐसे ही हालात सीएचसी राजेपुर व मोहम्मदाबाद के हैं।
दोनों सीएचसी में लगे ऑक्सीजन प्लांट से मरीजों को श्वांस नहीं दी जा रही है। जरूरत पड़ने पर सिलिंडर से ऑक्सीजन दी जाती है। कायमगंज सीएचसी में प्रति माह पांच से छह ऑक्सीजन सिलिंडर खपत होती है। यहां भी 8 जंबो व 15 छोटे सिलिंडर के अलावा 90 कंसंट्रेटर उपलब्ध हैं।
नवाबगंज सीएचसी में ऑक्सीजन की कमी से व्यापारी की मौत होना लापरवाही का उदाहरण है। इसके साथ ही साबित हो रहा है कि स्वास्थ्य संसाधनों का मरीजों के लिए उपयोग भी नहीं कर पा रहा है।