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Hamirpur News: बैंक मैनेजर, सर्वेयर व एक अज्ञात पर फर्जीवाड़ा करने की रिपोर्ट दर्ज
संवाद न्यूज एजेंसी, हमीरपुर
Updated Sat, 13 Sep 2025 12:03 AM IST
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हमीरपुर। उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक शाखा खेड़ा शिलाजीत के प्रबंधक व सर्वेयर के अलावा एक अज्ञात पर फर्जीवाड़ा करने की रिपोर्ट जरिया थाने में शुक्रवार को दर्ज की गई। इन पर सरीला क्षेत्र के बंधौली गांव के ग्राम प्रधान की जमीन पर फर्जी किसान क्रेडिट कार्ड बनाकर लाखों रुपये की निकालने का आरोप लगा है। मामले में जिलाधिकारी के आदेश पर हुई जांच के बाद कार्रवाई की गई है।
बंधौली गांव के प्रधान अरुण कुमार ने बताया कि वह खेती के किसानी करते है। उन्हें खेती में पैसा की आवश्यकता होने पर वह कुछ माह पहले खेड़ा शिलाजीत बैंक में किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने गए। वहां मैनेजर ने पहले बन जाने की बात कही और बाद में मना कर दिया। इस पर वह दूसरी बैंक में केसीसी बनवाने के लिए तहसील गए। तो वहां उन्हें जानकारी मिली कि उनके नाम से पहले ही केसीसी बना हुआ है। जब उन्होंने बैंक जाकर जानकारी मांगी। तो वहां कोई रिकार्ड नहीं दिया गया और वहां से टहला दिया गया कि उनके नाम से कोई कार्ड नहीं है। इसकी शिकायत उन्होंने एसडीएम से की। आरोप लगाया कि उनके नाम से पांच लाख रुपये की लिमिट का केसीसी तैयार किया गया। इसमें से एक बार में करीब एक लाख रुपये से अधिक की निकासी की गई। यह सब बैंक मैनेजर की मिलीभगत से किया गया। शिकायत पर जिलाधिकारी घनश्याम मीना ने एसडीएम सरीला बलराम गुप्ता और एलडीएम से संयुक्त जांच कराई। जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने तत्कालीन शाखा प्रबंधक जितेंद्र कुमार, सर्वेयर आशीष कुमार और एक अज्ञात व्यक्ति की संलिप्तता पाई। उनके खिलाफ थाना जरिया में कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी करने की रिपोर्ट दर्ज की गई है।
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ऐसे हुआ खुलासा
- एसडीएम बलराम गुप्ता ने बताया कि जांच में सामने आया कि असली अरुण कुमार पुत्र बाबूराम के नाम पर जाली आधार और पैन कार्ड बनाए गए और इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर खतौनी-खसरे की प्रति लगाकर ऋण स्वीकृत कराया गया। कहा कि जब मामला खुला तो बैंक मैनेजर ने आनन-फानन में रुपये खाते में वापस कराए और खाता बंद करा दिया। इसके बाद बचाव में झूठी रिपोर्ट लगाकर प्रकरण को दबाने की कोशिश की गई। जबकि जांच में स्पष्ट हो गया कि खाते में निकासी और जमा दोनों दर्ज हैं।

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बंधौली गांव के प्रधान अरुण कुमार ने बताया कि वह खेती के किसानी करते है। उन्हें खेती में पैसा की आवश्यकता होने पर वह कुछ माह पहले खेड़ा शिलाजीत बैंक में किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने गए। वहां मैनेजर ने पहले बन जाने की बात कही और बाद में मना कर दिया। इस पर वह दूसरी बैंक में केसीसी बनवाने के लिए तहसील गए। तो वहां उन्हें जानकारी मिली कि उनके नाम से पहले ही केसीसी बना हुआ है। जब उन्होंने बैंक जाकर जानकारी मांगी। तो वहां कोई रिकार्ड नहीं दिया गया और वहां से टहला दिया गया कि उनके नाम से कोई कार्ड नहीं है। इसकी शिकायत उन्होंने एसडीएम से की। आरोप लगाया कि उनके नाम से पांच लाख रुपये की लिमिट का केसीसी तैयार किया गया। इसमें से एक बार में करीब एक लाख रुपये से अधिक की निकासी की गई। यह सब बैंक मैनेजर की मिलीभगत से किया गया। शिकायत पर जिलाधिकारी घनश्याम मीना ने एसडीएम सरीला बलराम गुप्ता और एलडीएम से संयुक्त जांच कराई। जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने तत्कालीन शाखा प्रबंधक जितेंद्र कुमार, सर्वेयर आशीष कुमार और एक अज्ञात व्यक्ति की संलिप्तता पाई। उनके खिलाफ थाना जरिया में कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी करने की रिपोर्ट दर्ज की गई है।
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ऐसे हुआ खुलासा
- एसडीएम बलराम गुप्ता ने बताया कि जांच में सामने आया कि असली अरुण कुमार पुत्र बाबूराम के नाम पर जाली आधार और पैन कार्ड बनाए गए और इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर खतौनी-खसरे की प्रति लगाकर ऋण स्वीकृत कराया गया। कहा कि जब मामला खुला तो बैंक मैनेजर ने आनन-फानन में रुपये खाते में वापस कराए और खाता बंद करा दिया। इसके बाद बचाव में झूठी रिपोर्ट लगाकर प्रकरण को दबाने की कोशिश की गई। जबकि जांच में स्पष्ट हो गया कि खाते में निकासी और जमा दोनों दर्ज हैं।