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नगर निगम: निधि में पड़े 11 करोड़ ने अटका दी अफसरों की सांसें...दूसरी किस्त अटकी, सीएम के अल्टीमेटम से खलबली
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Thu, 18 Sep 2025 11:32 AM IST
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सार
स्टांप ड्यूटी से मिलने वाली रकम का एक हिस्सा नगर निगम को अवस्थापना निधि के तौर पर मिलता है। हर साल करीब 40-50 करोड़ रुपये तक इस मद में मिलते हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
- फोटो : amar ujala
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विस्तार
झांसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अवस्थापना मद से होने वाले कामों में लेटलतीफी पर महापौर के अधिकारों में कटौती के संकेत से नगर निगम में खलबली मच गई। मुख्यमंत्री स्तर से इन कार्यों में बरती जा रही लापरवाही पर नाराजगी जताने से निगम अफसरों की भी नींद उड़ गई। यहां भी अवस्थापना निधि में करीब 11 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो सके। इस वजह से इसकी दूसरी किस्त भी निगम प्रशासन को नहीं मिल सकी।

स्टांप ड्यूटी से मिलने वाली रकम का एक हिस्सा नगर निगम को अवस्थापना निधि के तौर पर मिलता है। हर साल करीब 40-50 करोड़ रुपये तक इस मद में मिलते हैं। पहले इसे खर्च करने का अधिकार मंडलायुक्त के पास था। मंडलायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी ही इस निधि के जरिए पैसों को खर्च करती थी। सूबे के महापौरों की मांग पर 2019 में सरकार ने अवस्थापना निधि खर्च करने का अधिकार महापौर को थमा दिया लेकिन अब इसमें बरती जाने वाली लेटलतीफी की शिकायतें मुख्यमंत्री तक भी जा पहुंचीं।
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नगर निगम की अवस्थापना निधि में महीनों पैसा डंप पड़ा रहता है। यह खर्च नहीं किया जाता। इसके उपयोग प्रमाणपत्र न भेजने से दूसरी किस्त नहीं मिल पाती। इसका सीधा असर महानगर के विकास कार्यों पर पड़ता है। कई दफा राजनीतिक वजहों से भी ये काम नहीं हो पाते। तकरीबन सभी नगर निगमों से यह शिकायतों शासन तक पहुंची। इसके बाद मुख्यमंत्री की यह नाराजगी सामने आई। झांसी नगर निगम में भी 11 करोड़ रुपये महीनों से डंप पड़े हैं। दूसरी किस्त भी नहीं मिल सकी। वहीं, नगर आयुक्त सत्य प्रकाश का कहना है कि इनके टेंडर कराए जा चुके हैं। काम पूरा न होने से भुगतान नहीं हुआ।
महापौर बिहारी लाल आर्य ने बताया कि अवस्थापना निधि के सभी कार्य स्वीकृत किए जा चुके हैं। निविदा प्रक्रिया पूरी न हो पाने से कई कार्य समय पर नहीं हो सके थे। यह सभी कार्य जल्द पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा।