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सीतारामी-हथफूल और रानी हार: नई दुल्हनों को नहीं पता पुराने गहनों के नाम, पहले चढ़ावे में होते थे 101 वजनी गहने

विनीत चौरसिया, अमर उजाला, हाथरस Published by: चमन शर्मा Updated Fri, 21 Nov 2025 12:18 PM IST
सार

पहले शादी में 101 गहनों का चढ़ावा दिया जाता था। उस समय बनवाई जाने वाली हसली का वजन 500 ग्राम, गडूला 250 ग्राम, रेशम पट्टी 250 ग्राम, कौंदनी 500 ग्राम, लच्छा 500 ग्राम, मुर्रे 250 ग्राम, गद्दा 250 ग्राम और बाक 250 ग्राम की होती थी।

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New brides don't know the names of old jewellery
पुराने समय में प्रचलित सोने-चांदी के आभूषण - फोटो : संवाद
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विस्तार
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सोने-चांदी के भाव में बेतहाशा वृद्धि ने महिलाओं के गहने सीमित कर दिए हैं। 60 वर्ष पहले महिलाओं के शृंगार में 101 गहने होते थे। शादी में वर पक्ष की ओर से वधु पक्ष को इन 101 गहनों का चढ़ावा दिया जाता था। अब वो पुराने गहने दिखना तो दूर की बात उनके नाम भी नई दुल्हनों को याद नहीं है। इसमें सीतारामी, हथ फूल और रानी हार सबसे चर्चित गहने हैं।

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कुछ उम्रदराज लोगों के जेहन में ही इन गहनों की यादें हैं। ज्वेलर्स कहते हैं कि अगर सोना 50 हजार व चांदी 70 हजार रुपये के भाव पर लौट भी आए तो भी पुराने गहने बनाना मुश्किल है। इन बेशकीमती आभूषणों को संजोए कर रखने में आज भी कुछ परिवार कामयाब हैं। वर्तमान में सोना-चांदी बेहद महंगा होने से दुल्हन के शृंगार में गिनती के पांच-सात गहने ही दिखाई देते हैं। इसमें अंगूठी, जंजीर नुमा हार, कुंडल, अंगूठी, कड़े व लौंग आदि शामिल हैं। आलम ये है कि खो जाने या चोरी के डर से धनवान महिलाएं भी आर्टिफिशियल ज्वेलरी से काम चला रहीं हैं।

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भारतीय संस्कृति में महिलाओं को कीमती गहने उपहार स्वरूप देने का चलन है। इसीलिए हमारे देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। एक दुल्हन के चढ़ावे में कम से कम 101 गहने होते थे। अब उनके नाम भी लोगों को याद नहीं है।-शैलेंद्र सराफ, पुराने गहनों के संग्रहकर्ता।

बदल गया आभूषणों का आकार और वजन

बदलते दौर में आभूषणों का प्रकार व वजन बदल गया। पहले महिलाएं तीन से चार किलो चांदी व 50 से 100 तोला तक सोना धारण करती थीं। अब शादी के मौकों पर भी गिनती के ही आभूषण दिखाई देते हैं।

पुराने समय के चर्चित 101 गहने
पहले शादी में 101 गहनों का चढ़ावा दिया जाता था। इसमें मुख्य रूप से अंगूठी, जंजीर, कुंडल के अलावा हमेल, मटरमाला, मोहनमाला, चिक, रानीहार, सीतारामी, झूमर, बाजूबंद, गुलीबंद, गठेला, हसली, कडूला, कड़ा, टड्डे, पोंहची, दुआ, बगली, मुर्रे, गद्दा, लच्छे, शैतान बाजे, झांझन, बैलचूड़ी, सरवन, गोल्ला, क्लीफ, तोड़ा, बेड़ा, सैता, तरकी, दस्ताने, पैरफूल, बांक, मुरकी, करधनी, ढलेमा, झुनझुना, लटकन, रथ के बिछिया, रेशम पट्टी, बजने लच्छे, आरामतेल, बोरला, तिर्माणयां, तुस्सी, सुर्रालया, नेवरी, मार्दाल्या, टिक्की, लूंग, छैलकड़ी, चंपाकली, गुलाब बंद, गोखरू, शीशफूल, अरसी, वौघला, भंवरकड़ी, गोखरु निवोरी, चन्द्रहाल, रामहार, हसहार, चंदनहार, अंगुदा, माथापट्टी भोर आदि शामिल थे।

वजनी होते थे पुराने गहने
उस समय बनवाई जाने वाली हसली का वजन 500 ग्राम, गडूला 250 ग्राम, रेशम पट्टी 250 ग्राम, कौंदनी 500 ग्राम, लच्छा 500 ग्राम, मुर्रे 250 ग्राम, गद्दा 250 ग्राम और बाक 250 ग्राम की होती थी।

60 वर्ष में आसमान पर पहुंची कीमतें 
करीब 60 वर्ष में सोने ने 200 रुपये तोले (12 ग्राम) से 1.30 लाख रुपये तोले (10 ग्राम) तक का सफर तय कर लिया है। चांदी भी करीब 250 रुपये किलो से सवा लाख रुपये के ऊपर पहुंच गई है।

 
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