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पेंशन की फाइल रोकने पर दिव्यांग ने काटी हाथ की नस

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Tue, 09 Feb 2021 01:29 AM IST
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घाटमपुर। तहसील में बाबू पर पारिवारिक पेंशन की फाइल रोकने का आरोप लगाकर दिव्यांग ने ब्लेड से हाथ की नस काटकर जान देने की कोशिश की। वहीं, तहसीलदार ने कार्रवाई का भरोसा देकर मामले को शांत किया।
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थाना कल्याणपुर के छोटा लखनपुर निवासी दिव्यांग अरुण श्रीवास्तव (50) के पिता राम निरंजन श्रीवास्तव तहसील में राजस्व संग्रह अमीन के पद पर काम करते थे। उनके सेवानिवृत्त होने व वर्ष 2000 में मौत के बाद अरुण की मां कमला देवी को पारिवारिक पेंशन का लाभ मिल रहा था। वर्ष 2012 में उनकी भी मौत हो गई। नियमत: बेसहारा दिव्यांग पुत्र को पारिवारिक पेंशन का लाभ मिलने की जानकारी होने पर उसने आवेदन किया। इसके बाद सत्यापन व दस्तावेजों के नाम तीन साल से अरुण को संबंधित अधिकारी व बाबू टहला रहे थे।
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सोमवार की दोपहर ऑटो से पुत्री अरुणिमा के साथ पहुंचे अरुण ने बाबू से फिर गुहार लगाई। जिस पर बाबू ने कागज पूरे न होने की बात कहकर उसे टरकाने की कोशिश की तो वह भड़क गया। उसने बाबू पर दस हजार रुपये लेने के बाद भी परेशान करने आरोप लगाना शुरू कर दिया। इसी दौरान उसने ब्लेड से एक हाथ की नस काट ली।
एसडीएम कार्यालय के बाहर हुई घटना से तहसील में हलचल मच गई। तहसीलदार विनीत कुमार मौके पर पहुंचे। इनके साथ आए गार्डों ने जब दिव्यांग के हाथ से ब्लेड छीनने का प्रयास किया तो उसने गला काटने की धमकी दी, जिससे अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए। तहसीलदार ने उसे किसी तरह समझाबुझाकर शांत कराया।
अरुण ने तहसीलदार को बताया कि पारिवारिक पेंशन का लाभ देने के लिए तैयार हुई फाइल 2017 से कलक्ट्रेट व तहसील के बीच घूम रही है। उसने जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर लखनऊ बोर्ड ऑफिस तक के चक्कर लगाए। कई बार रिमाइंडर आने पर बाबू ने कागजों की कमी बताकर फाइल रोके रखी।
दिव्यांग ने आरोप लगाया कि फाइल भेजने के नाम पर उससे बाबू ने 10 हजार की मांग की। किसी तरह उसने बेटी से पैसे उधार व कर्ज लेकर माल बाबू की उसने मंशा पूरी की। अरुण ने तहसीलदार द्वारा मौके पर माल बाबू सुशील श्रीवास्तव को बुलाए जाने पर दिव्यांग ने उस पर 10 हजार रुपये लेकर भी फाइल न भेजने समेत अन्य आरोप लगाए।
तहसीलदार घाटमपुर विनीत कुमार ने बताया कि तहसील परिसर में आया दिव्यांग पूर्व कर्मचारी का पुत्र है। इसको पारिवारिक पेंशन मिलने के बारे में जानकारी नहीं थी। जानकारी पर उसने पेंशन के लिए फाइल बनवाई थी। फाइल में प्रमाण पत्र मांगे जाने के चलते फाइल लौटकर आई थी। इस दौरान फोन पर बाबू से इस संबंध में दिव्यांग की बात होती रहती थी। फाइल माल बाबू ने भेजी नहीं थी, जिसे लेकर वह नाराज था। फाइल तैयार कराकर कलक्ट्रेट भेज दी गई है। बाबू को रिश्वत देने की बात से बाद में उसने इनकार करने के साथ लिखकर दिया है।
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