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हैदराबाद से पूर्वांचल के लिए साइकिलों से लौटे मजदूर
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- फोटो : GHATAMPUR
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घाटमपुर (कानपुर)। लॉकडाउन लागू होने के बाद हैदराबाद में फंसे पूर्वांचल (यूपी) के मजदूरों को कोई रास्ता नहीं सूझा तो साइकिलें खरीदीं और घरों की ओर लौट चले। रविवार सुबह मजदूरों का जत्था घाटमपुर पहुंचा। जिसमें गोरखपुर, बलरामपुर, बस्ती और गोंडा के मजदूर शामिल थे। ये लोग 23 मार्च को हैदराबाद से चले थे।
गोरखपुर निवासी रामकिशन और सरवर ने बताया कि वह लोगों मकानों में पेंट और पीओपी का कार्य करते हैं। बताया कि अपने घरों से 18 मार्च को हैदराबाद (तेलांगना) पहुंचे थे। दो दिन काम कर पाए तभी कोरोना की वजह से लाकडाउन की घोषणा हो गई और फंस गए। जत्थे में शामिल बलरामपुर निवासी तुलसीराम, बस्ती निवासी विनोद और गोंडा निवासी दिनेश प्रजापति ने बताया कि पूर्वांचल के 150 लोग हैदराबाद और अन्य शहरों में फंस गए।
जमापूंजी खत्म होने लगी।
बताया कि परिवहन सुविधाएं बंद होने से घरों को वापस लौटने के लिए कोई विकल्प नहीं सूझ रहा था। इसके बाद सभी लोग साइकिलों से घरों के लिए प्रस्थान करें। बताया कि किसी तरह उन लोगों ने 4500-4500 रुपये में एक-एक रेसर साइकिलें खरीदीं और जत्थे के रूप में अपने घर के लिए रवाना हुए। वह लोग दस दिन पहले हैदराबाद से रवाना हुए थे। तकरीबन 1400 किलोमीटर की दूरी साइकिलों से तय कर चुके हैं। अभी उनको पूर्वांचल तक पहुंचने में कम से कम तीन दिन का समय लग सकता है। बताया कि कुछ साथी जिनके पास साइकिलें खरीदने को पैसा नहीं था अभी वहीं फंसे हैं।
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गोरखपुर निवासी रामकिशन और सरवर ने बताया कि वह लोगों मकानों में पेंट और पीओपी का कार्य करते हैं। बताया कि अपने घरों से 18 मार्च को हैदराबाद (तेलांगना) पहुंचे थे। दो दिन काम कर पाए तभी कोरोना की वजह से लाकडाउन की घोषणा हो गई और फंस गए। जत्थे में शामिल बलरामपुर निवासी तुलसीराम, बस्ती निवासी विनोद और गोंडा निवासी दिनेश प्रजापति ने बताया कि पूर्वांचल के 150 लोग हैदराबाद और अन्य शहरों में फंस गए।
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बताया कि परिवहन सुविधाएं बंद होने से घरों को वापस लौटने के लिए कोई विकल्प नहीं सूझ रहा था। इसके बाद सभी लोग साइकिलों से घरों के लिए प्रस्थान करें। बताया कि किसी तरह उन लोगों ने 4500-4500 रुपये में एक-एक रेसर साइकिलें खरीदीं और जत्थे के रूप में अपने घर के लिए रवाना हुए। वह लोग दस दिन पहले हैदराबाद से रवाना हुए थे। तकरीबन 1400 किलोमीटर की दूरी साइकिलों से तय कर चुके हैं। अभी उनको पूर्वांचल तक पहुंचने में कम से कम तीन दिन का समय लग सकता है। बताया कि कुछ साथी जिनके पास साइकिलें खरीदने को पैसा नहीं था अभी वहीं फंसे हैं।
