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Farrukhabad News: रामनगरिया मेले की बैठक में न बुलाने से संत नाराज, मुख्यमंत्री से मिलेंगे
संवाद न्यूज एजेंसी, फर्रूखाबाद
Updated Mon, 17 Nov 2025 12:15 AM IST
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फोटो-26 पांचाल घाट नारायण आश्रम में समस्याओं को लेकर बैठक करते संत। संवाद
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अमृतपुर। रामनगरिया मेले की तीन दिन पहले हुई तैयारी संबंधी बैठक में न बुलाए जाने से साधु-संत नाराज हो गए। उन्होंने 18 नवंबर को डीएम की अध्यक्षता में होने वाली बैठक का बहिष्कार करने का फैसला लिया।
प्रयागराज की तर्ज पर रामनगरिया मेला लगवाने की मांग व समस्याएं बताने के लिए साधु-संत मुख्यमंत्री से मिलने जाएंगे। पांचालघाट गंगा तट पर तीन जनवरी से मेला रामनगरिया लगेगा। इसकी व्यवस्था की तैयारी के लिए जिलाधिकारी आशुतोष द्विवेदी ने मेला समिति के साथ तीन दिन पूर्व बैठक की थी। इसमें साधु-संत नहीं बुलाए गए।
इससे नाराज संतों ने रविवार को पांचालघाट स्थित नारायण आश्रम में बैठक की। इसमें श्रीपंच दसनाम जूना अखाड़ा के अध्यक्ष सत्यगिरी, डंडी मंडल के अध्यक्ष सुभाष आश्रम, अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अखाड़ा के अध्यक्ष नारायणदास बटेश्वर बाबा आदि मौजूद थे। जूना अखाड़ा के अध्यक्ष सत्यगिरी ने कहा कि मेले की पहली बैठक संतों के साथ होती थी।
इस बार जिलाधिकारी ने संतों को बैठक में नहीं बुलाया। इससे अब 18 नवंबर को होने वाली संतों की बैठक का बहिष्कार करते हैं। मेला संबंधी बनाई गई सभी समितियाें का संत विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि मेले को व्यावसायिक बनाया जा रहा है। हमेशा मेले की व्यवस्था साधु-संतों को सहमति से होती थी।
अब सांस्कृतिक पंडाल में कार्यक्रम अधिकारियों के मनमुताबिक होते है। संतों के बैठने तक की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। दो-दो घंटे के लिए आने वाले कलाकार लाखों रुपये लेकर चले जाते हैं। मेले में संतों को मिलने वाली सुविधाएं भी बंद हो गई हैं। 16 दिसंबर के बाद संतों बैठक कर मुख्यमंत्री से मिलने का कार्यक्रम तय किया जाएगा।
तीनों संत समितियों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री से मिलकर समस्याएं बताएंगे। मेला डेढ़ माह का हो गया है। मेले में बिजली, पानी, शौचालय आदि की पहले से व्यवस्था होनी चाहिए। इस मौके पर बैठक में ब्रह्मचारी धर्म चैतन्य, उमेशा नंद भारती, रोहिता नंद, रामदास, सत्यदेव आश्रम, अरविंद गिरी, रामानंद गिरी आदि संत मौजूद रहे।
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इससे नाराज संतों ने रविवार को पांचालघाट स्थित नारायण आश्रम में बैठक की। इसमें श्रीपंच दसनाम जूना अखाड़ा के अध्यक्ष सत्यगिरी, डंडी मंडल के अध्यक्ष सुभाष आश्रम, अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अखाड़ा के अध्यक्ष नारायणदास बटेश्वर बाबा आदि मौजूद थे। जूना अखाड़ा के अध्यक्ष सत्यगिरी ने कहा कि मेले की पहली बैठक संतों के साथ होती थी।
इस बार जिलाधिकारी ने संतों को बैठक में नहीं बुलाया। इससे अब 18 नवंबर को होने वाली संतों की बैठक का बहिष्कार करते हैं। मेला संबंधी बनाई गई सभी समितियाें का संत विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि मेले को व्यावसायिक बनाया जा रहा है। हमेशा मेले की व्यवस्था साधु-संतों को सहमति से होती थी।
अब सांस्कृतिक पंडाल में कार्यक्रम अधिकारियों के मनमुताबिक होते है। संतों के बैठने तक की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। दो-दो घंटे के लिए आने वाले कलाकार लाखों रुपये लेकर चले जाते हैं। मेले में संतों को मिलने वाली सुविधाएं भी बंद हो गई हैं। 16 दिसंबर के बाद संतों बैठक कर मुख्यमंत्री से मिलने का कार्यक्रम तय किया जाएगा।
तीनों संत समितियों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री से मिलकर समस्याएं बताएंगे। मेला डेढ़ माह का हो गया है। मेले में बिजली, पानी, शौचालय आदि की पहले से व्यवस्था होनी चाहिए। इस मौके पर बैठक में ब्रह्मचारी धर्म चैतन्य, उमेशा नंद भारती, रोहिता नंद, रामदास, सत्यदेव आश्रम, अरविंद गिरी, रामानंद गिरी आदि संत मौजूद रहे।