सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Jhansi News ›   Jhansi: Children are suffering due to pregnant women not taking medicines.

Jhansi: गर्भवतियों के दवा न खाने का दंश झेल रहे बच्चे, दो साल में 24 हुए एचआईवी के शिकार

अमर उजाला नेटवर्क, झांसी Published by: दीपक महाजन Updated Mon, 01 Dec 2025 09:03 AM IST
सार

महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज के आंकड़े बताते हैं कि माताओं की चूक से दो साल के अंदर 24 बच्चे भी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। छह बच्चे इस साल संक्रमण की चपेट में आए हैं। पिछले साल एक जनवरी से अब तक यह वायरस 426 लोगों को संक्रमित कर चुका है।

विज्ञापन
Jhansi: Children are suffering due to pregnant women not taking medicines.
एचआईवी संक्रमण - फोटो : Freepik.com
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

जागरुकता के तमाम अभियानों के बावजूद ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) से जूझ रही माताओं की दवा में की गई लापरवाही मासूमों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। गर्भावस्था के दौरान दवा नियमित रूप से न लेने के कारण कई नवजात एचआईवी संक्रमण की पीड़ा झेलने को मजबूर हैं।
Trending Videos


महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज के आंकड़े बताते हैं कि माताओं की चूक से दो साल के अंदर 24 बच्चे भी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। छह बच्चे इस साल संक्रमण की चपेट में आए हैं। पिछले साल एक जनवरी से अब तक यह वायरस 426 लोगों को संक्रमित कर चुका है। मेडिकल काॅलेज के एंटी रिट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर के मुताबिक एचआईवी से ग्रस्त ललितपुर की महिला ने गर्भावस्था के दाैरान नियमित रूप से दवा नहीं ली। इससे उसकी दोनों बेटियां एचआईवी पॉजिटिव हो गईं। संक्रमण के पांव पसारने की बड़ी वजह यह भी है कि दो साल में जिले के करीब 10 युवाओं ने संक्रमित होने की बात छिपाकर शादी कर ली। कुछ समय बाद पत्नी का वजन गिरने लगा और बीमार रहने लगी। जब पत्नी संक्रमित हुई तब भेद खुला।
विज्ञापन
विज्ञापन


जांच में शिशु एचआईवी पॉजिटिव
सेंटर के अधिकारी बताते हैं कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें प्रसव के बाद शिशु एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। जांच में साफ हुआ कि सामाजिक संकोच, जागरुकता की कमी और उपचार को लेकर लापरवाही के कारण माताएं गर्भावस्था के दौरान दवा समय पर नहीं ले रही थीं या बीच में ही उपचार छोड़ देती थीं। चिकित्सकों का कहना है कि समय पर उपचार करवाकर नवजातों को संक्रमण के जोखिम से बचाया जा सकता है।

नियमित दवा से सक्रिय नहीं होता वायरस
विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि गर्भवती महिलाएं नियमित रूप से दवा लें और समय-समय पर जांच कराती रहें तो नवजात में संक्रमण पहुंचने की आशंका 95 फीसदी तक कम हो सकती है। दवा के नियमित सेवन से वायरस शरीर में सक्रिय नहीं होता। मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर में कई ऐसे रोगी आते हैं जो नियमित दवा लेने की वजह से सामान्य लोगों की तरह जिंदगी जी रहे हैं।

ऐसे दिखते हैं लक्षण
डॉक्टर बताते हैं कि एचआईवी का संक्रमण तीन से छह माह के बीच में असर दिखाता है। इसकी वजह से न सिर्फ बुखार व थकान होती है बल्कि वजन हर महीने कम होता है। दस्त और कई तरह के संक्रमण घेरने लगते हैं। जांच में एचआईवी की पुष्टि के बाद सरकार की ओर से न सिर्फ दवा मुहैया कराई जाती है बल्कि हर तरह की जांच, उपचार, ऑपरेशन आदि निशुल्क होते हैं। यदि किसी को लगता है कि वह संक्रमित हो गया है तो उसे तत्काल जांच करानी चाहिए और 48 घंटे में पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) दवा की पहली डोजु लेनी चाहिए।

अब हर गर्भवती की एचआईवी जांच कराई जाती है। यदि कोई पॉजिटिव मिलती है तो उनकी दवाएं शुरू कर दी जाती हैं। जरूरी जांचें नियमित अंतराल पर कराई जाती हैं ताकि जन्म लेने वाला बच्चा संक्रमित न हो। यदि माताएं नियमित दवाएं लेती हैं तो बच्चा संक्रमण से सुरक्षित हो जाता है। डॉ. रामबाबू सिंह, एआरटी सेंटर प्रभारी, मेडिकल कॉलेज झांसी
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed