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ये स्कूल बस नहीं, विद्यालय भवन है
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education
- फोटो : GHATAMPUR
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भीतरगांव (घाटमपुर)। पासी का डेरा गांव के परिषदीय विद्यालय भवन को स्कूली बस के रंगोरोगन में रंगा है। बच्चों में स्कूल के प्रति आकर्षण बढ़ाने को शिक्षक नित नए प्रयोग कर रहे हैं। दूर से देखने पर स्कूली बस जैसा ही भवन नजर आता है। विद्यालय को नए लुक में दर्शाने का श्रेय प्रधानाध्यापिका रुचि त्रिवेदी का है। इससे पूर्व भी बेहंटा-गंभीरपुर गांव के परिषदीय विद्यालय भवन की पेंटिंग ट्रेन की बोगी के तर्ज पर कराई गई है। शिक्षिका ने अपने विद्यालय को कुछ नए अंदाज में दिखाने की सोची।
प्रधानाध्यापक रुचि त्रिवेदी ने बताया कि आठ वर्षों से इस विद्यालय में तैनात हैं। बताया कि उन्होंने स्कूल भवन को अपनी कल्पना के अनुसार दिखाने के लिए खुद पेंसिल से डिजाइन तैयार की और पेंटरों को बताती रहीं। उन्होंने विद्यालय के मुख्य गेट की परिकल्पना करके उसको पेंसिलों के आकार में पेंट करवाया। छोटे-छोटे बच्चों को चित्रों के आधार पर खेल-खेल में उनके नाम याद कराने और वर्णमाला के अक्षर ज्ञान कराने के लिए कमरों की दीवारों पर अंक और वर्णमाला लिखवाने के साथ ही फल-फूल, जीव-जंतुओं और पक्षियों के चित्र बनवाए हैं।
प्रधानाध्यापक ने बताया कि उनके पति सिविल इंजीनियर हैं। उन्होंने अपने पति से विद्यालय भवन को नए लुक में सजाने के बारे में बताया तो उन्होंने भी आर्थिक मदद देने की बात कही। बताया कि पति ने डेढ़ लाख रुपये का सहयोग किया। स्कूल भवन की क्षतिग्रस्त बाउंड्री, नए लुक में मुख्य गेट, बाथरूम के दरवाजे, पानी टंकी, टाइल्स और वाशबेसिन का काम करवाया गया है।
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी पवन तिवारी ने बताया कि कम आबादी वाले पासी का डेरा गांव के विद्यालय में तैनात शिक्षिका ने बेहतरीन ढंग से विद्यालय भवन की साज-सज्जा कराई है। जिसके फोटो मोबाइल पर देखे हैं। छात्रों की अच्छी पढ़ाई के लिए शिक्षिका का यह प्रयास काबिले तारीफ है।
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प्रधानाध्यापक रुचि त्रिवेदी ने बताया कि आठ वर्षों से इस विद्यालय में तैनात हैं। बताया कि उन्होंने स्कूल भवन को अपनी कल्पना के अनुसार दिखाने के लिए खुद पेंसिल से डिजाइन तैयार की और पेंटरों को बताती रहीं। उन्होंने विद्यालय के मुख्य गेट की परिकल्पना करके उसको पेंसिलों के आकार में पेंट करवाया। छोटे-छोटे बच्चों को चित्रों के आधार पर खेल-खेल में उनके नाम याद कराने और वर्णमाला के अक्षर ज्ञान कराने के लिए कमरों की दीवारों पर अंक और वर्णमाला लिखवाने के साथ ही फल-फूल, जीव-जंतुओं और पक्षियों के चित्र बनवाए हैं।
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प्रधानाध्यापक ने बताया कि उनके पति सिविल इंजीनियर हैं। उन्होंने अपने पति से विद्यालय भवन को नए लुक में सजाने के बारे में बताया तो उन्होंने भी आर्थिक मदद देने की बात कही। बताया कि पति ने डेढ़ लाख रुपये का सहयोग किया। स्कूल भवन की क्षतिग्रस्त बाउंड्री, नए लुक में मुख्य गेट, बाथरूम के दरवाजे, पानी टंकी, टाइल्स और वाशबेसिन का काम करवाया गया है।
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी पवन तिवारी ने बताया कि कम आबादी वाले पासी का डेरा गांव के विद्यालय में तैनात शिक्षिका ने बेहतरीन ढंग से विद्यालय भवन की साज-सज्जा कराई है। जिसके फोटो मोबाइल पर देखे हैं। छात्रों की अच्छी पढ़ाई के लिए शिक्षिका का यह प्रयास काबिले तारीफ है।
