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Hardoi News: संडीला में प्रदेश के पहले आधुनिक पशु चिकित्सालय का निर्माण शुरू
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हरदोई। संडीला में प्रदेश के पहले आधुनिक संसाधन वाले पशु चिकित्सालय निर्माण को पशुपालन विभाग ने मंजूरी दे दी है।राजकीय पशु चिकित्सालय परिसर में तीन करोड़ की लागत से अस्पताल का निर्माण शुरू भी हो गया है। सेंटर फॉर एनिमल हसबेंडरी एंड एक्सटेंशन सर्विस नामक यह अस्पताल एचसीएल फाउंडेशन के सहयोग से बनाया जा रहा है। अस्पताल शुरू होने के बाद मवेशियों की बीमारियों की जांच में आसानी होगी। यहां मवेशियों की टूटी हड्डियों का एक्सरे और पेट की बीमारियों का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड हो सकेंगे। फरवरी तक अस्पताल का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है।
पशुपालन विभाग ने संडीला के राजकीय पशु चिकित्सालय को हाईटेक बनाने के लिए चयनित किया था। इस प्रस्ताव को मूर्त रूप देने पर एचसीएल फाउंडेशन ने स्वीकृति दी थी। एचसीएल फाउंडेशन पशु चिकित्सालय भवन के साथ ही अन्य जरूरी भवनों को बनवाएगा। फाउंडेशन की ओर से मवेशियों के एक्सरे और अल्ट्रासाउंड के लिए सभी मशीनों की स्थापना भी कराई जाएगी। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पशु चिकित्सालय अब कृत्रिम गर्भाधान और पशुपालन विस्तार सेवा केंद्र के रूप में हाईटेक सुविधा के साथ विकसित किया जा रहा है। यहां पशुपालकों को उन्नत पशु प्रबंधन पद्धतियों का प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा।
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मुख्यमंत्री की प्राथमिकता के अनुसार मवेशियों को संरक्षित करने के साथ ही पशुपालकों को बेहतर चिकित्सा सेवा और सुविधा उपलब्ध कराने पर भी संवेदनशीलता से काम किया जा रहा है। संडीला पशु चिकित्सालय को एचसीएल फाउंडेशन के सहयोग से आधुनिक और उच्च क्षमता युक्त बनवाया जा रहा है। काम शुरू भी करा दिया गया है। अस्पताल शुरू होने के बाद एक्सरे और अल्ट्रासाउंड से बीमारी पकड़ में आने से मवेशियों को सही उपचार दिया जा सकेगा। चिकित्सालय की स्थापना फरवरी-2026 तक कराने का लक्ष्य है। -डॉ. अशोक कुमार सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
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14 लाख मवेशियों को मिलेगा आधुनिक चिकित्सा का लाभ
सीवीओ ने बताया कि जिले में 14 लाख से अधिक मवेशी हैं। करीब 80 हजार पशु आश्रयस्थलों में संरक्षित हैं। संडीला में आधुनिक पशु चिकित्सालय बनने से इन मवेशियों को लाभ मिल सकेगा। मवेशियों के उपचार में आसानी होगी। मवेशियों के रक्त के नमूनों की भी जांच हो सकेगी। इससे उनमें बीमारियों की सटीक जानकारी मिल सकेगी और उसी आधार पर उपचार किया जा सकेगा। वर्तमान में जिले के पशु चिकित्सालयों में मवेशियों के उपचार में चिकित्सक मवेशी के हावभाव और थर्मामीटर पर तापमान से ही उपचार करते हैं। बिना जांच किए जाने वाले उपचार में कई बार सटीक दवाएं न मिलने से मवेशी को स्वस्थ होने कई-कई दिन लग जाते हैं। कई बार उनकी असमय मृत्यु हो जाती है, इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।
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पशुपालन विभाग ने संडीला के राजकीय पशु चिकित्सालय को हाईटेक बनाने के लिए चयनित किया था। इस प्रस्ताव को मूर्त रूप देने पर एचसीएल फाउंडेशन ने स्वीकृति दी थी। एचसीएल फाउंडेशन पशु चिकित्सालय भवन के साथ ही अन्य जरूरी भवनों को बनवाएगा। फाउंडेशन की ओर से मवेशियों के एक्सरे और अल्ट्रासाउंड के लिए सभी मशीनों की स्थापना भी कराई जाएगी। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पशु चिकित्सालय अब कृत्रिम गर्भाधान और पशुपालन विस्तार सेवा केंद्र के रूप में हाईटेक सुविधा के साथ विकसित किया जा रहा है। यहां पशुपालकों को उन्नत पशु प्रबंधन पद्धतियों का प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा।
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मुख्यमंत्री की प्राथमिकता के अनुसार मवेशियों को संरक्षित करने के साथ ही पशुपालकों को बेहतर चिकित्सा सेवा और सुविधा उपलब्ध कराने पर भी संवेदनशीलता से काम किया जा रहा है। संडीला पशु चिकित्सालय को एचसीएल फाउंडेशन के सहयोग से आधुनिक और उच्च क्षमता युक्त बनवाया जा रहा है। काम शुरू भी करा दिया गया है। अस्पताल शुरू होने के बाद एक्सरे और अल्ट्रासाउंड से बीमारी पकड़ में आने से मवेशियों को सही उपचार दिया जा सकेगा। चिकित्सालय की स्थापना फरवरी-2026 तक कराने का लक्ष्य है। -डॉ. अशोक कुमार सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
14 लाख मवेशियों को मिलेगा आधुनिक चिकित्सा का लाभ
सीवीओ ने बताया कि जिले में 14 लाख से अधिक मवेशी हैं। करीब 80 हजार पशु आश्रयस्थलों में संरक्षित हैं। संडीला में आधुनिक पशु चिकित्सालय बनने से इन मवेशियों को लाभ मिल सकेगा। मवेशियों के उपचार में आसानी होगी। मवेशियों के रक्त के नमूनों की भी जांच हो सकेगी। इससे उनमें बीमारियों की सटीक जानकारी मिल सकेगी और उसी आधार पर उपचार किया जा सकेगा। वर्तमान में जिले के पशु चिकित्सालयों में मवेशियों के उपचार में चिकित्सक मवेशी के हावभाव और थर्मामीटर पर तापमान से ही उपचार करते हैं। बिना जांच किए जाने वाले उपचार में कई बार सटीक दवाएं न मिलने से मवेशी को स्वस्थ होने कई-कई दिन लग जाते हैं। कई बार उनकी असमय मृत्यु हो जाती है, इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।