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Hardoi News: जिले में नहीं आना चाह रहे त्वचा रोग विशेषज्ञ, प्रशिक्षुओं के भरोसे ओपीडी
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हरदोई। स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में त्वचा रोगियों को बेहतर उपचार नहीं मिल रहा है। त्वचा रोग विभाग की ओपीडी तो रोजाना हो रही लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक के स्थान पर प्रशिक्षुओं से ओपीडी करवाकर खानापूरी की जा रही है। बीते तीन साल से विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति निकाली जा रही है लेकिन आवेदन नहीं आ रहे हैं। मरीज को बेहतर इलाज के लिए निजी क्लीनिक जाना पड़ रहा है।
अधिक सर्दी हो या गर्मी का मौसम, इनमें त्वचा संबंधी रोगों के मामले बढ़ जाते हैं। सर्दी के मौसम में त्वचा का रूखापन, खाज-खुजली, फंगस इंफेक्शन जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ जाती हैं तो गर्मी के मौसम में पसीने की वजह से खुजली, फंगस और जलन होने लगती है। हर मौसम में त्वचा रोगी बढ़ जाते हैं। इसके बावजूद जिले में त्वचा रोगियों के उपचार के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं है। मेडिकल कॉलेज में त्वचा रोगियों के उपचार के लिए ओपीडी तो होती है लेकिन कोई विशेषज्ञ चिकित्सक न होने की वजह से प्रशिक्षु ही मरीजों को परामर्श दे रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन चर्म रोग विभाग में विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति के लिए गंभीर नहीं है। बीते तीन साल से लगातार एक संबद्ध प्रोफेसर और एक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं लेकिन इस पर एक भी आवेदन नहीं आ रहे हैं। इस वजह से मरीजों को बेहतर उपचार के लिए निजी क्लीनिकों पर जाना पड़ रहा है।
रोजाना पहुंच रहे 70 से 75 मरीज
त्वचा रोग का उपचार भी निजी क्लीनिकों पर काफी महंगा होता है। एक बार में एक सप्ताह की दवा लेने पर मरीज को कम से कम पांच से छह सौ रुपये की दवा और क्लीनिक का पर्चा अलग से बनवाना पड़ रहा है। वहीं, मेडिकल कॉलेज में एक रुपये में पर्चा बनता है और कुछ दवाएं निशुल्क मिल जाती हैं। इस कारण रोजाना 70 से 75 मरीज त्वचा रोग से ग्रसित होकर पहुंचते हैं। कई बार तो संख्या 100 के पार भी पहुंच जाती है। अधिक पैसा खर्च न कर पाने वाले मरीज मेडिकल कॉलेज आते हैं लेकिन यहां भी प्रशिक्षुओं के भरोसे हो रही ओपीडी से सिर्फ खानापूरी हो रही है।
वर्जन
चर्म रोग विभाग में नियुक्ति के लिए लगातार प्रयास हो रहा है। इस बार भी दो पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है लेकिन आवेदन नहीं आए। उच्च प्रबंधन से बात कर त्वचा रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति का प्रयास चल रहा है। -डॉ. जेबी गोगोई, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज
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अधिक सर्दी हो या गर्मी का मौसम, इनमें त्वचा संबंधी रोगों के मामले बढ़ जाते हैं। सर्दी के मौसम में त्वचा का रूखापन, खाज-खुजली, फंगस इंफेक्शन जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ जाती हैं तो गर्मी के मौसम में पसीने की वजह से खुजली, फंगस और जलन होने लगती है। हर मौसम में त्वचा रोगी बढ़ जाते हैं। इसके बावजूद जिले में त्वचा रोगियों के उपचार के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं है। मेडिकल कॉलेज में त्वचा रोगियों के उपचार के लिए ओपीडी तो होती है लेकिन कोई विशेषज्ञ चिकित्सक न होने की वजह से प्रशिक्षु ही मरीजों को परामर्श दे रहे हैं।
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ऐसा नहीं है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन चर्म रोग विभाग में विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति के लिए गंभीर नहीं है। बीते तीन साल से लगातार एक संबद्ध प्रोफेसर और एक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं लेकिन इस पर एक भी आवेदन नहीं आ रहे हैं। इस वजह से मरीजों को बेहतर उपचार के लिए निजी क्लीनिकों पर जाना पड़ रहा है।
रोजाना पहुंच रहे 70 से 75 मरीज
त्वचा रोग का उपचार भी निजी क्लीनिकों पर काफी महंगा होता है। एक बार में एक सप्ताह की दवा लेने पर मरीज को कम से कम पांच से छह सौ रुपये की दवा और क्लीनिक का पर्चा अलग से बनवाना पड़ रहा है। वहीं, मेडिकल कॉलेज में एक रुपये में पर्चा बनता है और कुछ दवाएं निशुल्क मिल जाती हैं। इस कारण रोजाना 70 से 75 मरीज त्वचा रोग से ग्रसित होकर पहुंचते हैं। कई बार तो संख्या 100 के पार भी पहुंच जाती है। अधिक पैसा खर्च न कर पाने वाले मरीज मेडिकल कॉलेज आते हैं लेकिन यहां भी प्रशिक्षुओं के भरोसे हो रही ओपीडी से सिर्फ खानापूरी हो रही है।
वर्जन
चर्म रोग विभाग में नियुक्ति के लिए लगातार प्रयास हो रहा है। इस बार भी दो पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है लेकिन आवेदन नहीं आए। उच्च प्रबंधन से बात कर त्वचा रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति का प्रयास चल रहा है। -डॉ. जेबी गोगोई, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज