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शिक्षा का अधिकार कानून को बनाया मजाक

Hathras Updated Thu, 19 Jun 2014 05:30 AM IST
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हाथरस। शिक्षा का अधिकार (आरटीई 2009) कानून जिले में मजाक नहीं तो और क्या हैं। शहर में कई विद्यालय जर्जर भवन में संचालित होंगे। जहां विद्यार्थियों की जान को आने वाले बरसात के समय में हर खतरा मंडराएगा। शिक्षक विहीन विद्यालयों के तीन-तीन विद्यालयों को एक ही भवन में संचालित किया जा रहा है। जिससे इन विद्यालयों में एक से पांच तक एवं छह से आठ तक विद्यार्थियों को एक ही पाठ पढ़ाया जाएगा। यह पाठ है एमडीएम खाओ और अपने घर चले जाओ। शहर में इसके बडे़ ही रोचक उदाहरण हैं जिसमें प्राइमरी पाठशाला रमनपुर बालिका का जर्जर भवन है। यहां पढ़ने वाली बालिकाओं के पीने के पानी के लिए लगा हुआ नल पास में गंदा तालाब होने के कारण गंदा व कीडे़ युक्त पानी उगलता है। बारिश के मौसम में यहां से निकलने के लिए रास्ता बंद रहता है गंदा पानी विद्यालय तक आ जाता है। समाज कल्याण द्वारा खंदारी गढ़ी में संचालित विद्यालय के लिए आज तक भवन की व्यवस्था नहीं हो सकी है। एक किराये के कमरे में जिसमें विद्यार्थियों को हवा मिलना भी मुश्किल है। विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। प्राथमिक विद्यालय नाई का नगला में प्राथमिक विद्यालय मोहन गंज भी चलता है। जिसमें एक शिक्षक एवं एक शिक्षा मित्र की तैनाती है। जिसमें एक से तीन एवं चार व पांच की कक्षाएं एक साथ संचालित होंगी। पूर्व माध्यमिक विद्यालय जागेश्वर में प्राथमिक विद्यालय जागेश्वर बालक एवं बालिका भी संचालित हैं जिसमें सिर्फ दो शिक्षा मित्रों की तैनाती है। जो एक से पांच तक के बच्चों को एक साथ एवं छह से आठ तक के बच्चों को संयुक्त रूप से पढ़ाएंगे। प्राथमिक विद्यालय नगला भेजा में प्राथमिक विद्यालय नवीपुर कला का भी संचालन है। दोनों विद्यालय के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक व एक शिक्षा मित्र तैनात है। प्राथमिक विद्यालय सड़क चक्कर बालक व बालिका दोनों एक ही भवन में चलते हैं जिनके एक से पांच तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षिका तैनात है। प्राथमिक विद्यालय चावड़गेट व प्राथमिक विद्यालय नयागंज एक ही भवन में चलते हैं जिनके बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षिका व एक शिक्षा मित्र तैनात है। उच्च प्राथमिक विद्यालय गऊशाला में तीन विद्यालय प्राथमिक विद्यालय गऊशाला बालक व बालिका संचालित है जिनमें एक शिक्षक व तीन शिक्षा मित्र तैनात हैं।
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नगर क्षेत्र में लंबे समय से शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई है। शिक्षकों से नगर क्षेत्र में आने के लिए आवेदन भी मांगे गए थे लेकिन शिक्षक नहीं आए। नगर में विद्यालयों के किराये के भवनों में संचालित होने के कारण नए भवनों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। जबकि विद्यार्थियों को सुरक्षित करने के लिए विद्यालयों को विभाग के विद्यालय भवनों में शिफ्ट कर दिया गया है। -देवेंद्र कुमार गुप्ता, बीएसए
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